Irrfan Khan Death Anniversary: इरफ़ान जैसे इंसान की याद रह जाती है
गपशप: इरफान खान को न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के साथ दो साल की लंबी लड़ाई के बाद मृत घोषित कर दिया गया, जीवन और मौत को दो छोटे अपराधियों की तरह समय की अदालत में सुनाया गया.
ताजा खबर: बॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली और संवेदनशील अभिनेताओं में शुमार इरफान खान को भले ही यह दुनिया छोड़कर गए कुछ वर्ष हो चुके हों, लेकिन उनके अभिनय और उनके निभाए किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं. इरफान उन कलाकारों में से थे जिन्होंने नायक और खलनायक के बीच की रेखाओं को मिटा कर एक आम इंसान के भीतर छिपे नायक को परदे पर जीवंत किया. उन्होंने फिल्मों में ऐसे किरदार निभाए जो न केवल सशक्त थे बल्कि यथार्थ और भावनाओं से भी भरपूर थे.
विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित यह फिल्म शेक्सपियर के नाटक 'मैकबेथ' पर आधारित थी. इसमें इरफान ने मकबूल नामक गैंगस्टर की भूमिका निभाई थी जो धीरे-धीरे सत्ता की लालसा में नैतिक पतन की ओर बढ़ता है. इरफान ने इस जटिल किरदार को इतनी सहजता और गहराई से निभाया कि यह उनके करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया.
मीरानायर की इस फिल्म में इरफान ने एक प्रवासी पिता अशोक गांगुली की भूमिका निभाई, जो अमेरिका में अपने बेटे को भारतीय संस्कृति से जोड़कर रखने की कोशिश करता है. यह किरदार संवेदना और भावनात्मक गहराई का प्रतीक था और इरफान ने इसमें अपनी आंखों और मौन के जरिए भावनाएं व्यक्त कर सबका दिल जीत लिया.
इस मल्टीस्टारर फिल्म में इरफान ने एक सरल और आम से दिखने वाले व्यक्ति मोंटी की भूमिका निभाई, जो अपनी ईमानदारी, मासूमियत और संवादों से दर्शकों को मुस्कुराने पर मजबूर कर देता है. उनका किरदार आधुनिक रिश्तों की जटिलताओं के बीच उम्मीद की किरण जैसा था.
इरफान के करियर का शायद सबसे दमदार प्रदर्शन। इस बायोपिक में उन्होंने एक राष्ट्रीय एथलीट से डकैत बने पान सिंह तोमर का किरदार निभाया. उनकी बॉडी लैंग्वेज, बोलने का अंदाज और आक्रोश से भरी आंखें दर्शकों को झकझोर देती हैं. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया.
इस फिल्म में इरफान ने दिल्ली के एक दुकानदार राज बत्रा का किरदार निभाया जो अपनी बेटी को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाने के लिए समाज के हर ढोंग को अपनाता है। यह किरदार एक सामाजिक संदेश के साथ-साथ कॉमेडी और इमोशन का बेहतरीन मिश्रण था. इरफान की टाइमिंग और भावनात्मक गहराई ने इस किरदार को अमर बना दिया.
यह फिल्म इरफान के जीवन की आखिरी रिलीज़ थी. इसमें उन्होंने एक पिता की भूमिका निभाई जो अपनी बेटी के विदेश में पढ़ने के सपने को पूरा करने के लिए हर हद पार कर जाता है. यह फिल्म उनके संघर्ष और प्यार का प्रतीक बन गई.
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