टेढ़ी...सीधी...गोलमटोल...फिर भी
'-के. पी. सक्सेना तीन बजे बोला था, बज गये चार साथ के ईरानी रेस्त्रां में रिकार्ड बज रहा था, मैं चैंक कर पसीने-पसीने हो गया, वाकई चार बज रहे थे, मुझे तीन बजे महबूब स्टूडियो बांद्रा में पहुंचना था, मैंने भी सोचा कि हटाओ, मैं हीरो हो गया हूं, स्टूडियो में ल