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पोपटलाल, भिड़े, सोढ़ी, तारक और अय्यर सावधानी से वर्मा साहब के घर पहुंचे, रहस्यमय भूत के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए दृढ़ संकल्पित थे. जब वे दरवाजे पर खड़े थे, भिड़े ने अनजाने में अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया, जबकि उसके पीछे कुछ भयानक घटित हो रहा था. अचानक, अंधेरे से तीन खोपड़ियाँ उभरीं, उनकी खोखली आँखें सीधे सामने की ओर देख रही थीं.
बाकी लोग डर से जम गए, उनकी आवाज़ें उनके गले में अटक गईं. तभी, भिड़े ने पलटकर देखा- उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, उसकी साँस अटक गई. उसके सामने तीन खोपड़ियाँ मँडरा रही थीं. क्या यह मन की चाल थी या इससे कहीं ज़्यादा भयावह?
पिछले एपिसोड का रिकैप:
वर्माजी के घर में छाया को देखने के बाद बापूजी, टप्पू के बेडरूम में भागे और उसे जगाया. उसी समय, पोपटलाल, उतने ही भयभीत, एकमेव सचिव, भिड़े को जगाने के लिए दौड़े. चिंतित, भिड़े ने वर्माजी को फोन करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन नहीं मिल रहा था. उन्हें मदद की ज़रूरत महसूस हुई, इसलिए उन्होंने वर्माजी के घर की जाँच करने के लिए सोढ़ी को साथ ले जाने का फैसला किया. रास्ते में, पोपटलाल ने ब्लूटूथ बाबा की चेतावनी से लेकर रात की भयावह घटनाओं तक की अपनी भयानक यात्रा के बारे में बताया.
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