साल 2024 के आखिरी दिनों में रिलीज हुई दो फिल्मों 'पुष्पा2' और 'बेबी जॉन' को लेकर चर्चा रही है. इनमे 'बेबी जॉन' का रिजल्ट आना है और 'पुष्प2' को लेकर कहा जा रहा है कि फिल्म कमाई करने में हजार करोड़ के पार चली गयी है.हालांकि इस चर्चा को फिल्म को हाईप देने के लिए खड़े किए गए बवंडर के रूप में भी देखा जारहा है. अद्यतन फिल्म उद्योग में ऐसा होता है, जब फिल्म की कमाई और थिएटर के अंदर दर्शकों की उपस्थिति का तालमेल बिगड़ा बिगड़ा दिखता है. 'पुष्पा 2' हो या क्रिसमस रिलीज 'बेबी जॉन' हो, इन फिल्मों ने अपनी रिलीज के आरंभिक हफ्ते में पब्लिसिटी का जो घना कोहरा खड़ा किया, उससे लोग हतप्रभ हुए हैं. फिल्मी विशेषज्ञ यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर कामयाबी का नियतांक क्या होना चाहिए ? अच्छा कन्टेन्ट, सितारों भरी भीड़, रिलीज से पूर्व खूब पैसा खर्च करना या कोई और फार्मूला है- जिससे प्रि-इलेक्शन पोल की तरह यह बताया जा सके कि फिल्म हिट होनी है या फ्लॉप. फिल्मों का शुरुआती रिजल्ट रहा है बड़ा कन्फ्यूजिंग 'बड़े मियां छोटे मियां', 'सिंघम अगेन', 'पुष्पा 2', 'भूल भुलैया 3' या हालिया रिलीज 'बेबी जॉन' जैसी इस बीत रहे साल की फिल्मों का शुरुआती रिजल्ट बड़ा कन्फ्यूजिंग रहा है. सही अर्थों में रिलीज के हफ्ते भर बाद ही पता चल पाता है जब एक्चुवल लागत, कलेक्शन और कमाई का विश्लेषण होता है. हफ्ते भर बाद ही आकलन हो पाता है कि दर्शकों को कि फिल्म का 'कंटेंट' दिल को छूता है या इसकी मेकिंग भाती है अथवा कोई और आकर्षण होता है जो फिल्म के चलने या ना चलने का कारण बनती है. ऐसी फिल्में ही फ्यूचर की आनेवाली फिल्मों के लिए दिशा- दशा का संकेत करती हैं. इस बीच एक शोर यह भी उठ रहा है कि बॉक्स ऑफिस से कंटेंट गायब हो गया है. यह चिंता का विषय जरूर है. पहले विषय प्रधान फिल्में बनती थी. फिर विषय के साथ उसकी मेकिंग की खूबसूरती को महत्व मिला. पुरानी फिल्मों में कहानी होती थी, सीधी सादी कहानी खूब चलती थी. लेकिन, जबसे उनमें तकनिकी गुणवत्ता जुड़ी तो नए जमाने के साथ भारतीय सिनेमा ने कदमताल शुरूकर दिया. 'कल हो न हो', 'वीरजारा', 'बीवी नम्बर वन', 'करन अर्जुन', 'लगान' आदि ऐसी ही फिल्में रही हैं जो मन को छूती हैं और अंतराष्ट्रीय सिनेमा के पर्दे के मानदंडों को भी. बेशक इधर रिलीज हुई कई फिल्मों ने रिलीज पूर्व हंगामा खूब बरपाया था लेकिन लागत निकलने में भी फेल हुई थी.. इतने तामझाम से रिलीज फिल्मों के प्रति रिलीज से पहले दर्शक खूब प्रभावित हुए पर फिल्म देखने के बाद इनकी कहानी मन को छू नहीं पाई और फिल्में लागत निकालने में तरस गयी. मतलब कंटेंट का अभाव. बॉक्स ऑफिस पर कंटेंट गायब है. वहीं दूसरी तरफ हॉरर कथानक की फिल्में होने के वावजूद 'स्त्री2'और 'भूल भुलैया2' की कहानी और मेकिंग ने दर्शकों को खींचा है. बड़ी स्टारी भीड़ ना होने के वावजूद 'दसवीं फेल' और 'घूमर' जैसी फिल्मों ने दर्शकों के मन को जीता है और बॉक्सऑफिस को भी चूमा है. थियरेटर से अधिक कंटेंट का बोलबाला ओटीटी पर है. मनोज बाजपेयी और पंकज त्रिपाठी ओटीटी पर्दे के दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन है. जाहिर है सिनेमा चलाने के लिए 'अच्छा कथानक' ही रीढ़ की हड्डी होता है जिसे आज की भाषा मे 'कंटेंट' कहते हैं. निर्माताओं को चाहिए की दिल को छूने वाले कथानक की व्यवस्था पहले करें फिर उसके साथ स्टारी भीड़ जुटाएं और तकनिकी श्रेष्ठता पर ध्यान देंगे- तभी बॉक्स ऑफिस पर उनकी फिल्म बल्ले बल्ले करेगी. बॉलीवुड फिल्मों के साथ कंटेंट की कमी एक गम्भीर मसला है मगर निर्माता यह सच संजह नहीं पा रहे हैं. Read More रवि किशन ने किया कास्टिंग काउच का अनुभव, कहा- मेरे पर कई बार हुआ हमला सलमान खान की फिल्म सिकंदर का टीजर फिर हुआ पोस्टपोन, इस समय होगा रिलीज Salman Khan Birthday: 75 रुपये से की थी सलमान ने करियर की शुरुआत Malaika Arora ने Arjun Kapoor की 'मैं सिंगल हूं' कमेंट पर तोड़ी चुप्पी