Advertisment

Dev Anand Legacy: सिनेमा, सपना और संकल्प के प्रतीक थे देव आनंद

देव आनंद भारतीय सिनेमा के एक अद्वितीय प्रतीक थे, जिन्होंने अपनी फिल्मों, अभिनय शैली और जीवन के प्रति संकल्प से दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके सिनेमा में दिखाए गए सपने

New Update
dev anand
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

जब मैं बरसों पहले महबूब स्टूडियो में देव आनंद से मिली थी और उनसे बातचीत के लिए अपपॉइंट रिक्वेस्ट कर रही थी, तो पहले तो उन्होने मुझे स्कूल बंक करके उन्हे मिलने आई एक फैन समझा था लेकिन फिर मायापुरी का नाम लेते ही सब सही हो गया। वे सेट पर कुर्सी लगाकर बैठ गए। हालांकि वे उस फ़िल्म में ना तो निर्देशक थे ना निर्माता, सिर्फ एक्टर थे  फिर भी, वे मेकअप रूम में ना बैठकर सेट पर बड़ी बारीकी से सब ऑबसर्व कर रहे थे। माहौल नॉस्टैलजिआ से सराबोर था। उनकी ऊर्जा मानो उम्र से परे थी। उनकी चाल में तेज़ी और पंछी की तरह हल्कापन था। उनकी आँखें चमक रही थी और वे हमेशा धाराप्रवाह, स्पष्ट अंग्रेजी बोलते थे। जब मैंने उनसे इस बारे में पूछा, तो उन्होंने मुझसे कहा, 'भाषा दुनिया के लिए आपकी खिड़की है। मैंने सीखने, सुनने और खुद को अभिव्यक्त करने को, अपना एक मुकाम बना लिया है ताकि कोई भी, कहीं भी, मुझे समझ सके। जब मैं गुरदासपुर में पला-बढ़ा, तब भी मुझे बीबीसी सुनना और पश्चिमी उपन्यास पढ़ना बहुत पसंद था। जब मैं बॉम्बे पहुँचा, तो मैं अलग दिखना चाहता था - अंग्रेजी सीखना और उसे अच्छी तरह बोलना मेरे सपने का हिस्सा था।' (Dev Anand life philosophy and work ethic)

Advertisment

Dev Anand’s 102nd birth anniversary

देव आनंद का जीवनमंत्र: उत्साह, काम के प्रति प्रेम और निरंतर सृजनशीलता

देव आनंद ने कहा कि पूरी तरह उत्साह के साथ जीना एक खुशहाल, लंबी ज़िंदगी की सबसे बड़ी कुंजी है। उन्होंने कहा, 'यह मन ही है जो सब कुछ नियंत्रित करता है। मैं मानसिक और शारीरिक रूप से सक्रिय हूँ। मैं दिन में 17 घंटे काम कर सकता हूँ, सिर्फ़ पाँच या छह घंटे सोता हूँ और फिर भी पूरी तरह से फ्रेश और जागृत महसूस करता हूँ। ऐसा इसलिए है क्योंकि मुझे किसी भी चीज़ से ज़्यादा अपने काम से प्यार है। उम्र का उत्साह से कोई लेना-देना नहीं है। मैं अपने काम को लेकर जितना ज़्यादा उत्साहित होता हूँ, उतना ही युवा महसूस करता हूं । (Dev Anand on enthusiasm and creativity)

Dev Anand Death Anniversary: The Actor's Navketan Cult Films Like Guide,  Jewel Thief Need to Be Restored for Posterity

देव साहब आगे की सोचते रहते थे, हमेशा अपनी अगली फ़िल्म, अपनी अगली पटकथा, यहाँ तक कि वे अपने अगली बार क्या चीज़ बोल्ड तरीके से करना चाहिए यह योजना बनाते रहते थे।  उन्होने कहा, 'मैं यह नहीं कह सकता कि मैं कल क्या  कहलाउंगा , इसलिए मुझे अभी का पूरा लाभ उठाना चाहिए, हर अवसर का उपयोग करना चाहिए और अपने जीवन के अंत तक विकास करना चाहिए।' अस्सी साल की उम्र पार करने के बाद भी, वे पटकथाओं पर काम कर रहे थे, कुछ अंग्रेज़ी में भी और दुनिया के साथ साझा करने के लिए नई नई कहानियों का सपना देख रहे थे।

Bollywood actor, writer, filmmaker Dev Anand

उन्होने कहा, 'मेरे लिए सिनेमा हर जगह है, किसी भी घटना में, जिन लोगों से मैं मिलता हूँ उनके हावभाव में , उन सुर्खियों में जो मैं पढ़ता हूँ, तुम में भी मैं कुछ पढ़ रहा हूँ।' उन्होंने कहा  'मेरी पहली निर्देशित फ़िल्म, "प्रेम पुजारी", 1965 के भारत-पाक युद्ध से उपजी थी। "हरे रामा हरे कृष्णा" का विचार मेरे मन में काठमांडू के एक हिप्पी कैफ़े में एक बेतरतीब अजब दृश्य देखकर आया। एक सांवली चमड़ी वाली लड़की एक विदेशी के साथ मस्त है ? वो दृश्य मेरे मन में एक तस्वीर की तरह फ़िल्म बन गई और ज़ीनत अमान स्टार बन गईं। (Bollywood legends and artistic freedom)

Prem Pujari - Wikipedia

Hare_Rama_Hare_Krishna_Dev Anand Legacy

फ़िल्मों के बारे में उनका दर्शन अलग सा था, "कोई नहीं जानता कि किसी फ़िल्म को क्या हिट बनाता है। मेरी कुछ बेहतरीन फ़िल्में सफल नहीं हुईं। कुछ औसत फ़िल्में, लोग बार-बार देखते हैं। आप कभी नहीं जानते कि कौन सा भाव, कौन सा राग दर्शकों के दिल को छू जाएगा। सिनेमा जगत में काम करने का एकमात्र तरीका अपनी अंतर्ज्ञान पर भरोसा करना है।'
देव आनंद ने स्वीकार किया कि उनकी सभी फ़िल्में हिट नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने असफलताओं को कभी अपनी हिम्मत को कम नहीं करने दी। "कभी-कभी पैसा गंवाने के लिए आपको पर्याप्त साहसी होना होता है । मैं फिजूलखर्च नहीं हूँ, मैं अपने स्टूडियो और अपने कमाए हुए पैसों से काम चलाता हूँ। किसी को जवाबदेही नहीं है, फ्लॉप फ़िल्में मुझे नहीं तोड़तीं। मुझे हमेशा विश्वास है कि अंत में सिचुएशन मेरे काबू में हो जाएँगी।'

Dev anand

देव आनंद और रचनात्मक स्वतंत्रता: सेंसरशिप, राजनीति और सिनेमा के प्रति उनका दृष्टिकोण

जब हमने सेंसरशिप और रचनात्मकता की चुनौतियों के बारे में बात की, तो उनकी आँखें  तमतमा गईं। "मैं एक बार सेंसर बोर्ड की बैठक से भन्नाता हुआ उठ कर बाहर चला गया था। वे उस दृश्य को मंज़ूरी नहीं देना चाहते थे जिसमें मेरे किरदार ने शराब पी रखी हो। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि मैं  खुद का किरदार नहीं निभा रहा हूँ। सिनेमा किरदारों को लेकर बनती है। भला मानवीय वास्तविकताओं को क्यों कोई लाएगा? हमारी सेंसरशिप के नियम पुरानी हो चुकी है और कभी-कभी मुझे लगता है कि वे कलात्मक स्वतंत्रता को समझते ही नहीं हैं। मैंने इसी बहस को शुरू करने के लिए, प्रतिक्रियास्वरूप फिल्म "सेंसर" बनाया था । मैं अश्लीलता या गलत हैबिट को बढ़ावा नहीं देता, लेकिन मैं चाहता हूँ कि भारत में एक रचनात्मक, लोकतांत्रिक सेंसरशिप संहिता हो, न कि पुरानी सोच में जकड़ी हुई।" (Dev Anand political thoughts and courage)

dev anand

उस मुलाकात के बाद भी देव साहब से मेरी और भी कई मुलाकातें हुई। देव आनंद राजनीतिक सत्ता के सामने भी अपने विचार व्यक्त करने से नहीं डरते थे। उन्होंने याद किया," आपातकाल के दौरान, हम फिल्म वालों के पीठ दीवार तक धकेल दिया गया था। उस सत्ता ने किशोर कुमार के गानों पर प्रतिबंध लगा दिया, लोगों पर नारे लगाने का दबाव डाला। मैंने सूचना मंत्री वी. सी. शुक्ला से उनके मुँह पर कहा - मैं तभी इसमें भाग लूँगा जब आप स्वीकार करेंगे कि भारत एक पुलिसिया राज्य है। मैंने आपातकाल के बाद एक राजनीतिक पार्टी भी शुरू की, लेकिन मुझे एहसास हुआ कि मैं राजनीति के लिए उपयुक्त नहीं हूँ। मैं बहुत आशावादी हूँ। मैं फिल्म निर्माण से बहुत ज़्यादा प्यार करता हूँ। राजनीति को ठंडे दिल की ज़रूरत होती है, और मेरा दिल हमेशा वॉर्म रहता है।'

dev anand

भारत के भविष्य के बारे में उनके विचार किंचित व्यावहारिक और भावुक थे। 'देश के जो सर्वश्रेष्ठ दिमाग हैं वो ही हमारे नेता होने चाहिए। हमें और अधिक साक्षरता और अधिक ज्ञान की जरूरत है  तभी लोग बुरे शासकों को स्वीकार करना बंद करेंगे। मुझे उम्मीद है जब युवा आगे आएँगे  और उनकी युवा उदारवादी सोच आगे आएंगे तब बदलाव आएगा वर्ना मैं जो थोड़ा-बहुत बदलाव देख रहा हूँ, उससे निराश हूँ।" (Dev Anand respect for women and etiquette)

Dev Anand's one advice that Mumtaz still follows: 'If you look beautiful  even at 90, you will get boyfriends…' | Bollywood News - The Indian Express

व्यवस्था से तमाम झगड़ों के बावजूद देवानंद सबसे आगे बढ़कर एक रोमांटिक और सपनों की ताकत में यकीन रखने वाले इंसान थे।" मैं बिना किसी रिश्ते, बिना किसी सिफ़ारिश के बॉम्बे आया था। मैं एक चॉल में रहता था, मुझे खाने-पीने की कमी खलती थी, लेकिन मैं हमेशा बड़े सिनेमा पोस्टरों पर अपना चेहरा देखने का सपना देखता था। कामयाब होने के लिए आपको अपने सपनों का एकनिष्ठ होकर पीछा करना होगा। आपको विश्वास बनाए रखना होगा।" जब उन्हें अपना मुश्किल दौर याद आया तो उनकी आँखों में एक चमक आ गई थी , मानो संघर्ष ही एक मीठी याद बन गया हो।

, DEV ANAND - No wonder Dev Anand is  called the Dev (God) of Bollywood, whose real name was Dharam Devdutt

 DEV ANAND - No wonder Dev Anand is  called the Dev (God) of Bollywood, whose real name was Dharam Devdutt  Pesorimal Anand.

अपने जीवन के भावनात्मक पहलू के बारे में बात करते हुए, उन्होंने बताया, 'मैं हमेशा प्यार करने और उसके बाद दिल टूटने के लिए तैयार रहा हूँ। मैंने भी टूटकर प्यार किया था। लेकिन सामाजिक कारणों से वो मुमकिन नहीं हो पाया। हाँ, मैं अपने भाई चेतन के कंधे पर सर रखकर रोया था, लेकिन उस प्यार से रिश्ता खत्म होने के बाद मैंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा, आगे बढ़ गया। मैंने नवकेतन फ़िल्म्स पर ध्यान केंद्रित किया, अपनी पत्नी मोना से मिला, जो काफ़ी हेलपिंग नेचर की और शिक्षित थी। हम शादी में कोई बड़ा ड्रामा नहीं चाहते थे। मेरे लिए सादा ही सबसे अच्छा था।"

Remembering Dev Anand at 100: The late Dilip Kumar's heartfelt tribute to  the iconic actor's kindness and professionalism | Hindi Movie

देव आनंद का चरित्र और शालीनता: महिलाओं के प्रति सम्मान और जीवन मूल्यों की झलक

देव साहब दूसरों के बारे में कोई राय नहीं रखते थे, लेकिन यह स्पष्ट कर देते थे कि कुछ चीज़ें उनके लिए नहीं हैं। 'मुझे शादियों में पैसों के लिए नाचना कभी पसंद नहीं आया। यह अपनी आत्मा बेचने जैसा है और मैं ऐसा कभी नहीं कर सकता था ना मैंने कभी किया।"

Dev Anand Legacy

देव आनंद का महिलाओं के प्रति सम्मान और पुराने ज़माने का शिष्टाचार कुछ ऐसा था जो उन्होंने घर पर सीखा था," मेरी माँ स्नेही और सौम्य थीं। उनकी मृत्यु टीबी से हुई और मैंने बचपन में उनकी देखभाल की। उनका वो करुणामय स्वभाव , वह सौम्यता, मैं अपनी फिल्मों और जीवन में बनाए रखने की कोशिश करता हूँ। शिष्टाचार, विनम्र व्यवहार, ये मूल्य कभी पुराने नहीं पड़ते।"

Dev Anand's respect for women and old-fashioned etiquette were something he learned at home.

इंग्रिड बर्गमैन से लेकर उनके रोज़मर्रा के प्रशंसकों तक, वे ग्लैमर की बजाय शालीनता और पवित्रता की प्रशंसा करते थे। 'इंग्रिड बर्गमैन  मेरे लिए एक जबर्दस्त अभिनेत्री थीं। उनमें इतना आकर्षण देखा , लेकिन इतनी मासूमियत भी देखी , बिना किसी अश्लीलता के। यही वह खूबसूरती है जो मुझे पसंद है। वह जो किसी की संगति में रहकर ही आपको खुश कर देती है।"

Forever Dev

हमने उनकी पटकथाओं के बारे में बात की जो अक्सर उनकी अपनी छवि से प्रेरित होती थीं। वे बोले," यह सच है। मुझे ज़्यादा अभिनय नहीं करना पड़ा। मुझे बस खुद जैसा होना था। प्रेम दृश्य आसानी से आ गए क्योंकि मैं सचमुच रोमांस और सौम्यता में विश्वास करता हूं । ये चीज़ें कभी पुरानी नहीं होतीं, चाहे दुनिया कितनी भी बदल जाए।"

व्यक्तिगत स्वास्थ्य और लंबी उमर के बारे में उन्होंने कहा था ," मैं शराब नहीं पीता, धूम्रपान नहीं करता, मांस नहीं खाता। मेरा आशावाद ही मेरा असली आहार है। मैं किसी को भी आसानी से माफ़ कर देता हूँ। मैं कभी भी दुख को ज़्यादा देर तक अपने साथ नहीं रखता। दुःख मेरे साथ नहीं रहते। मेरे लिए हर अगला पल एक नया उत्साह है। शायद मैं सौ साल तक जीऊँ।" (जबकि ऐसा नहीं हुआ)

Dev Anand: Remembering The Actor Who Epitomized Debonair | BollySpice.com –  The latest movies, interviews in Bollywood

देव आनंद का आशावाद इंडस्ट्री में मशहूर था। उन्होंने एक बार ज़ोरदार ढंग से कहा था, 'मैं एक लाइलाज आशावादी हूँ। मैं कभी पीछे मुड़कर नहीं देखता। ज़िंदगी बहुत छोटी है। नई चुनौतियाँ रोमांचक होती हैं। हर दिन सूरज मेरे लिए कुछ नया करने के लिए लेकर उगता है।"

जीवन और दुनिया में होने वाले हर पल परिवर्तन के बारे में भी उनका दृष्टिकोण प्रगतिशील था, 'परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर है। मैंने इस इंडस्ट्री को ब्लैक एंड व्हाइट मूक फिल्मों से लेकर रंगीन, डिजिटल तक देखा है। लेकिन असल में जो मायने रखता है वह है काम के लिए आपकी भूख। जब तक आप उत्साहित हैं, आप प्रासंगिक बने रहते हैं।

Dev Anand Hit Movies List | Dev Anand Box Office Collection - Bollywood  Hungama

फिल्मों में सफलता के बारे में, वह हमेशा ईमानदार रहे, 'जब आप कोई फिल्म बनाते हैं, तो आप कभी नहीं कह सकते कि वह ' बोफो' ब्लॉकबस्टर होगी या नहीं। कभी-कभी, कहानी साधारण होती है, लेकिन यह लोगों की भावनाओं को छू जाती है, और वे बार-बार थिएटर आते रहते हैं। तभी फिल्में ज़बरदस्त हिट बन जाती हैं। यानी, वे शानदार सफलताएँ होती हैं। मैं हमेशा कहता हूँ अगर आपका काम दिलों को छूता है तो पैसा और पुरस्कार आपके पीछे-पीछे भागते हुए आएंगे। लेकिन अगर आप केवल पैसे के पीछे भागते हैं तो आप कला और रोमांच खो देते हैं।'

मैंने एक बार उनसे पूछा कि उन्हें पछतावे और कड़वाहट से क्या चीज़ दूर रखता है। वह मुस्कुराए, ' वही जो मैंने बताया, मैं आसानी से माफ़ कर देता हूँ। मेरे लिए, कल एक नया अध्याय है। जब इतना कुछ करना है तो कल की परेशानियों पर विचार करके समय क्यों बर्बाद करें? मेरा आनंद काम करने में है, नई फिल्में बनाने में है, नए लोगों से मिलने में है, दुनिया घूमने में है। यही आपको जवान रखता है - आपका शरीर नहीं बल्कि आपकी आत्मा।’

Dev Anand five best films that made him an 'evergreen' strar |

इंडस्ट्री बदलते समय प्रसिद्धि के क्षणिक आगमन और प्रस्थान के साथ देव आनंद विनम्रता में विश्वास करते थे। "अगर लोग आपके काम को एक बार पसंद करते हैं तो आप भाग्यशाली हैं। अगर वे आपको दशकों तक पसंद करते हैं तो आपको आभारी होना चाहिए। मैं हर दिन आभारी हूँ। मैं कभी सपनों से भरा एक अनजान व्यक्ति था और दुनिया ने मुझे सब कुछ दिया क्योंकि मैंने कभी विश्वास करना नहीं छोड़ा कभी काम करना नहीं छोड़ा।’

कभी-कभी वे कला और नियति के बीच के संबंध के बारे में दार्शनिक हो जाते थे। "कभी-कभी मैं सचमुच सोचता हूँ, क्या किसी ने मेरे लिए यह जीवन लिखा है? क्योंकि मेरे पास कुछ भी नहीं था, न पैसा था, न बंबई में कोई दोस्त। लेकिन नियति  जुनूनी सपने देखने वालों को पुरस्कृत करने का एक किस्मत वाला तरीका रखती है। मेरे अंदर का अभिनेता कभी सोया नहीं। मुझे लगता है कि यही मायने रखता है, कभी हार न मानना हमेशा अतिरिक्त मील चलने के लिए तैयार रहना।’

Dev Anand Facts for Kids

जब बातचीत आधुनिक दुनिया और वर्तमान फिल्मी रुझानों पर आ गई तो उन्होंने कंधे उचका दिए, "हर युग की अपनी शैली होती है। लेकिन फिल्मों में हमेशा दिल होना चाहिए। तकनीक बदल सकती है, लेकिन भावनाएँ नहीं। मैं अपनी कहानियों के केंद्र में प्रेम, आशा और मानवता को रखने की कोशिश करता हूँ। लोग पूछते हैं कि आज भी मैं अभिनय और लेखन क्यों करता रहता हूँ - क्योंकि कहानियाँ कभी खत्म नहीं होतीं। दुनिया को नई कहानियों की ज़रूरत है और मेरे पास सुनाने के लिए हज़ारों कहानियाँ बाकी हैं।

अगर वे अपने करियर का वर्णन करने के लिए 'बोफ़ो' जैसे शब्द का इस्तेमाल करते, तो हँसते और कहते हैं , 'हाँ, मेरे कई बोफ़ो साल रहे। लेकिन सफलता सिर्फ़ आँकड़ों से कहीं बढ़कर है। यह अपने सपनों को जीने और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करने में है। अगर आप ईमानदार, मेहनती और दयालु हैं, तो आपको अपनी तरह की बोफ़ो सफलता ज़रूर मिलेगी।' (Inspirational quotes by Dev Anand)

Dev Anand: The man who never stopped romancing with life | Eye News - The  Indian Express

क्योंकि बोफो शब्द मेरी समझ से परे थी तो मैंने उनसे पूछा था कि यह बोफो शब्द क्या है, वे बोले, "बोफ़ो" वास्तव में एक अमेरिकी चलताऊ शब्द है जिसकी बोलचाल 1940 के दशक के आसपास शो बिज़नेस की दुनिया में हुई थी। इसका इस्तेमाल किसी चीज़—खासकर किसी फिल्म, नाटक या शो का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो बेहद सफल, लोकप्रिय हो या जिसे दर्शकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिले। यह शब्द आम तौर पर मनोरंजन उद्योग की समीक्षाओं और रिपोर्टों में किसी शानदार या रिकॉर्ड तोड़ सफलता का संकेत देने के लिए इस्तेमाल होता है।जब आप अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, अपने ही रिकॉर्ड तोड़ते हैं, और दर्शक आपको पसंद करते हैं - यही बोफो का असली मतलब है। मुझे याद है कि "गाइड" की इतनी बड़ी सफलता के बाद, लोगों ने इसे बोफो हिट कहा था। मेरे लिए, असली सफलता लोगों के दिलों को बार-बार छूना है। आप चाहे जो भी हों,

Dev Anand

3 दिसंबर 2011 में 88 वर्ष की उम्र में  देवानंद का निधन हो गया। उन्होंने अपने पीछे हिट फ़िल्मों के अलावा और भी बहुत कुछ छोड़ा है। उन्होंने जीने का एक तरीका छोड़ा है, एक बेचैन, आनंदित, अंतहीन जिज्ञासु आत्मा, हमेशा आगे की ओर देखते हुए, हमेशा यह मानते हुए कि सबसे अच्छा अभी आना बाकी है। और शायद, अपने अदम्य आशावाद और जीवन के प्रति जुनून से, उन्होंने दुनिया को अपनी सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर दी।

Dev Anand Legacy

देवानंद ने अंतिम मुलाकात के वक्त कहा था, "मेरे लिए, असली कामयाबी लोगों के दिलों को बार-बार छूना है। आप चाहे जो भी हों, किसी भी व्यवसाय या किसी भी क्षेत्र में, हमेशा एक शानदार कर्मठता का लक्ष्य रखें। लेकिन अपनी आत्मा और अपनी मुस्कान को बनाए रखें।"

Dev-Anand

देव आनंद का यही दर्शन है - स्पष्ट, उदार और हमेशा जवान।

FAQ

Q1. देव आनंद जीवन को कैसे देखते थे?

A1. देव आनंद पूरी तरह उत्साह और काम के प्रति प्रेम के साथ जीने को खुशहाल जीवन की कुंजी मानते थे।

Q2. उन्होंने सेंसरशिप पर क्या विचार रखे?

A2. देव आनंद पुरानी सेंसरशिप प्रणाली को पुरानी सोच मानते थे और भारत में रचनात्मक, लोकतांत्रिक सेंसरशिप संहिता चाहते थे।

Q3. देव आनंद ने राजनीति में भाग क्यों लिया?

A3. आपातकाल के दौरान उन्होंने राजनीतिक मुद्दों पर विरोध किया और राजनीतिक पार्टी शुरू की, लेकिन महसूस किया कि राजनीति उनके लिए नहीं है।

Q4. देव आनंद का महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण क्या था?

A4. वे महिलाओं का सम्मान करते थे और शालीनता, पवित्रता और विनम्रता को महत्व देते थे।

Q5. देव आनंद की पसंदीदा अभिनेत्री कौन थीं?

A5. उन्होंने इंग्रिड बर्गमैन को अत्यंत प्रतिभाशाली और आकर्षक अभिनेत्री माना, जो मासूमियत और शालीनता से भरी थी।

Q6. देव आनंद का शिष्टाचार और मूल्य क्या थे?

A6. उन्होंने शिष्टाचार, विनम्र व्यवहार और करुणा जैसे मूल्यों को जीवन और फिल्मों में बनाए रखा।

Read More

Akhanda 2 Release Date: बालाकृष्णा नन्दमूरि की ‘अखंड 2’ रिलीज़ डेट कन्फर्म

OG Movie Sujeeth SCU: सुजीत ने 'ओजी' में किया SCU यूनिवर्स का ऐलान, फिल्म Saaho से हो सकता है लिंक?

Salman Khan Medical Condition: साढ़े सात साल तक इस बीमारी के कारण दर्द को सहते रहे सलमान खान

Salman Khan Abhinav Kashyap Feud: सलमान पर अभिनव कश्यप ने दिया विवादित बयान, कहा ‘भाईजान हमारे जूते.."

about dev anand | actor dev anand date of birth | actor dev anand life history | dev anand age at death | Dev Anand And Suraiya | dev anand article | Dev Anand birthday | dev anand birthday anniversary | Dev Anand Birth Anniversary | dev anand cid movie | dev anand bungalow trasform | dev anand films | dev anand film screening news in hindi | dev anand famous songs | dev anand guide movie | Autobiography of Dev Anand | best dev anand movies | best of dev anand songs list | bollywood news | big Bollywood news here instantly | bollywood news 2025 not present in content

Advertisment
Latest Stories