Advertisment

Birthday ए मेरे वतन के लोगों... एक कवि हुए थे प्रदीप, उनकी सुनों कहानी

कवि प्रदीप का नाम यूं तो आपके दिमाग में शायद तुरंत स्ट्राइक न करे लेकिन अभी मैं आपसे कहूँ कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज़ में ‘ए मेरे वतन के लोगों.. ज़रा आँख में भर लो पानी.., जो शहीद हुए हैं उनकी..

New Update
Kavi Pradeep B'day Banner

कवि प्रदीप का नाम यूं तो आपके दिमाग में शायद तुरंत स्ट्राइक न करे लेकिन अभी मैं आपसे कहूँ कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज़ में ‘ए मेरे वतन के लोगों.. ज़रा आँख में भर लो पानी.., जो शहीद हुए हैं उनकी.. ज़रा याद करो कुर्बानी’ जैसा दिल हिला देने वाला देशभक्ति गीत आपने सुना है आपका जवाब ज़रूर ‘हाँ’ में आएगा।

कवि प्रदीप हड़ गए कि ये गीत कोई गायेगा तो वो लता मंगेशकर ही होंगी

lata ji

ये आँखें भिगा देने वाला गीत कवि प्रदीप ने ही लिखा था। 1962 की जंग में चीन के साथ जूझने के बाद हमारी हार हुई थी और बहुत से सैनिक की क्षति हुई थी; उन्हीं सैनिकों की श्रद्धांजलि देने हेतु कवि प्रदीप ने ये गीत लिखा था और इस गीत को गाने का जिम्मा पहले आशा भोसले को मिलना था लेकिन इस गीत के कॉम्पोज़र सी रामचन्द्र ने जाने क्या कहा और कवि प्रदीप ने जाने क्या समझा कि वो ज़िद पर अड़ गए कि ये गीत लता मंगेशकर ही रोकॉर्ड करेंगी। बात लता मंगेशकर तक पहुंची तो वो हाँ न कह सकीं, आखिर कैसे अपनी बहन आशा भोसले का गाना वो गा सकती थीं, लेकिन कवि प्रदीप हड़ गए और बोले आप एक बार ये गाना सुन लीजिए, फिर तय कीजिए। जब लता जी ने ये गीत सुना तो उनकी आँखें नम हो गईं। वो रिकॉर्डिंग के लिए राज़ी तो हो गईं पर उन्होंने भी एक शर्त रख दी कि जिस वक़्त इस गाने की रीहर्सल होगी उस वक़्त कवि प्रदीप भी वहीं मौजूद रहेंगे।

गीत के बोल

ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आये

ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी

जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गये अमर बलिदानी

poet

singer

और इस तरह ये कालजयी, अबतक का सबसे देशभक्ति भरा गीत वजूद में आया। 1963 में गणतंत्र दिवस के दिन लता मंगेशकर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने इसे गाया और जब ये गीत खत्म हुआ तो नेहरू जी समेत सबकी आँखें भीगी हुई थीं। कुछ तो फूट-फूटकर रो रहे थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस गीत को लिखने के लिए कवि प्रदीप को राष्ट्रीय कवि के रूप में सम्मानित भी किया था।

इस गीत को पढ़िए और सुनिए –

लेकिन ये अकेला गीत नहीं जिससे कवि प्रदीप की पहचान है। सन 50 में आई अशोक कुमार की फिल्म ‘मशाल’ में कवि प्रदीप का एक ऐसा गाना था जो बहुत हिट हुआ था। इस गीत के बोल थे “ऊपर गगन विशाल, नीचे गहरा पाताल बीच में धरती, वाह मेरे मालिक तूने किया कमाल”

मन्ना डे ने ये गीत गाया था व सचिन देव बर्मन इसके कॉम्पोज़र थे। इस गीत के बोल भी बहुत मीनिंगफुल हैं, मुलाहजा फरमाइए

mashaal

ऊपर गगन विशाल
नीचे गहरा पाताल
बीच में धरती वाह मेरे मालिक
तूने किया कमाल
अरे वाह मेरे मालिक
क्या तेरी लीला
तूने किया कमाल
ऊपर गगन विशाल..

एक फूँक से रच दिया तूने
सूरज अगन का गोला
एक फूँक से रचा चन्द्रमा
लाखों सितारों का टोला
तूने रच दिया पवन झखोला
ये पानी और ये शोला
ये बादल का उड़न खटोला
जिसे देख हमारा मन डोला
सोच-सोच हम करें अचम्भा
नज़र न आता एक भी खम्बा
फिर भी ये आकाश खड़ा है
हुए करोड़ों साल मालिक
तूने किया कमाल
ऊपर गगन विशाल..

प्रदीप कवि सिर्फ लिखते ही नहीं थे बल्कि वो गाते भी बहुत बढ़िया थे। उन्होंने बहुत से भजन, जिनमें मशहूर ‘जय जय संतोषी माता’ भी शामिल है। वो बहुत धार्मिक व्यक्ति थे और दुनिया को भी भगवान की शरण में रहने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे।  उनका एक और सदा बहार गीत – ‘देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान’ आज तक दोहराया जाता है।

family

गांधी जी पर कवि प्रदीप का ये गीत आपने ज़रूर सुना होगा -

दे दी हमें आज़ादी बिना खड़क बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।

कवि प्रदीप बच्चों के लिए लिखना भी बहुत पसंद करते थे। उन्होंने ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की’ गीत न सिर्फ लिखा था बल्कि गाया भी था।

इसके इतर निम्नलिखित कुछ और नगमें हैं जो उनके बहुत मशहूर हुए थे –

kavi

मुखड़ा देख ले प्राणी ज़रा दर्पण में

कान्हा बजाए बाँसुरी, ग्वाले बजाए मँजीरे

हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के

इंसान का इंसान से हो भाई-चारा, यही पैगाम हमारा

ये जवानी फिर न आनी, ए बाबू

तेरे द्वार खड़ा भगवान

मेघवा, गगन बीच झाँके..

ऐसे ही और सैकड़ों गाने हैं जो कवि प्रदीप ने अपनी कलम से इस तरह लिखे कि कभी न भुलाये जा सकेंगे लेकिन एक गाना मैं आपको ऐसा बताता हूँ जिसे सुन आप हैरान हो जायेंगे “एक चतुर नार कर-कर शृंगार”

दादा साहब फाल्के अवॉर्ड समेत बहुत से अवार्ड्स अपने नाम कर चुके थे

poet

नहीं नहीं, अगर आप सोच रहे हैं कि मैंने कर के शृंगार की जगह गलती से कर-कर शृंगार लिखा है तो आप गलत सोच रहे हैं। ये गाना ऑरिजिनली कवि प्रदीप ने ही लिखा था और दादा मुनि कहलाये जाने वाले ‘अशोक कुमार’ पर सन 41 में आई फिल्म ‘झूला’ फिल्माया गया था। इसी गीत का मुखड़ा लेकर राजेन्द्र किशन ने सन 68 में आई अशोक कुमार के ही भाई किशोर कुमार, सुनील दत्त, महमूद और सायरा बानों की फिल्म ‘पड़ोसन’ में नए तरीके से पेश किया था और गाना इतना बड़ा हिट हुआ कि लोग ऑरिजिनल को भुला बैठे।

padosan

दादा साहब फाल्के अवॉर्ड विनर कवि प्रदीप के जन्मदिन पर मायापुरी की पूरी टीम उन्हें याद करती है व उन्हें नमन करती है।

Tags : kavi-pradeep-birthday | kavi-pradeep kavi pradeep | Kavi Pradeep birthday 

Read More:

Poonam Pandey के खिलाफ पुलिस ने दर्ज की FIR, रचा था मौत का झूठा नाटक

Shambhu Song Out: महादेव की भक्ति में डूबे Akshay Kumar

इस वजह से रणबीर के हाथ से निकली थी Sandeep Reddy Vanga की कबीर सिंह

Grammy Awards 2024 में शंकर महादेवन और जाकिर हुसैन ने रचा इतिहास

Advertisment
Latest Stories