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हामिद अली खान उर्फ अजीत खान की एक अनसुनी कहानी

एक नौजवान हीरो बनने के लिए बम्बई आया. पास में पैसे कम थे इसलिए क्राफर्ड मार्केट के पास किसी धर्मशाला में पांच रूपये दैनिक पर इतनी जगह मिल गई जहां कि ट्रंक रखा जा सकता था. यह और बात है कि उस टैंक पर सोने वाले से सोने के पैसे नहीं लिए जाते थे.

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हामिद अली खान उर्फ अजीत खान की एक अनसुनी कहानी
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एक नौजवान हीरो बनने के लिए बम्बई आया. पास में पैसे कम थे इसलिए क्राफर्ड मार्केट के पास किसी धर्मशाला में पांच रूपये दैनिक पर इतनी जगह मिल गई जहां कि ट्रंक रखा जा सकता था. यह और बात है कि उस टैंक पर सोने वाले से सोने के पैसे नहीं लिए जाते थे. दिन भर वह स्टूडियो के चक्कर लगाया करता और रात को ट्रंक पर आकर सो जाता. उस कमरे के पास ही गुंडे रात को जुआ खेला करते थे. और लोगों की नींद में खलल डालते थे, नौजवान की भी कई बार नींद खराब हुई थी. किन्तु उसे तो हीरो बनना था. इसलिए वह उनके मुंह नहीं लगता था.

हामिद अली खान उर्फ अजीत खान

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Ajit Khan Dialogue

एक रात, दिन भर का थका हारा नौजवान घोड़े बेचकर सो रहा था. यकायक शोर मचा और उसकी नींद टूट गई. देखा तो कमरे में भूचाल आया हुआ है. पुलिस ने जुआरियों को पकड़ने के लिए रात को छापा मारा था. जुआरी अपनी जान बचाने के लिए कमरे में घुस आये थे. पुलिस कमरे में घुसकर जुआरियों को पकड़ रही थी. पुलिस वहां से सबको पकड़ कर प्रिंसेस स्ट्रीट के थाने में ले गई. सबको अन्दर बन्द कर दिया. और इन बन्द होने वालों में वह नौजवान भी था.

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यह घटना शनिवार की रात को पेश आई थी. अगले दिन रविवार था इसलिए पेशी सोमवार से पहले नहीं होनी थी. इसका अर्थ यह था कि एक ऐसे अपराध में जो कि उसने किया भी नहीं, दो रातें जेल में काटनी पड़ेगी. यह ख्याल आते ही नौजवान बच्चों की तरह फूट-फूटकर रोने लगा. नौजवान की हालत देखकर ड्यूटी पर इंस्पैक्टर उसके पास आया और रोने का कारण पूछने लगा, नौजवान ने उसी तरह रोते हुए कहा, मैं निर्दोष हूं. मुझे रिहा कर दीजिए.

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इंस्पैक्टर को नौजवान की बात में कुछ सत्य की झलक नजर आई. वह बोला,‘‘अगर तुम बेकसूरों की शिनाख्त करके अपराधियों को वहीं छोड़ दो तो तुम्हारे साथ दूसरे बेगुनाहों को भी छोड़ दूंगा’’

नौजवान ने इंस्पैक्टर की शर्त मान ली और दरिया में रहते हुए मगरमछ से बैर मोल ले लिया. परन्तु उसे वहां रिहाई मिल गई.

सोमवार को नौजवान अपना भाग्य आजमाकर वापस आया तो देखा एक भयानक किस्म का दादा रामपुरी चाकू खोले उसका रास्ता रोके खड़ा है, ‘‘बोल तूने उस दिन थाने में बेकसूरों के साथ मुझे क्यों नहीं निकलवाया? अब तुझे उसकी कीमत अपनी जान से देनी पड़ेगी.

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नौजवान इतना सुनकर डर के मारे कांपने लगा. फिर न मालूम कहां से उसमें साहस आ गया कि दादा के चाकू के वार से बच कर सीधा पुलिस स्टेशन भागा चला गया. इंस्पैक्टर ने नौजवान की कहानी सुनी और तुरन्त जीप निकाल कर उस दादा की तलाश में निकल गया.

पुलिस ने दादा को गिरफ्तार करने के पश्चात बुरी तरह पिटाई की. उस दिन के बाद से दादा सीधा हो गया. उस नौजवान की धाक बैठ गई.

इस नौजवान फिल्मों का दादा और गेन्गस्टा बाॅस जैसी खलनायक की भूमिकाएं निभाई हैं  हालांकि उस वक्त वह हीरो बनने आया था. और हीरो बना भी. लेकिन समय के साथ समझौता करके वह नायक से खलनायक बन गया और अपने टाईम में जितनी कीमत लेता था, उसके पांच गुना आज ले रहा है. उसे नौजवान को आज आप अजीत के नाम से पहचानते हैं.

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