Birth Anniversary: Nargis Dutt जी से मेरी पहली और आखिरी मुलाकात गपशप: Nargis Dutt Birth Anniversary: जब मैं 48 साल पहले के अपने जीवन को मुड़कर देखता हूँ, जहां विभिन्न प्रकार के लोगों से मेरी मुलाकात हुई, और साथ ही बीते दिनों की घटनाएँ जिसका मैं साक्षी रहा हूँ. By Ali Peter John 01 Jun 2024 in गपशप New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर गपशप: Nargis Dutt Birth Anniversary: जब मैं 48 साल पहले के अपने जीवन को मुड़कर देखता हूँ, जहां विभिन्न प्रकार के लोगों से मेरी मुलाकात हुई, और साथ ही बीते दिनों की घटनाएँ जिसका मैं साक्षी रहा हूँ उसे भी याद करता हूँ तो मेरे लिए यह विश्वास करना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि मैं इन सबसे मिला हूँ, सबको मैंने देखा है और उन सबके साथ मुझे जीवन भर का रिश्ता बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. इसीलिए मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि क्यों मुझे सिर्फ एक ही मौका और कुछ घंटें ही मिले,महान शख्सियत नरगिस दत्त जी से मिलने के. मैंने नरगिस दत्त जी को भारतीय स्पैस्टिक्स सोसायटी और भारतीय कैंसर सोसायटी द्वारा आयोजित बहुत से समारोह में देखा है.वह इन सभी संस्थाओं की संस्थापिका रही हैं. मैंने उन्हें बहुत से फिल्मी समारोह में भी देखा है. नरगिस दत्त की कुछ अनसुनी बातें पर मैंने उन्हें सबसे करीब से उस समारोह में देखा था जहाँ उनके बेटे को पूरी फिल्म इंडस्ट्री के उपस्थिति में एक अभिनेता के तौर पर पहचान कराई गई थी. यह समारोह महबूब स्टूडियो में रखी गई थी जहाँ मैंने उन्हें किसी भी अतिथि से बात करते हुए नहीं देखा. महबूब स्टूडियो को नरगिस दत्त जी के पति सुनील दत्त जी ने ऐसे सजाया था मानो वहाँ किसी एक इंसान की ब्लैक एंड वाइट फोटो की प्रदर्शनी लगी हो जहाँ उस इंसान के अलग-अलग भाव-भंगिमाएँ है दिखाई गई हो,और यह इंसान उनका बेटा संजू था. इस समारोह के बाद भी नरगिस जी और सुनील जी के खुशी के आँसू नहीं रुक रहे थे और यह काफी भावपूर्ण दृश्य था. अतिथि गण में दिलीप कुमार और उस समय के जाने-माने फिल्मी सितारे और निर्देशक भी थे जो यह दर्शाता है कि दत्त परिवार कितने लोकप्रिय रहे हैं. इस समारोह के कुछ ही दिनों बाद की बात है, जब मुझे नरगिस जी ने खुद फोन किया और पूछा कि क्या मैं उनके बंगले,पाली हिल में उनसे मिलने आ सकता हूँ. मैं उस महिला को कैसे ना कर सकता था जिससे मैं हमेशा से मिलना चाहता था. मैं उनके बंगले पर शाम के 5:30 बजे पहुंचा तो मैंने देखा कि वह अपनी उसी मशहूर उजली सारी और अपने चेहरे की मुस्कान जो अभी भी समय और उम्र से अछूत है,के साथ मेरा इंतजार कर रही थी. यह मेरे लिए विश्वास कर पाना मुश्किल हो रहा था कि 'मदर इंडिया'और वह महिला जो राजकपूर के साथ 17 फिल्मों में काम कर चुकी हैं और जिन्हें राज कपूर ने आर.के साम्राज्य के संस्थापकों में से एक माना है वह इतनी विनीत है .अौर वह उन दिनों को भूल चुकी है जब वह महान महिला कलाकारों में से एक थी.अब खुद को एक गृहिणी, दत्त जी की पत्नी और 3 बच्चों की मां के रूप में ढाल चुकी है. एक कप चाय और कुछ काफी स्वादिष्ट नमकीन,जिनको उन्होंने अपने निरीक्षण में बनवाया था,खाने के बाद ,नरगिस जी ने मुझे अपने यहाँ बुलाने का उद्देश्य बताना शुरू किया. पूरे 1 घंटे के लिए उन्होंने सिर्फ 'संजू बाबा' के बारे में बात की. उन्होंने स्वीकार किया कि संजय नशीले पदार्थ के आदी हो गए है और इसके पीछे उन्होंने खुद को जिम्मेदार माना. नरगिस जी ने बताया कि संजय बोर्डिंग स्कूल के समय से ड्रग्स ले रहे थे और यह बात नरगिस जी को सबसे पहले पता चली थी पर अपने पुत्र-मोह के कारण उन्होंने सुनील दत्त को यह बात नहीं बताई, जब तक बात हाथ से नहीं निकल गई और संजू बाबा काफी मात्रा में ड्रग्स का सेवन करने लगे जिससे छुटकारा पाना अब मुश्किल हो गया था. उन्होंने कहा कि संजू बाबा एक बहुत ही संवेदनशील लड़के लड़के थे जिनका ख्याल रखना चाहिए था और यही कारण था जिसके लिए उन्होंने मुझे बात करने के लिए बुलाया था. उन्होंने मुझसे उनके बेटे का ख्याल रखने को कहा और यह भी कहा कि वह मेरी लेखनी पढ़ती है और मुझे एक सकारात्मक लेखक के तौर पर देखती हैं. उन्होंने मुझसे निवेदन कि कि मैं उनके पुत्र की गलतियों और कमजोरियों को फिर से देखूँ ,समझूँ और लोगों को असल संजू बाबा कौन है यह समझाऊँ. उन्होंने कहा कि,मुझे एक पत्रकार की ताकत का पता है.एक पत्रकार बड़े से बड़े लोकप्रिय और प्रतिभावान कलाकार को बना सकता है और तोड़ भी सकता है. यह हमारे समय से हो रहा था,अब और भी ताकतवर हो गया है. मुझे पता है कि संजू बाबा को खुद ही अपनी लड़ाई लड़नी होगी पर आप जैसे कुछ लोगों की अगर थोड़ी सी भी मदद मिल जाए तो यह उसके लिए काफी मददगार होगा.मैं आशा करती हूँ कि एक माँ के तौर पर मैं आपसे क्या कहना चाह रही हूँ, यह आप समझ रहे होंगेे.यह बातें मुझे सफेद साड़ी पहनी उस औरत ने कहा जिनकी आँखों से आँसू किसी भी क्षण गिरने ही वाले थे. मैंने एक पुत्र के लिए उसकी माँ का इतना सारा प्यार बहुत समय बाद देखा था. हमारी बातें खत्म हो गई थी और मैं उस वक्त यह बताने की हालत में नहीं था कि मैं इस मुलाकात के बाद कैसा महसूस कर रहा हूँ. मैं बिल्कुल कृतार्थ हो गया जब नरगिस जी मुझे गेट तक छोड़ने आयी और अपने ड्राइवर से कहा कि मुझे मेरे गंतव्य स्थान तक छोड़ दें. वह उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा राज्यसभा की सदस्य भी निर्वाचित हुई थी और बहुत सारे समस्याओं पर काम भी करना चाहती थी पर वह कर नहीं पाई. वह एक ही बार सदन में बोली जब उन्होंने सत्यजीत रे की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि सत्यजीत रे अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए देश की सिर्फ और सिर्फ गरीबी दिखाते हैं. उनको अपनी इस बयान की वजह से काफी विरोध भी झेलना पड़ा.यहाँ तक कि उनके इंडस्ट्री के कुछ सह कलाकार भी उनके इस कथन के विरुद्ध में थे.और इनमें से एक थे मेरे गुरु और दत्त परिवार के काफी करीबी दोस्त के.ए.अब्बास. संजय दत्त की पहली फिल्म रॉकी बहुत ही तेज गति से शूट हुई थी और उसी दौरान अचानक से यह पता चला कि नरगिस को कैंसर है. दत्त साहब उनको लंदन के स्लोआन कैटरिंग अस्पताल लेकर गए जो कैंसर के ईलाज़ के लिए ही मशहूर है. वहाँ उन्होंने नरगिस जी के साथ अस्पताल में 3 महीने बिताएँ. अस्पताल में भी नरगिस जी सिर्फ संजू बाबा को लेकर ही परेशान रहती थी क्योंकि संजू की ड्रग्स के प्रति रुचि बढ़ती जा रही थी जो उनके कैरियर के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा था. वह अपने तीनों बच्चे,संजू बाबा ,नम्रता और प्रिया से बातें करती थी और चिठ्ठियाँ लिखा करती थी,पर सबसे ज्यादा चिट्ठियां उन्होंने संजय बाबा को ही लिखी, जब वह अस्पताल में थी. उनकी कैंसर ठीक नहीं हो रही थी और उन्होंने घर जाने का सोचा क्योंकि वह अस्पताल में नहीं मरना चाहती थी. 3मई को उनकी सभी लड़ाइयाँ ,सभी मुश्किलों का अंत हो गया.यहाँ तक कि वह रॉकी फिल्म की रिलीज भी नहीं देख पाईं. सुनील दत्त जी ने नरगिस जी को मरणोपरांत सम्मान देने के लिए थिएटर में एक कुर्सी खाली छोड़ दी थी.उनका मानना था कि नरगिस जी अब भी वहाँ मौजूद हैं. अब बहुत साल गुजर चुके हैं,संजू बाबा आप संजय दत्त हैं, जिन्होंने अपने जीवन में काफी मुश्किल समय देखें. हालाँकि उन्होंने अपने ड्रग्स की आदत छोड़ दी जब वह बहुत मुश्किल में थे. अब जब संजय अपने जीवन में पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें लगता है कि यह उनकी माँ की आवाज थी जो उन्होंने टेप रिकॉर्डर पर रिकॉर्ड की थी और उनकी माँ की चिट्टियां थी जिसने उन्हें अपने जीवन में फिर से अच्छाई की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया. अली पीटर जॉन Read More: SAVI Review: दिव्या खोसला के मजबूत कंधो पर सवार हुई सावी नंदमुरी बालकृष्ण ने मंच पर अंजलि को दिया धक्का, एक्ट्रेस ने किया बचाव धड़क 2 को लेकर बोले श्रेयस पुराणिक, कहा-'धर्मा फिल्म पर काम करना...' 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