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यह फिल्मी दुनिया भी अजीब नगरी है. यहां लोग रोमांस करते हैं तो लगता है कि शादी कर चुके हैं. और शादी करते हैं तो पता चलता है कि तलाक की नौबत आ गई है. हद तो यह है कि बरसों तक बहन-भाई की तरह रहने वाले भी पति-पत्नी बन जाते हैं. और जिनकी शादी के समाचार छप जाते हैं वह फिर खुद ही खन्डन करते नजर आते हैं. इसी लिए कहते हैं कि यहां के लोग उस ऊंट के समान हैं जिसकी कोई कल सीधी नहीं होती.
12-14 वर्ष तक निर्माता-निर्देशक राज कुमार कोहली (जो अब नागिन रिलीज कर रहे हैं.) और निशी (जो नागिन प्रस्तुत कर रही हैं) भाई-बहन के तौर पर साथ रहते थे. एक दिन पता चला कि दोनों ने शादी कर ली है. और अब तो माता पिता भी बन गए हैं. राजेश खन्ना और अंजु महेन्दु का रोमांस इस जोर-शोर से चल रहा था कि राजेश के जीवन में उसका दखल देखकर लोग कहते थे कि दोनों ने गुप्त रूप से शादी कर रखी है. किन्तु इसके बावजूद दनियां ने देखा कि वह राजेश जो अंजु के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता था. डिम्पल से शादी रचा बैठा. उसी जमाने में जया-अमिताभ के बारे में भी ऐसी ही अफवाहें थी. किन्तु दोनों सिवाए 'दोस्ती' के हर बात का खन्डन करते थे. हद तो यह है कि विवाह के दिन भी जब लोगों को पता चला तो घर से खन्डन ही किया गया. जब तक कि दोनों की शादी के चित्र अखबारों में न छप गए.
आज से 22 वर्ष पूर्व की एक ऐसी ही शादी का दिलचस्प हालात आप को सुनाने का इरादा है. इससे आप को इस बात का अनुमान हो जाएगा कि इस तरह की ड्रामेबाजी फिल्म वालों की छुट्टी में पड़ी हुई है.
उस समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री श्यामा ने एक सुप्रसिद्ध छायाकार फली मिस्त्री (जिसकी फिल्म 'सजा' में वह सहनायिका थी) से शादी रचा ली थी) किन्तु दोनों ने अपने तौर पर उसकी घोषणा न की. पत्र-पत्रिकाओं में जब इस शादी के समाचार छपे तो श्यामा ने उस समाचार का कड़े शब्दों में खन्डन किया और उसे निराधार बताया. किन्तु उसके छपने के तुरंत बाद श्यामा के पिता हाजी मेहरदीन ने शादी की पुष्टी में बयान दिया जिससे हालात पर पूरी तरह प्रकाश पड़ता है और श्यामा का सच और झूठ. दूध का दूध और पानी का पानी सामने आता है. हाजी जी का 22 वर्ष पूर्व का बयान इस प्रकार था.
"मेरी बेटी खुर्शीद उर्फ श्यामा की शादी को लेकर फिल्म इन्डस्ट्री में बहुत-सी बातें फैल रही है. समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में भी बहुत कुछ छप चुका है. इसलिए मैं असल समझता हूं. ताकि लोगों में श्यामा और मेरे संबंध में फैली हुई गलत फहमियां दूर हो जाएं."
श्यामा औ फली मिस्त्री के आपसी संबंधों को मैं पिछले एक साल से जानता हूं. इस दौरान एक दिन श्यामा ने फली को घर पर दावत दी. मैंने खाने से पूर्व बात करना उचित न समझा. बाद में मैंने श्यामा के सामने फली से साफ-साफ पूछा कि उसका श्यामा से शादी करने का इरादा है तो मुझे बता दे. मैं उनकी शादी की योजना को अमली रूप देने में सहायक सिद्ध हो सकूं. मैं नहीं चाहता था कि उनके बीच मुलाकातों का एक लम्बा सिलसिला जारी रहे. और वे किसी नतीजे पर न पहुंच सकें. एक बाप की हैसियत से मेरी तमन्ना थी कि वह दोनों राजी हों तो सदा के लिए शादी के रिश्ते में बांध दूं. मेरे प्रश्न के उत्तर में फली मिस्त्री ने कहा, 'मैं शादी नहीं कर सकता क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं है.' इस पर मैंने कहा, 'पैसों की क्या जरूरत है? अगर तुम खुश हो तो मैं भी खुश हूं. मेरी ओर से कोई रूकावट नहीं है.' मेरे और फली के बीच बस इतनी ही बातचीत हुई. इसके बाद मैंने कभी कुछ नहीं कहा.
अखबारों में श्यामा और फली के बारे में जो कुछ लिखा गया है बहुत कुछ दरूस्त है. किन्तु मैं इतना बताना आवश्यक समझता हूं कि मैंने उनके रास्ते में कोई रूकावट नहीं डाली. और न हीं मैं इस शादी का विरोधी हूं. अलबत्ता मैं यह नहीं चाहता था कि वह रात-रात भर फली के फोन के इन्तजार में बैठी रहे. और यह तक ख्याल न करे कि बाहर उसके बालिद और दूसरे घर वाले बैठे हैं. हां, एक बार ऐसा जरूर हुआ कि रोज-रोज के टेलीफोन से तंग आकर मैंने फोन खराब कर दिया था. दूसरे दिन टेलीफोन वाले ठीक करने आये तो मैं घर पर मौजूद नहीं था. अगले रोज जब श्यामा शाहिद लतीफ की फिल्म 'दरवाजा' की शूटिंग करने जा रही थी तो उसने जलभुन कर मुझ पर आरोप लगाया कि मैंने टेलीफोन वालों को गालियां दी हैं. और साथ ही यह भी कहा कि टेलीफोन को आग लग जाए. चूंकि वह मुझ पर गलत इल्जाम लगा रही थी. उस वक्त मैं घर पर मौजूद भी नहीं था तो मैंने गुस्से में आकर कहा कि तुम्हारे घर को भी आग लग जाए और तुम्हें भी ! यह सुनकर उसने मुझे जवाब दिया. तो फिर मुझे घर से निकाल दीजिए.' इस पर मैंने कहा-'तुम्हें रोका किसने है. तुम खुशी से जा सकती हो."
श्यामा ने इसके बाद एक और स्कीम सोची. उसने मुझे राज टाकीज इन्दौर के सिलसिले में वहां जाने को कहा. और मेरे इन्दौर जाते ही अपनी मां को एक शादी में भाग लेने के लिए पाकिस्तान भेज दिया. इसके कुछ दिन बाद उसने अपनी भाभी को भी घर से निकाल दिया. और इस प्रकार अपने लिए मैदान साफ कर लिया. उसकी भाभी इंदौर पहुंची और मुझे खबर दी कि श्यामा फली मिस्त्री के साथ शादी कर रही है. किन्तु मैंने उस ओर ध्यान नहीं दिया. मैंने सोचा कि शायद यह ननद भावज का झगड़ा है. लेकिन दूसरे ही दिन मुझे मेरे नवासे शाहदीन ने बम्बई से तार भेजकर फौरन बम्बई पहुंचने को लिखा. और मैं तुरन्त बम्बई आ गया. यहां आकर मैंने उससे कुछ नहीं कहा. किन्तु एक बात और स्पष्ट करके बता दूं. प्रायः यह ख्याल किया जाता हैं कि फिल्मी लड़कियों के मां बाप दौलत के लालच में अपनी लड़कियों की शादी में रूकावट डालते रहते हैं. मगर मेरे साथ ऐसी कोई बात न थी. मुझे तो जीने के लिए सदा अपनी आय का सहारा रहा है. बल्कि मैं अब तक अपने घर के सारे खर्चे खुद बर्दाश्त करता रहा हूं. इसलिये श्यामा या घर का कोई आदमी यह आरोप नहीं लगा सकता कि मैंने उसे शादी की इजाजत नहीं दी. वह अपने भले बुरे की स्वयं जिम्मेवार है.
आखिर मैं यह पूछना चाहता हूं कि श्यामा आजकल अपनी सफाई में अखबारों में अपनी शादी का खन्डन छपवा रही हैं तो क्या उसके नजदीक दुनियां बेवकूफ और अंधी है वह यह क्यों भूल गई कि दुनियां की आंखें हमेशा खुली रहती है. बेहतर यही होगा कि वह अपनी आंखें खोलने की कोशिश करे.
-पूर्व लेख
-Shyama Yaado Ke Dayre Writer Z.A.Johar
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