Birthday Special Yash Johar: यश जोहर से कैसे शाहरुख खान ने करण जौहर को दिलवाया था उनका पहला ब्रेक By Ali Peter John 06 Sep 2023 | एडिट 06 Sep 2023 04:30 IST in बीते लम्हें New Update यश जौहर उद्योग के प्रमुख व्यत्कियों में से एक थे, जो न केवल ‘दोस्ताना, ‘दुनिया’ और ‘अग्निपथ’ जैसी फिल्में बनाने के लिए जाने जाते थे, बल्कि एक प्रसिद्ध प्रोडक्शन कंट्रोलर भी थे, जो देवानंद, सुनील दत्त और यहां तक कि कई हॉलीवुड कंपनियों जैसे पुरुषों द्वारा बनाई गई फिल्मों के निर्माण की देखभाल करते थे. करण जौहर उनके इकलौते बेटे थे जिन्होंने बचपन से ही फिल्मों के लिए अपना जुनून दिखाया था! यश चाहते थे कि, करण उन निर्देशकों के साथ काम करके फिल्म बनाने के बारे में अपने सभी सबक सीखें जो उनकी नौकरी के लिए अच्छे थे. यह आदित्य चोपड़ा थे जो करण के बचपन के दोस्त थे जिन्होंने उन्हें एक अभिनेता के रूप में ब्रेक दिया और जिन्होंने उन्हें अपने सहायक निर्देशकों में से एक के रूप में भी लिया. उन्होंने एक साथ ‘डीडीएलजे’ बनाई और इतिहास जानता है कि फिल्म कितनी बड़ी हिट साबित हुई और अब भी है. ‘डीडीएलजे’के निर्माण के दौरान करण ने आदित्य को अपनी लिखी एक स्क्रिप्ट के बारे में बताया जिसे वह खुद निर्देशित करना चाहते थे. समय बीतता गया और करण और शाहरुख सबसे अच्छे दोस्त बन गए! उनकी कई मुलाकातों में से एक के दौरान करण ने शाहरुख को अपनी स्क्रिप्ट सुनाई, उन्हें यह बहुत पसंद आई और उन्होंने उस समय करण को कुछ नहीं कहा. यह करण के लिए अपना भी टाइम आएगा जैसा मामला था. यश अपनी अगली फिल्म बनाने के लिए एक विषय की तलाश में थे और जब उन्हें स्क्रिप्ट मिली तो उन्हें लगा कि शाहरुख ही एकमात्र अभिनेता हैं जो इसके साथ न्याय कर सकते हैं. यश जौहर ने यश चोपड़ा के साथ मिलकर शाहरुख को उस जगह को खरीदने में मदद की थी जहां अब मन्नत खड़ा है, शाहरुख से संपर्क किया और उन्हें अपने बैनर धर्मा प्रोडक्शन के लिए एक फिल्म करने के लिए कहा. और शाहरुख को अपने दोस्त करण की मदद करने का मौका मिला. उन्होंने यश जौहर से कहा कि वह अपनी फिल्म करण जौहर के निर्देशन में ही करेंगे. यश जौहर के पास कोई विकल्प नहीं था. करण ने अपनी पहली फिल्म “कुछ कुछ होता है” का निर्देशन किया और बाकी सब एक इतिहास है जिसका समय गवाह रहा है. कभी कभी एक लम्हा भी इतिहास को बदल सकता है और छोटी-छोटी रोजमर्रा कि जिन्दगी में तो वक्त ऐसे-ऐसे कमाल करता है की इंसान बस देखता ही रहता है और इसलिए साहिर साहब की वो लाइन बार बार याद आती है, “आदमी को चाहिए की वक्त से डर कर रहे, ना जाने कब वक्त का बदले मिजाज! हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article