/mayapuri/media/post_banners/735db7a1c036fdde41bfd4a4b033c293acf559febaecb8767deab846a803e1ed.png)
सचिन देव बर्मन यानी सचिन दा, म्यूजिक की दुनिया के बेताज बादशाह थे. सन 50 और 60 के दशकों में उनका संगीत फिल्म म्यूजिक इंडस्ट्री की विरासत की तरह है. सचिन दा संगीत जितना प्रभावशाली था, उनका व्यक्तित्व उससे भी ज़्यादा असरदार और काबिल-ए-गौर था. सचिन दा को लोग अक्सर पीठ पीछे कंजूस कहा करते थे. फिर कहते भी क्यों न, सचिन दा पे पास हमेशा एक पान की डिब्बी रखी होती थी लेकिन जब वो किसी को पान ऑफर करते थे तो कुछ इस तरह करते थे “ए देबू, तुम पान खायेगा क्या?” फिर जवाब सुने बिना ही बोल देते थे “नहीं नहीं तुम तो पान खाता नहीं है, फिर क्या करेगा खा के” और पान वापस जेब में रख लेते थे.
वो चाय के लिए भी कुछ यूँ पूछते थे कि जब कोई म्युज़िशियन उनके साथ दो घंटे बैठकर, वापस जा रहा होता था तो कहते थे “अगली बार आयेगा तो तुमको चाय भी पिलाएगा”
/mayapuri/media/post_attachments/9198fdfea35dfb551739f13b64b8ac9bced5b1847c7a45b59cd3fd91ea1b9641.jpg)
/mayapuri/media/post_attachments/164a357ac467e547554f63797f44b53089648411c55e191e89a32a19e04b3f80.jpg)
कुछ ऐसा ही मस्त मिजाज़ था हमारे सचिन दा का. लेकिन एक रोज़ क्या हुआ कि पंडित शिव कुमार शर्मा (संतूर वादक) के घर वह सुबह-सुबह पहुँच गये और घर के बाहर से ही आवाज़ देने लगे. जब शिव कुमार जी बाहर आए तो पूछने लगे “ए शीब, तुम्हारा फ्लोर कौन सा है?”
उन्होंने कहा भी कि “दादा दूसरा फ्लोर है पर आप रुको न मैं आता हूँ” पर दादा ने किसी की नहीं सुनी और झट से ऊपर उनके फ्लैट के सामने जाकर खड़े हो गये. अन्दर भी नहीं आए, बस बाहर से ही बोले “कल तुम बहुत अच्छा संतूर बजाया शीब, हमको बहुत अच्छा लगा, ये रखो” और एक सौ का नोट तुरंत उनको गुड लक के तौर पर दे दिया.
ऐसा ही बच्चों सा लेकिन दिल फरेब मिज़ाज था हमारे सचिन दा बर्मन का.
/mayapuri/media/post_attachments/516b50b0e09b79738dc6d5e7b8cc0b4f5363f30fd0bbf36c82049d67c9f2fed5.jpg)
/mayapuri/media/post_attachments/722a7ac4bde168ba3257549aa2683893f21ae732303d77b76ca3d2573512f936.jpg)
बाकी निगाह तो उनकी इतनी पैनी थी कि एक दफा सिटिंग चल रही थी और सारे क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट प्लेयर बैठे रिहर्सल कर रहे थे कि सचिन दा की पत्नी मीरा किसी रिश्तेदार के भिजवाये बंगाली रसगुल्ले एक प्लेट में रखकर चली गयीं.
अब प्लेट तो सामने रखी है पर खाए कौन, क्योंकि किसी ने पूछा कि नहीं कि आप लोग रसगुल्ले ले लीजिये. लेकिन आने वाले दौर के महान क्लासिकल संगीतकार और बांसुरी वादक हरी प्रसाद चौरसिया ने निगाह बचा के गपागप छः-सात रसगुल्ले खा गये. सचिन दा बैठे सब देख रहे थे पर बोले कुछ नहीं.
अगले रोज़ रिकॉर्डिंग थी और हरी प्रसाद चौरसिया जी का सोलो बांसुरी प्ले था. उन्होंने बहुत अच्छी बांसुरी बजाई. सबको अच्छा लगा. सचिन दा मौके का फायदा उठाकर बोले “वाह, देखो देखो कितना मीठा बजाया होरी ने, कल हमारा सात मीठा-मीठा रसगुल्ला जो खा गया था”
/mayapuri/media/post_attachments/42c2f90cad9c83b5e12d793a8acbe1e70cee75a664678e5ff6623a2a5ba033d9.jpg)
कुछ ऐसी ही अनोखी शक्सियत के मालिक थे हमारे सचिन दा उर्फ़ सचिन देव बर्मन. जो पान के लिए इतने दीवाने थे कि एक बार पान का डब्बा घर भूल जाने के चक्कर में रिकॉर्डिंग छोड़कर वापस आ गये थे. वो अपने पान किसी के भी साथ शेयर नहीं करते थे सिवाए असित सेन, के, असित सेन क्योंकि ख़ुद भी पान खाते थे तो दोनों अपनी-अपनी डब्बी से पान का आदान प्रदान कर लेते थे.
अब आप यूँ सोचेंगे कि असित सेन और सचिन दा की क्या बराबरी. तो सचिन दा किसी का ओहदा या नाम देखकर मुतासिर होने वाले लोगों में नहीं थे. एक रोज़ वहीदा रहमान उनके पास आईं बोलीं दादा एक पान खिला दो, उन्होंने झट डिब्बी निकाली और बोले “ले वहीदा, खा ले, ख़ुश रह”
उसी वक़्त गुरु दत्त भी बोल पड़े के मुझे भी पान दे दो दादा, हमें तो आप मना कर देते हो, जबकि हम तो पान खाते ही हैं, रोज़ खाते हैं.
/mayapuri/media/post_attachments/00e404181819f55b81fe47aa5a48913ec60af3c82532a646b3362b336838b7a7.jpg)
तो दादा तपाक से बोले “अहा, तभी तो नहीं देता. तुम लोग एक के बाद एक पान खाते हो, जैसे वो मीना कुमारी, वो भी एक के बाद एक पान खाता है, हम उसको भी नहीं देता, होगा बड़ा हिरोइन पर हम क्या करे हमारा स्टॉक खतम हो जाता है”
पान के प्रति उनकी दीवानगी भला किससे छुपी है, उन्होंने बंगाली में तो एक गाना ही पान पर बना दिया था जिसका अर्थ था कि नांव किनारे लगाकार आओ पान पाने आओ”
आज के दौर में भला कहाँ कोई संगीतकार किसी दूसरे की तारीफ करता है. पर सचिन दा उनमें से थे जो मदन मोहन के घर पहुँच उन्हें बोलकर आए कि “मोदन, हम रात भर बैठकर तुम्हारा पिच्चर, वो मौसम का गाना सुना, सारा गाना सुना, तुमने बहुत बढ़िया गाना बनाया, बहुत बहुत अच्छा लगा हमको”
सचिन दा की यही अदायगी, यही अंदाज़ कभी न भूलने वाला है. बाकी उनके संगीत को तो श्रोता आज 45 साल बाद भी सुनते हैं, अगले सौ साल बाद भी सुनेंगे. बाकी उन जैसा कंजूस कोई नहीं था तो उन जैसा दिलदार भी आज तक कोई नहीं हुआ.
सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’
/mayapuri/media/post_attachments/899643005a9a085c193fce681aaa5e1cbb7ca3330f301357e9c6b55a14a3698c.jpg)
/mayapuri/media/post_attachments/0fabe6d641605a5c87d6f3fcda53d3a430dfb37bd932e41b7f1c924b2b219d72.jpg)
/mayapuri/media/post_attachments/eaabdab4f76753f34fec5d7fc558cf6a0ff83642d63211e30b7404122c309cc4.jpg)
/mayapuri/media/post_attachments/7a5d8d0780f26fabde563b901307173ced4b39f4f4bbc54c83d682aa2043a60f.jpg)
/mayapuri/media/post_attachments/70defd9eea017fb81cfdcbb6f081b25ec444430f4df10c7793648f2cd7aee5ed.png)
/mayapuri/media/post_attachments/9ba01743069615e57cc3fee950d7bce3f155455293d3e2e1a3905b5e19ff86ed.png)
/mayapuri/media/post_attachments/c0399f099b46e24a0091e6faf003785fba1fd0e322ce8bdc03642bc7aebe37e4.png)
Read More:
Abhishek Bachchan की फिल्म I Want To Talk का ट्रेलर इस दिन होगा रिलीज
ऋतिक रोशन इस दिन से आलिया और शरवरी संग शुरु करेंगे Alpha की शूटिंग
Salman Khan को फिर मिली जान से मारने की धमकी
बॉबी देओल की फिल्म ‘कंगुवा’ के एडिटर Nishadh Yusuf का हुआ निधन
Follow Us
/mayapuri/media/media_files/2025/10/24/cover-2664-2025-10-24-21-48-39.png)