अमेज़न प्राइम वीडियो पर समय से पहले रिलीज़ हुई फिल्म, पढ़ें Gulabo Sitabo Review
अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना स्टारर फिल्म गुलाबो सिताबो की रिलीज़ का फैंस को बेसब्री से इंतज़ार था। वो 12 जून का इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन तय समय से पहले यानि 11 जून की रात को ही इसे रिलीज़ कर दिया गया है। आप इस फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेज़न प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं। लेकिन देखने से पहले यहां ज़रुर जानिए कि आखिर फिल्म है कैसी...और इसे क्यों देखा जाए(Gulabo Sitabo Review)
फिल्म कैसी है, देखने लायक है भी या नहीं ये तो हम आपको बताएंगे ही लेकिन इससे पहले ज़रुरी है फिल्म की मोटा मोटी कहानी जान लेना। तो चलिए बताते हैं कि मिर्ज़ा और बांके की खट्टी मीठी कहानी आखिरी है क्या?
गुलाबो सिताबो की कहानी
फिल्म की कहानी खासतौर से दो किरदारों के इर्द-गिर्द ही घूमती है। एक 78 साल का मिर्ज़ा तो दूसरा 30 साल का बांके। मिर्ज़ा उम्र के साथ और भी लालची, खड़ूस, झगड़ालू व कंजूस हो चुका है जिसका एक ही सपना है हवेली 'फातिमा महल'। हवेली का नाम 'फातिमा महल' इसलिए है क्योंकि ये मिर्ज़ा की बीवी फातिमा की पुश्तैनी जायदाद है और इसी हवेली के लिए मिर्ज़ा ने अपने से 17 साल बड़ी लड़की से शादी की थी। मिर्ज़ा 78 साल का होने के बाद भी इस इंतज़ार में है कि कब उसकी बीवी मरे और ये हवेली उसकी हो जाए।
फातिमा महल में किराए पर रहते हैं 'बांके'
हवेली के कुछ कमरे किराए पर दिए गए हैं जिनमें से एक किराएदार है बांके जो अपनी मां और तीन बहनों के साथ हवेली के एक कमरे में रहता है। कंजूस मिर्जा और अति शाणे बांके की कभी बनती नहीं। यूं कह सकते हैं कि दोनों में टॉम एंड जैरी वाली नोंक झोंक चलती है।
इंटरवल के बाद कहानी में आता है दिलचस्प मोड़
कहानी और भी दिलचस्प तब हो जाती है जब मिर्ज़ा एक वकील के साथ सांठ गांठ कर बिल्डर को हवेली बेचने निकलता है। और बांके है कि एक फ्लैट के चक्कर में अपनी अलग प्लानिंग कर रहा है। अब आखिर में होता क्या है, हवेली किसी को मिलती भी है या नहीं, या फिर दो बिल्लियों की लड़ाई में फायदा कोई तीसरा उठा ले जाता है...ये जानने के लिए आप फिल्म देखिए...क्लाइमेक्स बताकर हम आपका सस्पेंस खराब नहीं करेंगे।
जानें कैसी है फिल्म(Gulabo Sitabo Review)
कहानी तो आपने जान ली अब बारी है रिव्यू की। अनुभवी अमिताभ बच्चन हो या यूथ आइकन आयुष्मान खुराना...एक्टिंग में दोनों ने ही कमाल कर दिया है। बिग बी ने तो किरदार को अपने गेटअप से एक अलग रूप दिया और फिल्म में वो छा गए हैं। आयुष्मान खुराना ज्यादातर फिल्मों में दिल्ली के लौंडे की भूमिका निभाते रहे हैं लेकिन इस बार लखनऊ के एक देहाती के रूप में उन्हें देखना शानदार है। वो कहीं से भी फीके नज़र नहीं आते। गुलाबो सिताबो एक कॉमेडी ड्रामा है और फिल्म अपने इस मूल विषय से ज़रा भी भटकती नज़र नहीं आती। पहले सीन से लेकर आखिर तक ये दर्शकों को गुदगुदाने पर मजबूर करती है। हां...हर चीज़ में इम्प्रूवमेंट की कोई ना कोई गुंजाइश होती ही है और यहां भी ऐसा ही है। थोड़ा और बेहतर बनाया जा सकता था लेकिन जो है वो भी कुछ कम नहीं है। फिल्म में विजय राज बी ने भी शानदार रोल निभाया है उनकी एक्टिंग भी तारीफ के काबिल है।
निर्देशन पर कितने खरे उतरे शूजित सरकार (Gulabo Sitabo Review)
देखिए फिल्मों को लेकर निर्देशक शूजित सरकार की अपनी एक अलग दुनिया है और वो उसी दुनिया में जीते हैं। खास बात ये है कि उनकी दिखाई ये दुनिया दर्शकों को खूब पसंद भी आती रही है। विक्की डोनर, पीकू इसके शानदार उदाहरण भी है। विक्की डोनर में आयुष्मान खुराना और पीकू में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने वाले शूजित सरकार इस फिल्म में दोनों को साथ लाए और उनका ये एक्सपेरीमेंट काम कर गया है। बेहद ही सिंपल कहानी को मज़ेदार और चटपटे अंदाज़ में दिखाने की कला शूजित सरकार को बखूबी आती है। दो बेवकूफ किरदारों की ये कहानी बेहद ही हल्के फुल्के अंदाज़ में कह दी गई है। और हमारी सलाह कि आप इस फिल्म को अपने पूरे परिवार के साथ ज़रुर देखें और आनंद लें।
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