जब भी कहीं कोई परेशान होता है तो अपनों से कहते मिलता है कि 'क्या करूँ मैं गुरुद्वारे चला जाऊँ?' वहीं किसी व्यापारी को काम में नुकसान होने लगे तो वो भी अपने क्लाइंट को ताने मारते हुए कहता है कि 'अब तो गुरुद्वारे जाने की नौबत आ जायेगी?'
कोई सोचे और पूछे कि ये नेगेटिव नेरेटिव क्यों बना हुआ है गुरुद्वारों के लिए? तो मैं जवाब में कहूँगा कि नेरेटिव नेगेटिव नहीं है, आपका पर्सेप्शन नेगेटिव है। सही मायने में गुरुद्वारा एक उम्मीद देता है कि जिसके पास कुछ नहीं है, जिसका कोई नहीं है, जिसके लिए कोई दरवाज़ा नहीं खुलता है, उसके लिए भी एक दरवाज़ा है, एक द्वार है, जिसे हम गुरु का द्वार यानी गुरद्वारा कहते हैं। इसी विश्वास को और पुख्ता करने के लिए बंगला साहिब गुरुद्वारा में अब MRI टेस्ट, अल्ट्रसाउन्ड, डिजिटल एक्स रे और सीटी स्कैन की सुविधा भी शुरु हो चुकी है।
जहां एक ओर प्राइवेट नर्सिंग होम में इन जांचों के लिए कई-कई हज़ार रुपए लगते हैं, वहीं यहाँ पर इन जांच के लिए निम्न वर्ग आय वाले नागरिकों को मात्र 50 रुपए देने होंगे। इसकी घोषणा दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कॉमेटी के अध्यक्ष मंजिन्दर सिंह सिरसा ने की है। ज्ञात हो कि हाल ही में दिल्ली के सिद्धार्थ नगर में माननीय मंजिन्दर सिंह सिरसा जी ने 101 बेड वाला भारत का पहला और इकलौता किडनी डाइऐलिसिस के लिए अस्पताल खोला है। उस अस्पताल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वहाँ कोई बिलिंग काउन्टर ही नहीं है। वहाँ इलाज पूरी तरह, 100% फ्री है।
वहीं बंगला साहिब गुरुद्वारे में ज़रूरी टेस्ट्स को न्यूनतम खर्च पर किया जा रहा है। एक MRI टेस्ट का खर्च 7 से 8000 तक आता है, ऐसे ही बाकी टेस्ट्स भी, जो हज़ारों के खर्च में होते हैं उन्हें मैक्सीमम 1400 रुपए में करवा सकते हैं।
आपको ये भी बताते चलें कि यहाँ की मशीनरी और बेड आदि सब हाई क्वालिटी हैं। इंपोर्टेड मशीनरी है। जिसका मतलब है कि टेस्ट के रेट तो कम हुए ही हैं लेकिन टेक्नॉलजी में किसी किस्म की कोई गुंजाइश नहीं रखी गई है।
दरअसल यहाँ प्रबंधकों ने तीन वर्गों में खर्च को बांटा हुआ है। निम्न आय वर्ग के लिए हर टेस्ट 50 रुपए में करने की सुविधा दी गई है। वहीं मध्यम आय वर्ग के लिए कुछ टेस्ट्स 700 से 1000 रुपए के बीच होंगे। सामान्य आय वर्ग के अंतर्गत मरीज़ों को 1400 रुपए का भुगतान करना होगा।
इस दौरान दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कॉमेटी के अध्यक्ष व अकाली दल के नेता मंजिन्दर सिंह सिरसा से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि “अस्पताल में घुसने वाले मरीज के मन में अपनी बीमारी से ज़्यादा इस बात की चिंता होती है कि यहाँ उसका कितना पैसा खर्च हो जायेगा? फिर खर्च करने लायक पैसा उसके पास है भी या नहीं?”
यकीनन दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कॉमेटी की ये पहल सराहनीय है व इससे बहुतों को लाभ मिलेगा।