जानिए ‘क्वारंटाइन’ में रहने वाले भगवान की कहानी...14 दिनों तक चलता है इलाज By Pooja Chowdhary 20 Mar 2020 | एडिट 20 Mar 2020 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर भक्त ही नहीं भगवान भी होते हैं ‘क्वारंटाइन’, काढ़ा पिलाकर किया जाता है ठीक दुनिया में हाहाकार मचा है कोरोनावायरस से। दवा तो है नहीं तो केवल दुआओं से काम चलाने की कोशिशें जारी हैं। स्थिति बिगड़ी तो हवन, पूजा का सहारा लेना शुरू कर दिया है। जिन्हे कुछ समझ नहीं आ रहा है वो एकांतवास में चले गए हैं यानि सेल्फ 'क्वारंटाइन'। भक्त परेशान है और पूछ रहे हैं “मइयां जी कित्थो आया कोरोना” और क्या है इसका इलाज? लेकिन भगवान तो पहले ही जवाब दे चुके हैं। हमारे पुराण, हमारे शास्त्रों में... देर है तो उसे समझने की। सनातन संस्कृति की देन है 'क्वारंटाइन' जानकर भले ही हैरानी हो लेकिन ये सच है...21वीं सदी में कोरोना से डरकर घर की चारदीवारी में छिपे लोग बस खिड़की में से झांकते ही नज़र आ रहे हैं। “क्वारंटाइन – क्वारंटाइन” की रट लगा रखी है मानो पाश्चात्य सभ्यता ने ना जाने हमें क्या फॉर्मूला बता दिया हो कोरोनावायरस से बचने का। नतीजा लोग - समाज से तो देश – विश्व से दूरी बना चुका है। लेकिन थोड़ा सा ही सही सनातन धर्म से जुड़ा जाए तो पता चल जाएगा कि क्वारंटाइन किसी विकसित पश्चिमी देश की नहीं बल्कि लाखों सालों पुरानी हमारी सनातन संस्कृति की देन है और उसका अटूट हिस्सा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है देश की राजधानी दिल्ली से 1,780 किलोमीटर दूर ओडिशा के पुरी में। 14 दिनों तक 'क्वारंटाइन' में रहते हैं भगवान जगन्नाथ Source - Orissa Post ओडिशा का पुरी जहां पर मौजूद हैं भगवान जगन्नाथ। कहते हैं साल में 14 दिन ऐसे भी आते हैं जब भगवान जगन्नाथ आइसोलेशन में रहते हैं। ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा से भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं जिसके बाद उन्हे उनके भक्तों से पूरी तरह दूर रखा जाता है। ठीक करने के लिए होते हैं कई जतन उन्हे ठीक करने के लिए भी कई जतन किए जाते हैं। कभी अनेकों जड़ी बूटियों से बना काढ़ा पिलाया जाता है तो कभी फलों का रस व दलिया खिलाया जाता है ताकि वो जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके। यानि भक्तों की खातिर भगवान भी हो जाते है क्वारंटाइन। और ये प्रथा सालों से चली आ रही है। मुंबई से न्ययॉर्क की दूरी 12,530 किलोमीटर है जबकि मुंबई से पुरी की दूरी है महज 1,782 किलोमीटर। बावजूद इसके क्वारंटाइन का चलन न्यूयॉर्क से मुंबई तो पहुंच गया लेकिन पुरी से मुंबई तक ये प्रथान ना पहुंच पाई। कारण अपनी सनातन संस्कृति से दूरी और पाश्चात्य सभ्यता से जुड़ाव। अवैज्ञानिक नहीं, बल्कि विज्ञान पर आधारित है हिंदू धर्म Source - Sanatanjan केवल दुनिया के कई देश ही नहीं बल्कि आज भारत में युवा पीढ़ी भी इस बात को मानने से परहेज़ नहीं करती कि भारत एक अवैजानिक और अंधविश्वास को मानने वाला देश है। क्वारंटाइन और आइसोलेशन में 14 दिनों तक रहने वाली बातें जो आज पश्चिमी देश हमें समझा रहे हैं वो हमारी संस्कृति का वो हिस्सा है जिसकी झलक आज भी हमारे धार्मिक संस्कारों में देखने को मिलती है। ऐसे में ज़रूरत है खुद की ताकत को समझने और अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने की। ताकि हमारे शास्त्रो में छिपे वो गूढ़ रहस्य हम जान सकें जिनसे हमनें अतीत में कई बीमारियों को मात दी है और आगे भी दे सकते हैं। ताकि हमें लाचार बनकर दूसरों से मदद मांगने की ज़रूरत ना पड़ें। और हम दुनिया में मिसाल बन सकें। और पढ़ेंः कोरोना वायरस से बचाव के लिए सेल्फ आइसोलेशन में रह रहे हैं अमिताभ, आलिया समेत ये बॉलीवुड सेलेब्स #mayapuri #coronavirus #Quarantine #Coronavirus Update #Coronavirus latest Update #Bhagwan Jagannath #Bhagwan Jagannath in Isolation #Bhagwan Jagannath in Quarantine #Coronavirus Quarantine #Quarantine Hindi Meaning #Quarantine in Hindi #Quarantine Meaning #Quarantine News #Quarantine Vs Isolation हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article