दिलीप कुमार और मधुबाला की फिल्म मुगल-ए-आजम ने पूरे किए 60 साल
आज हिंदी सिनेमा की सबसे ऐतिहासिक और आइकॉनिक फिल्म मुगल-ए-आजम के 60 साल पूरे हो चुके हैं। फिल्म मुगल-ए-आजम अपने दौर की सबसे बड़ी और महंगी फिल्मों में शुमार की जाती है। 5 अगस्त 1960 को रिलीज हुई दिलीप कुमार, मधुबाला, पृथ्वीराज कपूर स्टारर इस प्रेम कहानी को के. आसिफ ने बनाया था। इस फिल्म में सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी दिखाई गई थी। लेकिन, मेकर्स के लिए इस फिल्म को पर्दे पर लाना बहुत ही मुश्किल काम रहा। हैरानी की बात है कि इस दौर में भी एक गाने पर लाखों खर्च किए गए। तो आइए आज फिल्म मुगल-ए-आजम से जुड़े दिलचस्प पहलुओं के बारे में जानते हैं।
पहले नरगिस को मिला था अनारकली का रोल
मुगल-ए-आजम बनने की शुरुआत साल 1944 में हुई थी। इस फिल्म की शूटिंग 1946 में शुरू हुई थी। तब चंद्र मोहन को अकबर, डीके सप्रू को सलीम और नरगिस को अनारकली का रोल मिला था। बीच में फाइनेंसियल दिक्कतों के चलते प्रोडक्शन में देरी हुई। प्रिंसिपल फोटोग्राफी शुरू होने से पहले एक फाइनेंसियर ने प्रोजेक्ट छोड़ दिया था। इसके बाद फिल्म की पूरी स्टारकास्ट बदलनी पड़ी थी। अचानक खबरें ये भी आईं कि फिल्म मुगल-ए-आजम अब नहीं बन रही। ये बात जानने के बाद स्क्रिप्टराइटर-डायरेक्टर कमाल अमरोही ने इसी सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने की प्लानिंग की।
सबसे ज्यादा स्क्रीन्स पर रिलीज होने वाली फिल्म
लेकिन जब मुगल-ए-आजम के डायरेक्टर ने उनसे बातचीत की और प्रोजेक्ट के जारी रहने की जानकारी दी तो कमाल अमरोही ने अपने प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। बता दें कि उस दौर में मुगल-ए-आजम सबसे ज्यादा स्क्रीन्स पर रिलीज होने वाली फिल्म थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। ये 15 सालों तक भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म रही थी। मुगल-ए-आजम को कई अवॉर्ड्स मिले। फिल्म ने 1 नेशनल, 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स जीते थे।
पहले रिजेक्ट हो गए थे दिलीप कुमार
फिल्म मुगल-ए-आजम पहली ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म थी जिसे कलर फॉर्मेट दोबारा से सिनेमाघरों में रिलीज किया गया। फिल्म का कलर वर्जन नवंबर 2004 में रिलीज हुआ। मुगल-ए-आजम फिल्म की लागत करीबन 1.5 करोड़ रुपए बताई जाती है। मुगल-ए-आजम के डायरेक्टर आसिफ ने पहले प्रिंस सलीम के रोल के लिए दिलीप कुमार को रिजेक्ट किया था। वहीं, मधुबाला का रोल पहले सुरैया को ऑफर हुआ था। शूटिंग के दौरान मधुबाला congenital heart disease से जूझ रही थीं. जिसकी वजह से वे सेट पर बेहोश भी हो गई थीं। जेल का सीक्वेंस फिल्माते वक्त मधुबाला को स्किन प्रॉब्लम भी हो गई थी। तमाम परेशानियों के बावजूद मधुबाला ये फिल्म पूरी करना चाहती थीं।
लता मंगेशकर ने स्टूडियो के बाथरूम में जाकर गाया गाना
फिल्म का गाना 'प्यार किया तो डरना क्या' को मोहन स्टूडियो में शूट किया गया था। इसके लिए लाहौर किले के शीश महल जैसा हूबहू सेट लगाया था। इसकी लागत 15 लाख के करीब बताई जाती है। इस गाने के पीछे की अलग कहानी भी है। कहा जाता है कि 105 गानों को रिजेक्ट करने के बाद नौशाद ने ये गाना चुना था। गाने को लता मंगेशकर ने स्टूडियो के बाथरूम में जाकर गाया था, क्योंकि रिकॉर्डिंग स्टूडियो में उन्हें वो धुन या गूंज नहीं मिल पा रही थी। फिल्म के एक और गाने ‘ऐ मोहब्बत जिंदाबाद के लिए मोहम्मद रफी के साथ 100 गायकों से कोरस गवाया गया था।
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