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Movies on Independence Day: फिल्मों के जरिए देशभक्ति का जज्बा जगाने में बॉलीवुड कभी पीछे नही रहा. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि देश की आजादी की जंग में बॉलीवुड ने (Independence Day movies) अपनी फिल्मों के माध्यम से अहम भूमिका निभाई और आजादी के बाद भी हर बदलते दौर में सिनेमा की भूमिका और अहमियत कम नहीं हुईं. मगर फिल्मों में देशप्रेम को कई मुखौटों में पेश किया जाता रहा है. (Indian Independence Day movies) फिल्मों में किस तरह देशभक्ति अलग-अलग अंदाज में परोसी जाती रही है, (movies about freedom) इसे कुछ बेहतरीन फिल्मों के उदाहरण से समझा जा सकता है.
भारतीय सिनेमा में देशभक्ति के यह अलग-अलग प्रकार- व्यक्ति विशेष फिल्में-
शहीद (1965) मनोज कुमार अभिनीत यह फिल्म शहीद-ए-आजम भगतसिंह की जीवनी पर आधारित है. साल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के साये में आई इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. (movies about patriotism) यह भगतसिंह पर बनने वाली पहली फीचर फिल्म थी. इसके बाद अब तक षहीद भगतसिंह पर सात फिल्में बनीं जिसमें अजय देवगन की साल 2002 में आई ‘द लीजेंड ऑफ भगतसिंह’ उल्लेखनीय है.तो वहीं 23 मार्च 1931 भी है.
गांधी (1982) यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बापू के जीवन पर बनी अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्म विदेशियों ने बनाई. इसे गांधीजी की महानता का परिणाम भी कह सकते हैं कि विदेशी उनके व्यक्तित्व के ऐसे मुरीद हुए कि फिल्म ही बना दी. हालांकि इस फिल्म के निर्माण में भारतीय सरकार व कलाकारों का भी सहयोग रहा था, (Indian freedom struggle movies) लेकिन फिल्म के लेखन व निर्देशन से लेकर मुख्य किरदार निभाने तक का जिम्मा विदेशियों ने निभाया. आपको जानकर शायद थोड़ी हैरानी हो, पर यह फिल्म कुल 11 श्रेणियों में ऑस्कर पाने के लिए नामांकित हुई थी जिसमें श्रेष्ठ फिल्म, निर्देशन व अभिनय समेत 8 श्रेणियों में यह ऑस्कर जीतने में कामयाब भी रही. ऑस्कर के अलावा भी फिल्म ने लगभग सभी राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय अवॉर्ड समारोह में अधिकतर खिताब अपने नाम किए हैं.
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो (2004) भारत की आजादी की सूत्रधार रहीं महान हस्तियों में से शायद सबसे कम चर्चा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के बारे में ही की जाती है. आजाद हिन्द फौज के जरिए अंग्रेजों के पसीने छुड़ा देने वाले नेताजी के ऊपर साल 2004 में यह फिल्म श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी है. यह फिल्म चर्चा में अधिक नहीं रही, लेकिन इसने काफी सराहना जरूर बटोरी. कई अन्य दमदार फिल्मों की तरह यह भी बॉक्स ऑफिस में फ्लॉप ही रही, लेकिन 2 श्रेणियों में मिले नेशनल अवॉर्ड से इसकी पूर्ति हो जाती है.
मंगल पांडेयः द राइजिंगः 2005 आजादी की लड़ाई के अग्रदूत कहे जाने वाले मंगल पांडेय के जीवन का दर्शन कराने वाली यह फिल्म देशभक्ति पर बनी एक बेहतरीन फिल्म है. जिसमें मंगल पांडेय के जीवन को दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया था और अंत में उन्हें फांसी की सजा दे दी गई थी. इस फिल्म में भी आमिर खान ही मुख्य किरदार में थे.
लीजेंड ऑफ भगत सिंह (2002) 2002 में बनी फिल्म लीजेंड ऑफ भगत सिंह शहीद भगत सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म थी. फिल्म में भगत सिंह का किरदार अजय देवगन ने निभाया था.इस फिल्म को बेस्ट फिल्म कैटेगरी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था इसके अलावा फिल्म को 3 फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिले थे.
सरदार (1993) यह फिल्म आजादी के बाद अखंड भारत का निर्माण करने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन पर आधारित है. इसमें आपको परेश रावल का शानदार अभिनय भी देखने को मिलेगा. फिल्म को आलोचकों के द्वारा काफी सराहा गया था. फिल्म में सरदारजी के द्वारा देश की आजादी से लेकर गांधीजी की मौत के बाद नेहरू के साथ उनके मतभेद तक को काफी अच्छे से दर्शाया गया है.
झांसी की रानी (1953) हमारे देश के इतिहास को यदि उठाकर देखा जाए तो रानी लक्ष्मीबाई के अलावा भी कई वीरांगनाएं हैं, जो अपनी वीरता व देशप्रेम के चलते अमर हो गईं. दुर्भाग्य यह है कि दुनिया की कुछ सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्रियों में शामिल बॉलीवुड ने कभी इनकी कहानी लोगों तक लाने की जहमत नहीं उठाई, शायद इसमें फायदा थोड़ा कम था.
मणिकर्णिकाः झाँसी की रानी: 2019 मणिकर्णिकाः झाँसी की रानी की पटकथा रानी लक्ष्मी लक्ष्मीबाई के जीवन और 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ उनकी लड़ाई पर आधारित है. भारत की महान वीरांगना की कहानी बताती यह फिल्म भी देशभक्ति से भरपूर है.
राग-देश फिल्म राग देश की कहानी आजाद हिंद फौज के अफसरों कर्नल प्रेम कुमार सहगल, लेफ्टिनेंट कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों तथा मेजर जनरल शाह नवाज खान पर लाल किले में चले मुकदमे पर आधारित है. यह फिल्म राष्ट्र के लिए कुछ भी करने को प्रेरित करने वाली है.
शेरशाहः2021 कारगिल युद्ध में षहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा कें जीवन पर फिल्म “शेरशाह” 12 अगस्त 2021 को रिलीज हुई है. इसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अहम भूमिका निभायी है. युद्ध पर आधारित फिल्में- देश प्रेम हो या देशभक्ति,इसे हमेशा ही युद्ध से जोड़कर देखा जाता रहा है. ऐसा सिर्फ भारत में नहीं,बल्कि तमाम देशों में होता आया है. भारत में खासतौर पर भारत-पाक युद्ध को देशभक्ति से जोड़ा जाता रहा है. इन लड़ाइयों में दुश्मनों को धूल चटाते हुए देखना किसी भी भारतीय के लिए गर्व की ही बात होगी,यह बात फिल्म निर्माता भी अच्छी तरह जानते हैं.
हकीकत (1964) चेतन आनंद द्वारा निर्देशित इस फिल्म में बलराज साहनी, धर्मेन्द्र मुख्य भूमिका में नजर आए थे. यह फिल्म साल 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध पर आधारित है. फिल्म ‘हकीकत’ में दिखाया गया था कि लद्दाख में लद्दाखी स्काउट्स भारतीय सेना की मदद करने के साथ युद्ध भी लड़ते हैं. यानीकि देशप्रेम से अभिभूत आम जनता दुष्मनों के खिलाफ अपनी सेना की मदद के लिए आगे आती है.फिल्म को भारत में बनी सबसे बेहतरीन युद्ध फिल्म भी माना जाता है. साल 1965 में इसे नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है.
बार्डर (1997) जेपी दत्ता की बनाई गई यह फिल्म युद्ध पर आधारित सबसे लोकप्रिय भारतीय फिल्म कही जा सकती है. यह भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग के समय की सच्ची घटना पर आधारित है. फिल्म के गानों से लेकर भारतीय सैनिकों की वीरता के दृश्यों तक सबकुछ आज भी दर्शकों द्वारा पसंद किया जाता है.
1971 (2007) मनोज बाजपेयी व रवि किशन जैसे दमदार अभिनेताओं से सजी यह फिल्म भी 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी है. यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी है. फिल्म की कहानी 1971 की जंग में पाकिस्तानी आर्मी के द्वारा कैदी बना लिए गए 6 भारतीय सैनिकों के बच निकलने पर आधारित है.
लक्ष्य (2004) वर्ष 1999 में भारत-पाक के बीच हुए कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में रितिक रोशन, प्रीति जिंटा एवं अमिताभ बच्चन मुख्य किरदार में नजर आए थे. फिल्म का निर्देशन फरहान अख्तर ने किया था. इसे भी युद्ध पर आधारित एक देशभक्ति वाली फिल्म कहा जाता है.
द गाजी अटैक-17 मई 2017 भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 में भारत के इतिहास का एक बहुत ही महान युद्ध लड़ा गया था. जिसमें भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये थे. फिल्म इसी घटना पर आधारित है. यह लड़ाई न तो जमीन पर लड़ी गई न आसामान पर....भारतीय नौ सेना ने समुद्र के अंदर 18 दिनों तक लड़ाई लड़ी थी.
हिंदुस्तान की कसम 1973 में बनी यह फिल्म 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित फिल्म थी. फिल्म का निर्देशन चेतन आनंद ने किया था.
एलओसी कारगिल 2003 बनी फिल्म एलओसी कारगिल भारत-पाकिस्तान के बीच हुई कारगिल युद्ध पर बनी थी.इस फिल्म में मुख्य भूमिका अजय देवगन, अरमान कोहली, पुरू राजकुमार संजय दत्त सैफ अली खान सुनील शेट्टी संजय कपूर अभिषेक बच्चन मोहनीश बहल अक्षय खन्ना मनोज बाजपेई आदि ने अभिनय किया था.
उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक: 2019 उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक एक बॉलीवुड ड्रामा है, जिसका निर्देशन आदित्य धर ने किया है. फिल्म की कहानी सर्जिकल स्ट्राइक के ऊपर है, जो भारत ने 2016 में लाइन ऑफ कण्ट्रोल के पार पाकिस्तानी आतंकवादियों के ऊपर की थी. इस फिल्म में विक्की कौशल ने इंडियन आर्मी के एक मेजर की भूमिका में नजर आए थे. इसके अलावा यामी गौतम, परेश रावल, कीर्ति कुल्हारी, और मोहित रैना आदि अन्य किरदारों में नजर आते हैं.
केसरी: 2019 केसरी एक बॉलीवुड वार-ड्रामा है, जो 12 सितंबर 1897 को भारत के सारागढ़ी में हुए महान युद्ध पर आधारित है. केसरी हवलदार ईशर सिंह की कहानी है जिसका किरदार बाॅलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने बखूबी निभाया था. जो सारागढ़ी की लड़ाई में 21 सिखों की एक सेना के साथ 10,000 अफगानों के खिलाफ जंग लड़ता है.
भुजः द प्राइड आफ इंडियाः13 अगस्त 2021 भारत व पाक के बीच 1971 के एक सत्य ऐतिहासिक घटनाक्रम पर आधारित है.1971 में भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान गुजरात के भुज एअरबेस के रनवे को पाक सेना ने बमबारी करके तहस नहस कर दिया था.उस वक्त भुज एअरबेस के तत्कालीन प्रभारी आईएएफ स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक और उनकी टीम ने मधापर व उसके आसपास के गांव की 300 महिलाओं की मदद से वायुसेना के एयरबेस का पुनः निर्माण किया था. वही कहानी है. खेल पर आधारित फिल्में- पिछले कुछ समय से देशभक्ति को खेल के साथ जोड़कर दिखाने का नया दौर शुरू हुआ है. जंग के मैदान में नहीं, तो खेल के मैदान में दुश्मनों को धूल चटाते देखना भारतीय दर्शकों को भी खूब भाता है,तभी तो इस श्रेणी की फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित होती हैं.
चक दे इंडिया (2007) इस श्रेणी की देशभक्ति फिल्मों को जोर मिला 2007 में आई शाहरुख खान की फिल्म ‘चक दे इंडिया’ से. इस फिल्म में शाहरुख ने महिला हॉकी टीम के प्रशिक्षक का किरदार निभाया है जिसके मार्गदर्शन में भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार विश्व चैंपियनशिप जीतने में सफल हो पाती है. यह फिल्म इतनी ज्यादा पसंद की गई कि इसका गाना ‘चक दे’ देशभक्ति का पर्याय बन बैठा. खेल के मैदान में यदि भारतीय टीम उतरी हो तो इस गाने का बजना अनिवार्य-सा हो गया है.
भाग मिल्खा भाग (2013) इस फिल्म में खेल व भारत-पाक जंग इन दोनों ही मुद्दों का इस्तेमाल किया गया है. यह ‘फ्लाइंग सिख‘ के नाम से मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह की जीवनी पर आधारित फिल्म है जिसे खूबसूरती से भारत-पाक का चोगा भी पहनाया गया है. फिल्म को दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया गया था. वजह है मिल्खा सिंह द्वारा पाकिस्तानी सरजमीं पर पाकिस्तान के खिलाड़ी को हराना.
मैरीकोम (2014) चक दे... व भाग मिल्खा भाग की सफलता के बाद 2014 में भारत की महिला मुक्केबाज व ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुकी मैरीकॉम की जिंदगी पर फिल्म बनाई गई. इसमें प्रियंका चोपड़ा मुख्य किरदार में नजर आई थीं. इस फिल्म में मैरीकॉम के करियर का सुनहरा दौर, बॉक्सिंग से दूरी और फिर वापसी की पूरी कहानी बताई गई है.
दंगल (2016) लगभग पांच वर्ष पहले आई ब्लॉकबस्टर फिल्म “दंगल” में आमिर खान व साक्षी तंवर के साथ ही इसमें जायरा वसीम व फातिमा सना शेख का शानदार अभिनय भी है. इस फिल्म में भारत की दो अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवानों गीता फोगाट व बबीता फोगाट की कहानी पेश की गई है. हरियाणा के छोटे से गांव से निकलकर अपने पिता के मार्गदर्शन में अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में अपना नाम बनाने वाली गीता व बबीता की कहानी में कई जगह देशभक्ति का तड़का लगाकर पेश किया गया है.
लाहौर 2010 क्रिकेट के मैदान में जब भारत व पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें एक दूसरे से क्रिकेट मैच जीतने का प्रयास कर रही होती हैं,तब दर्शक दीर्घा ही नही घर में टीवी के सामने बैठे दर्शक के मन में उठ रहे देशप्रेम के जज्बे को महसूस किया जा सकता है.पर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक संजय पूरन सिंह ने अपनी फिल्म ‘लाहौर’ में दोनों देशों के मुक्केबाजों की भिड़ंत के साथ जिस तरह से देशप्रेम के जज्बे को उकेरा है,कि फिल्म के अंत में सिनेमाघर हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों से गूंजने लगते हैं और वहीं इस फिल्म की सबसे बड़ी कामयाबी रही.
गोल्ड (2018) अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘गोल्ड’ में अक्षय कुमार खेल के मैदान में अंगे्रजों’ को मात दे रहे हैं. यह फिल्म 12 अगस्त 1948 को आजाद भारत में पहला ओलंपिक गोल्ड जीतने वाले हॉकी खिलाड़ी तपनदास की कहानी हैं. भारतीयों ने यह गोल्ड ब्रिटेन के खिलाड़ियों को हराकर जीता था.मैदान पर पहली बार तिरंगा लेकर मार्च करने वाले भारतीय खिलाड़ियो ने फाइनल में ब्रिटेन को 4.0 से हराया था.रीमा कागती निर्देषित फिल्म ‘गोल्ड’ में गोल्ड मैडल जीतने की जद्दोजेहाद के बीच गुलामी का दौर, आजादी की जंग और बंटवारे का दर्द भी है.
लगान (2001)‘मदर इंडिया’ और ‘सलाम बॉम्बे’ के बाद बॉलीवुड की तीसरी ऐसी फिल्म थी जिसे ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था. यह अंग्रेजों के भारत पर किए अत्याचार को दिखाती है. फिल्म में गांव के किसानों और अंग्रेजों के बीच दिखाए गए क्रिकेट मैच के लिए याद किया जाता है. जिसमें यह शर्त लगी होती है. कि अगर गांव वाले मैच हार जाते हैं तो उनकी जमीन पर अंग्रेज कब्जा कर लेंगे. और अगर वो जीतते हैं तभी अपनी जमीन बचाने में कामयाब होंगे. सामाजिक मुद्दों व देश की अंदरु नी समस्याओं पर आधारित फिल्में- कुछ फिल्मकारों ने देशभक्ति को इतिहास की घटनाओं से न जोड़ते हुए अच्छे भविष्य के निर्माण में आने वाली समस्याओं से जोड़कर दिखाने का प्रयास कियाः
स्वदेस (2004) इस फिल्म में विदेश से अपने गांव वापस आए एक युवक की कहानी दिखाई गई है, जो वापस विदेश जाने के बजाए अपने देश व गांव के उद्धार के लिए काम करता है.
रंग दे बसंती (2006) राकेष ओम प्रकाष मेहरा निर्देषित और आमिर खान, शरमन जोशी, कुणाल कपूर, आर. माधवन व सोहा अली खान जैसे दमदार कलाकारों के अभिनय से सजी इस फिल्म में अंग्रेजों से आजादी के बाद भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों से आजादी के खिलाफ क्रांतिकारी लड़ाई को दर्शाया है.
ए वेडनेस डे (2008) देशभक्ति से जुड़ी प्रभावशाली फिल्मों में ‘‘ए वेडनस डे ’’ का नाम भी आता है.निर्देषक नीरज पांडे की इस फिल्म की कहानी की धुरी एक आम आदमी के इर्द- गिर्द घूमती है.जो मुंबई महानगर में बम धमाके करने की धमकी देकर शहर के पुलिस प्रशासन से लेकर सत्ता प्रतिष्ठान को हिला डालता है और उसके इशारे पर नाचने के लिए मजबूर हुए सिस्टम को चार आतंकवादियों को अंजाम तक पहुंचाना पड़ता है, जिसके बारे में कुछ और ही सोचा गया था.फिल्म के आखिरी दौर में नसीर (आम आदमी की भूमिका में ) द्वारा आम आदमी की वेदना और संवेदना को दूरभाष संवाद और पुलिस कमिश्नर की बेबसी सारी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देती है और इस फिल्म को देखने के बाद इतना तो जरूर महसूस होता है कि देश आजादी के बाद किस तरह से बुरी व्यवस्था और राजनैतिक हालात का शिकार हो चुका है.
प्रहार (1991) नाना पाटेकर, माधुरी दीक्षित व डिम्पल कपाड़िया अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन नाना पाटेकर द्वारा ही किया गया है. देश के जवान सीमा में तैनात होकर बाहरी दुश्मनों से देश की रक्षा करते हैं, लेकिन देश के अंदरुनी दुश्मन इसे खोखला करते जा रहे हैं. इसी सच्चाई के इर्द-गिर्द फिल्म की कहानी घूमती है. इसमें नाना पाटेकर ने एक सैनिक की भूमिका निभाई है.
मुल्क (2018) अनुभव सिन्हा की फिल्म “मुल्क” में देशभक्ति के मुद्दे के साथ ही मजहब का मुद्दा उठाया गया है. फिल्म “मुल्क” सत्य घटनाक्रमों पर आधारित पूर्णरूपेण अजेंडे वाली फिल्म है. फिल्म “मुल्क”, मुल्क की बजाय महजब पर बात करती हैं. यह फिल्म हम (हिंदू) और वो (मुसलमान) के विभाजन की बात करते हुए वर्तमान समय की देश की सामाजिक व राजनीतिक परिस्थितियों पर करारा प्रहार भी करती है. फिल्म के क्लायमेक्स में अदालत के अंदर अंततः आरती मोहम्मद (तापसी पन्नू) कटघरे में खड़े मुराद अली (रिषि कपूर) से सवाल करती है कि आप देश भक्त हैं,यह कैसे साबित करेंगे? आप जैसी दाढ़ी वाले मुसलमान और एक दाढ़ी वाले आतंकवादी के फर्क को कैसे साबित करेंगे?फिल्म ‘मुल्क’में सेक्यूलारिजम की बात करते हुए आतंकवाद, आतंकवादी और जिहाद की परिभाषा भी बतायी गयी है.
सत्याग्रह (2013) सामाजिक सरोकारों को लेकर फिल्में बनाने वाले निर्माता निर्देशक प्रकाश झा जब फिल्म ‘सत्याग्रह’ लेकर आए थे, तब इसे सीधे तौर पर अन्ना हजारे के दिल्ली में किए गए जन आंदोलन के साथ जोड़कर देखा गया था.फिल्म देखकर साफ तौर पर समझा जा सकता है कि प्रकाश झा ने अपनी फिल्म में अन्ना हजारे जैसा किरदार गढ़ा और उसमें अमिताभ बच्चन को पेश किया ,तो अरविंद केजरीवाल जैसा किरदार अजय देवगन ने निभाया,यह किरदार एक बिजनेसमैन का था,जो सब कुछ छोड़कर देश का सिस्टम चेंज करने की मुहिम का हिस्सा बन जाता है. फिल्म भ्रष्ट तंत्र से मुकाबला करने और देश की आजादी की एक और नई लड़ाई लड़ने के आवाहन के साथ देशभक्ति के दायरे में जाने के साथ ही प्रभाव भी पैदा करती है.लेकिन अनावष्यक कमर्षियालिजम के चलते फिल्म “सत्याग्रह” देशभक्ति वाली फिल्म नही बन पायी.
सिंघम (2011) देश की भ्रष्ट पुलिस व्यवस्था और चारों तरफ रिश्वतबाजी के शोर के बीच फिल्म “सिंघम” का नायक जो कि वर्दी से पुलिस वाला ही है,मगर वह ना सिर्फ सिस्टम को सुधारता है,बल्कि नेताओं को भी सीधा करता है.यॅूं तो एक इमानदार पुलिस के खौफनाक जज्बे और पूरी पुलिस फोर्स की संवेदनाओं को समेटे यह फिल्म मसाला फिल्म है,लेकिन पुलिस अधिकारियों के तेवर दर्शक के मन में देशभक्ति के जज्बात भी जगाते हैं. जासूसी पर आधारित फिल्में
राजी (2018) 1971 के भारत पाक युद्ध के वक्त एक कष्मीरी लड़की ने देशभक्ति की जो मिसाल कायम की थी, उसकी कथा ‘राजी’ में देखकर लोगों के अंदर खुद ब खुद वतन परस्ती का जज्बा जागृत हुआ.फिल्म ‘राजी’ में सहमत की कहानी है, जिसके लिए वतन के आगे कुछ नही. वह अपने वतन ंिहंदुस्तान को सुरक्षित करने के लिए एक पाकिस्तानी सैनिक की पत्नी बनकर उनके घर बहू बनकर रहते हुए पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी करती है.‘राजी’में सहमत का किरदार निभा चुकी अभिनेत्री आलिया भट्ट का मानना है कि ‘राजी’से युवा पीढ़ी के बीच वतनपरस्ती और देशभक्ति का जज्बा पैदा हुआ. सिर्फ देशभक्ति की बातें करने वाली फिल्में
मदर इंडिया 1957 में प्रदर्शित फिल्म ‘मदर इंडिया’ आजादी के बाद के भारत को दर्शकों को सामने रखती है.फिल्म में नरगिस सुनील दत्त राजेंद्र कुमार और राजकुमार मुख्य भूमिका में थे.
पूरब और पश्चिम 1970 में बनी फिल्म पूरब और पश्चिम देशभक्ति की खुशबू में डूबी हुई थी.इस फिल्म में मनोज कुमार ने लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से एहसास कराया.
तिरंगा 1993 में मेहुल कुमार निर्देषित फिल्म ‘तिरंगा’ देशभक्ति की भावना से सराबोर फिल्म थी.इस फिल्म में राजकुमार और नाना पाटेकर ने दमदार अभिनय किया था. इस फिल्म में देश को न्यूक्लियर हथियार से हानि पहुंचाने की कोशिश की गई थी जिसे अभिनेताओं ने नाकाम किया था.
गदरः एक प्रेम कथाः15 जून 2001 यह फिल्म पाकिस्तान से सनी देओल के हैंडपंप उखाड़ कर भारत लाने के लिए पहचानी जाती है. फिल्म में सनी देओल ने तारा सिंह का रोल प्ले किया था. यह फिल्म उस साल की ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई थी. गदरः एक प्रेम कथा 1947 में हुए भारत- पाकिस्तान विभाजन के दृश्यों को संजोती है.जिसकी कहानी सिख-मुस्लिम प्रेम पर आधारित थी जो पाकिस्तान तक पहुंचती है.
सरफरोश:1999 कारगिल में हो रहे संघर्ष के समय फिल्म रिलीज हुई थी जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अधिक था. रिलीज होने पर, फिल्म समीक्षकों और व्यावसायिक रूप से भी काफी सफल रही. इसके तकनीकी पहलुओं, संगीत और कहानी की भी प्रशंसा की गई. कुछ तत्कालीन सेना के जवान तो यहां तक कहते हैं. यह फिल्म देखकर उस समय उनके मन देश सेवा उत्कृष्ट भाव जागृत हुआ था.
FAQ about Independence Day
भारत में स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को क्यों मनाया जाता है? (Why is Independence Day celebrated on 15 August in India?)
यह 1947 में उस दिन का प्रतीक है जब भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिली थी.
भारतीय ध्वज के रंगों का क्या महत्व है? (What is the significance of the Indian flag’s colors?)
केसरिया रंग साहस का, सफेद रंग शांति और सत्य का, और हरा रंग आस्था और शौर्य का प्रतीक है; अशोक चक्र कानून और धर्म का प्रतीक है.
स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है? (How is Independence Day celebrated in schools?)
स्कूलों में ध्वजारोहण समारोह, देशभक्ति गीत प्रतियोगिताएँ, सांस्कृतिक नृत्य और निबंध लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं.
भारत के समान स्वतंत्रता दिवस किन देशों में मनाया जाता है? (Which countries share the same Independence Day as India?)
दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया और लिकटेंस्टीन भी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं.
भारत में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में क्या अंतर है? (What is the difference between Independence Day and Republic Day in India?)
स्वतंत्रता दिवस ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता (15 अगस्त 1947) का जश्न मनाता है, जबकि गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 1950) संविधान को अपनाने का प्रतीक है.
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