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दुनिया से दर्द किया साझा लेकिन अपनों से नहीं...अधूरे सपनों ने ले ली 25 साल की एक्ट्रेस प्रेक्षा मेहता की जान

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By Pooja Chowdhary
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दुनिया से दर्द किया साझा लेकिन अपनों से नहीं...अधूरे सपनों ने ले ली 25 साल की एक्ट्रेस प्रेक्षा मेहता की जान

प्रेक्षा मेहता क्राइम पेट्रोल, लाल इश्क सीरियल में कर चुकी थीं काम

बस यही दो मसले ज़िंदगी भर ना हल हुए 

ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए…

कहते हैं जब इंसान अंदर से टूट जाता है तो उसके लिए जीने की उम्मीद ही खत्म हो जाती है। लेकिन 25 की उम्र तो निराश या हताश होने की नहीं होती! ये तो उम्र का वो दौर है जिसमें अपनी किस्मत खुद लिखने का जज्बा इंसान के भीतर होता है। हारने का नहीं….फिर प्रेक्षा मेहता क्यों हार गई?...क्या उसके सपने उसकी ज़िंदगी से बड़े थे। क्या उसकी कामयाबी उसके अपनों से बड़ी थी। जिन्हें वो अपने पीछे ताउम्र ना भूलने वाला दुख देकर चली गईं।

टूटना क्यों...बिखरना क्यों?

दुनिया से दर्द किया साझा लेकिन अपनों से नहीं...अधूरे सपनों ने ले ली 25 साल की एक्ट्रेस प्रेक्षा मेहता की जान

Source - Bollywood Bubble

मुंबई तो है ही सपनों का शहर….और 25 की उम्र सपनो की ही तो होती है। 2 साल पहले ही तो एक्ट्रेस प्रेक्षा मेहता मुंबई आई थीं। कुछ सपने लेकर और उसके उन सपनों की शुरुआत भी हुई। महज़ 25 साल की प्रेक्षा ने क्राइम पेट्रोल, लाल इश्क, मेरी दुर्गा जैसे टीवी शो में काम किया। सिर्फ यही नहीं वो थियेटर से जुड़ी थीं जिन्होने अभिजीत वाडकर, संतोष रेगे और नगेंद्र सिंह राठौर के नाटक ग्रुप से अपने करियर की शुरुआत की। इसके अलावा प्रेक्षा ने बूंदे, राक्षस, पार्टनर्स, हां, थ्रिल, अधूरी औरत, सूबसूरत बहू जैसे कई नाटकों में काम किया है। फिर हिम्मत क्यों हारीं तुम, 25 की ही तो थीं ना ? अभी तो काफी वक्त था...अगर सपने पूरे होने में कुछ देर भी लगे...तो टूटना क्यों?  बिखरना क्यों?

दुनिया को बताया दर्द, लेकिन अपनों को नहीं…

ये कैसे समाज में जी रहे हैं हम! जिन्हें अपना दर्द बताना चाहिए उन्हें बताते नहीं, जिन्हें हमसे कोई मतलब नहीं उनसे हर गम को साझा करते हैं। प्रेक्षा मेहता ने सुसाइड से कुछ घंटों पहले सोशल मीडिया ऐप वॉट्सएप पर लिखा था - ‘सबसे बुरा होता है सपनों का मर जाना’ यही बात अगर उसने किसी अपने से साझा की होती तो वो आज हमारे बीच होती। शायद उसे कोई समझा देता कि अभी आगे लंबी ज़िंदगी है….और सपने कभी मरते नहीं बल्कि सपने वो हैं जो हमारे भीतर जीने की उम्मीद को कायम रखते हैं। शायद उसे कोई समझा पाता कि सब ठीक है..कोई टेंशन नहीं...शायद कोई रोक लेता उसे एक अलग दुनिया में जाने से।

क्या ज़िंदगी से बड़ी है सफलता..?

दुनिया से दर्द किया साझा लेकिन अपनों से नहीं...अधूरे सपनों ने ले ली 25 साल की एक्ट्रेस प्रेक्षा मेहता की जान

Source - India TV

26 साल की सेजल शर्मा, 32 साल के मनमीत ग्रेवाल और अब 25 साल की प्रेक्षा मेहता...इन सभी को देखकर एक ही सवाल दिमाग में आता है कि क्या सफलता ज़िंदगी से बड़ी है? क्योंकि जब तक ज़िंदगी है तब तक सफलता पाने के कई और मौके आपको मिल जाएंगे लेकिन ज़िंदगी ना रही तो जो एक मौका था वो भी खत्म ही समझो। तो खुद ही सोचिए ज़िंदगी बड़ी या सफलता? इसीलिए किसी ने सही कहा है….

चले चलिए कि चलना ही दलील-ए-कामरानी है 

जो थक कर बैठ जाते हैं वो मंज़िल पा नहीं सकते

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