रामायण के दशरथ बाल धुरी और कौशल्या जयश्री असल ज़िंदगी में हैं पति - पत्नी
रामानंद सागर की रामायण...जिसे केवल माइथोलॉजी कहना गलत होगा। बल्कि ये इतिहास है आर्यवंश का...भारत का। जिसमें दिखती है हमारी परंपरा और वास्तविक संस्कृति की झलक। जिसमें पिता के लिए बेटे का त्याग है, भाई का भाई के लिए समर्पण भाव है...एक पत्नी का कर्तव्य है। इसीलिए तो जब रामानंद सागर की रामायण का फिर से प्रसारण हुआ तो लोगों में क्रेज़ 90 के दशक से भी ज्यादा देखने को मिला। लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में लोग केवल रामायण तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके पर्दे पर पीछे की सभी बातें जानना चाहते हैं। लिहाज़ा आज हम ऐसा ही फैक्ट आपको बताने जा रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि रामानंद सागर की रामायण के दशरथ और कौशल्या असल ज़िंदगी में भी पति - पत्नी थे?
ऑफ स्क्रीन ही नहीं ऑन स्क्रीन भी पति- पत्नी हैं बाल धुरी और जयश्री गेडकर
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रामायण के दशरथ का असल नाम बाल धुरी था तो वहीं कौशल्या का असल नाम था जय श्री गेडकर। जो एक बेहतरीन मराठी एक्ट्रेस थीं। लेकिन ये बात बहुत ही कम लोग जानते थे कि इन दोनों ने ऑफ स्क्रीन ही पति पत्नी का रोल अदा नहीं किया था। बल्कि ये तो असल ज़िंदगी में भी जीवनसाथी थे।
पहले जानें कौन हैं रामायण के दशरथ..
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रामायण के दशरथ की बात करें तो इनका जन्म साल 1944 में महाराष्ट्र में हुआ था जिनका असली नाम था भैयूजी, लेकिन सब प्यार से इन्हें बाल कहते थे। इसीलिए इन्होंने अपना नाम ही बाल धुरी रख लिया। बचपन से ही एक्टिंग के शौकीन बाल धुरी रंगमंच की प्रतियोगिताओं में खूब हिस्सा लेते थे। लेकिन एक्टिंग के साथ साथ इन्होने कभी पढ़ाई नहीं छोड़ी बल्कि इन्होने बहुत ही मुश्किल विषय इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और नौकरी हासिल की। लेकिन एक्टिंग के चलते उस नौकरी को छोड़ दिया और परिवार से बगावत तक पर उतर आए। वो अभिनय की दुनिया में ही करियर बनाना चाहते थे जिसकी शुरुआत हुई 70 के दशक में आई मराठी फिल्म 'देवाचिए द्वारी' से। वो हिंदी फिल्मों से भी जुड़े।
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साल 1989 में उन्होने अनिल कपूर की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'ईश्वर' में काम किया
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साल 1996 में आई फिल्म 'तेरे मेरे सपने' में ये 'राम सिंह' के किरदार में नज़र आए थे।
जानें रामायण की कौशल्या के बारे में कुछ खास बातें
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वहीं बात करें जयश्री गेडकर की तो उनका जन्म 21 फरवरी 1942 में हुआ था और उन्होने सिर्फ मराठी सिनेमा में ही पहचान नहीं बनाई बल्कि हिन्दी सिनेमा में भी खूब काम किया। जयश्री की ऑटोबायोग्राफी 'अशी मी जयश्री' भी साल 1986 में पब्लिश हुई थी। यानि इस समय तक जयश्री काफी नाम कमा चुकी थीं। लेकिन साल 2008 में 66 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वो सभी को अलविदा कह गईं।
बाल धुरी को 2 रोल हुए थे ऑफर
जब रामायण प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो सबसे पहले कास्टिंग शुरू की गई। ये वाकई काफी मुश्किल काम था। इस दौरान जयश्री गेडकर अपने पति बाल धुरी यानि रामायण के दशरथ के साथ रामानंद सागर जी के ऑफिस पहुंची थी। रामानंद जी ने कौशल्या के किरदार के लिए जयश्री गेडकर को चुन लिया। ये वो दौर था जब जयश्री तो मराठी सिनेमा का जाना माना नाम था ही साथ ही बाल धुरी भी रंगमंच की दुनिया में एंट्री कर चुके थे। लेकिन जब दोनों की बातेंं चल ही रही थी तो एकाएक रामानंद सागर ने 2 रोल बाल धुरी को ऑफर कर दिए। एक ‘दशरथ’ का तो दूसरा ‘मेघनाथ’ का।
बाल धुरी ने चुना दशरथ का रोल
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बाल धुरी को यूं तो दोनों ही रोल पसंद थे लेकिन उन्होने दशरथ के रोल को चुना। हालांकि तब रामानंद सागर ने बाल धुरी को ये भी समझाया था कि रामायण में दशरथ का किरदार कुछ ही एपिसोड का होगा इसीलिए तुम मेघनाद कर लो। लेकिन बाल धुरी ने 'दशरथ' के किरदार को ही पसंद किया और वही किया। बस….इसीलिए आज भी रामायण के दशरथ का किरदार ही उनकी पहचान बना हुआ है।
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रामानंद सागर की रामायण के दशरथ और कौशल्या से जुड़ा एक और खास किस्सा है। कहते हैं जब रामायण में दशरथ की मृत्यु हो जाती है तो अंतिम संस्कार के लिए उन्हे चिता पर लिटाया जाता है। लेकिन जब यह सीन जयश्री ने देखा तो वो काफी भड़क गई थीं। वो अपने पति को इस हालत में देखना नहीं चाहती थीं। तब बाल धुरी ने खुद पत्नी जयश्री को समझा बुझाकर मनाया था। और तब कहीं जाकर ये सीन पूरा हुआ।
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