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बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाने वाले सीनियर एक्टर बोमन ईरानी (Boman Irani) इन दिनों अपनी नई फिल्म ‘डिटेक्टिव शेरदिल’ (Detective Sherdil) को लेकर सुर्खियों में हैं. ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’, ‘3 इडियट्स’, ‘जॉली एलएलबी’ और ‘ऊंचाई’ जैसी फिल्मों के ज़रिए दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले बोमन ने इस बार एक अनोखा किरदार निभाया है, जो रहस्य, बुद्धिमत्ता और हास्य का दिलचस्प मेल है. दिलचस्प बात यह है कि बोमन ईरानी ने 44 की उम्र में बॉलीवुड में कदम रखा और जल्द ही दमदार अभिनय से अपनी खास पहचान बना ली.
हाल ही में मीडिया से हुई एक खास बातचीत में बोमन ईरानी ने अपनी फिल्म ‘डिटेक्टिव शेरदिल’, उसके सीक्वल की संभावनाओं, मौजूदा प्रोजेक्ट्स और इंडस्ट्री में अपने सफर को लेकर खुलकर बात की.
इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में वर्किंग आवर्स को लेकर खूब चर्चा हो रही है—कहीं 8 घंटे की शिफ्ट की मांग उठ रही है, तो कहीं लंबे घंटों तक काम करने को ज़रूरी बताया जा रहा है. ऐसे में आप क्या सोचते हैं? फिल्म इंडस्ट्री में आदर्श काम के घंटे कितने होने चाहिए?
देखिए, हर इंसान का अपना वर्क एथिक होता है कि हम इतने घंटे काम करेंगे. यह हर शख्स पर अलग-अलग निर्भर करता है. आप बोलो कि यह मेरी काम की शर्ते हैं, अगर आपको मेरे साथ काम करना है तो करो, वरना मत करो. यह आपके ऊपर है. तो हर चीज के लिए नियम नहीं बनाए जा सकते. हाँ, यूनियन के नियम जरूर अलग है जैसे कि इतने घंटे काम करो, इस बीच लंच ब्रेक इतने मिनट के होने चाहिए वगैरह. लेकिन कोई अगर कहे कि मैं यह नहीं कर सकता, मुझे सिर्फ आठ घंटे काम करना है, यह आपकी पसंद है. सभी लोग अलग तरीके से काम करते हैं. मैं लंबे घंटों तक काम करता हूँ. कभी-कभी शायद मैं थक जाता हूँ तो मैं गुजारिश कर सकता हूँ कि क्या हम इस शॉट को कल पूरा कर सकते हैं. कुछ डायरेक्टर इस बात को मान सकते हैं और कुछ नकार भी सकते हैं मगर यह पूरी तरह आपसी समझ पर निर्भर होता है. सबका काम का अपना-अपना मेथड होता है.
आपकी फिल्म में मर्डर मिस्ट्री के ज़रिए रिश्तों की पड़ताल की गई है. क्या आपको लगता है कि आज समाज में रिश्ते कमजोर हो रहे हैं, और लोग स्वार्थ में अपनों के खिलाफ भी हिंसा कर रहे हैं?
यह फिल्म सिर्फ मर्डर मिस्ट्री नहीं है क्योंकि अगर हम इसे सिर्फ मर्डर मिस्ट्री कहेंगे तो समझ ही नहीं आएगा कि फिल्म क्यों बनाई. यह फिल्म रिश्तों के बारे में ही है कि आदमी पैसों के लिए क्या कर सकता है. क्या मजबूरी हो सकती है. उस इंसान की क्या भावनाएं हो सकती है. मतलब उसके अंदर जलन या इगो हो, यानी इस फिल्म में बहुत सारे इमोशंस है. हम रोजमर्रा की जिंदगी में उन इमोशंस और व्यवहार के जरिए ही इंसान को पहचानते है ना कि सिर्फ मर्डर के जरिए. मर्डर तो बहुत कम घरों में होता है. लेकिन हम परिवार में इंसानी व्यवहार के जरिए ही किसी शख्स को पहचानते है. मर्डर तो इंसानी भावनाओं को जाहिर करने का एक तरीका है.
पिछले कुछ समय में रिश्तों में आई गिरावट—जैसे बेटे का मां-बाप को घर से निकालना या पत्नी द्वारा पति की हनीमून पर हत्या—जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं. क्या आपको लगता है कि ये समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है? आप इन बदलते रिश्तों को किस नज़र से देखते हैं?
यह कोई नई बात नहीं है. इन्सान कई तरह के होते हैं. कोई कमजोर होता है, कोई मानसिक रूप से बीमार होता है या कोई अच्छा भी होता है. हालांकि सौ फीसदी तो कोई अच्छा नहीं होता, सबमें कुछ ना कुछ कमजोरियां होती हैं. अगर आप उन कमजोरियों को खुद पर हावी होने देंगे और उसके अनुसार कदम उठाएंगे, तब क्राइम होता है. अगर आपके अंदर जलन है तो भी आप अपराध करते है. इंसान के अंदर यह बहुत सारी भावनाएं कई सालों से है, यह कोई नई बात नहीं है. राजा -महाराजा के घर से लेकर आम आदमियों के घर में भी हुआ है और बहुत पहले से है.
इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में सीक्वल का चलन ज़ोरों पर है. आपकी फिल्मों मुन्नाभाई और 3 इडियट्स के अगले पार्ट को लेकर भी फैंस में खासा उत्साह है. क्या इन बहुप्रतीक्षित सीक्वल्स को लेकर कोई अपडेट है? क्या दर्शकों को जल्द कोई खुशखबरी मिल सकती है?
ये चर्चा तो चलती रहती है. मुन्नाभाई को 20 साल हो गए हैं, हमें खुद मालूम नहीं है. हम तो बात करते रहते हैं राजू (डायरेक्टर राजकुमार हिरानी) के साथ. हम उन्हें बहुत परेशान करते हैं, लेकिन हमें ही कुछ जवाब नहीं मिला. शायद कुछ सीक्वल तो होगा.
अब तक आपने कई यादगार फिल्में की हैं — मुन्नाभाई एमबीबीएस, 3 इडियट्स, जॉली एलएलबी, जैसी कई सुपरहिट फिल्में. ऐसे में, आप खुद किस फिल्म को अपना अब तक का सबसे बेहतरीन काम मानते हैं?
शायद खोसला का घोसला. लोगों ने कहा कि मैं फिल्म में गलत था और शायद मैं ऐसा था. मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मेरे जैसे व्यक्ति को खुराना की भूमिका निभाने के लिए कहा गया. इसलिए जब किसी अभिनेता से सीमा पार करने के लिए कहा जाता है, तो वह इसे एक चुनौती के रूप में लेता है. उसे विश्वसनीय बनने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है. आप इसे सहज कैसे बना सकते हैं? आपको अपनी संवाद, अपने पहने हुए कपड़े और अपनी विचार प्रक्रियाओं को जानना होगा. आपको उस चरित्र की विश्वास प्रणाली को आत्मसात करना होता है, और फिर जैसे ही आप उससे आगे बढ़ते हैं, सब कुछ ठीक हो जाता है.
आपने हाल ही में कहा कि एक अच्छा पति वही होता है जो सम्मान करता है और वक्त के साथ उसका प्यार नए रूप में ढलता है. आप क्या मानते हैं—क्या प्यार को टिकाऊ बनाने के लिए उसका बदलना ज़रूरी है?
अच्छा पति वह है जो सम्मान करता है और साल दर साल बीतने के साथ-साथ उसका प्यार नए तरह का होने लगता है. जब आप 25 साल के थे वैसा ही प्यार तब नहीं हो सकता जब आप 65 के होंगे. प्यार मिटेगा नहीं, बल्कि नए रूप में नजर आने लगेगा. अगर प्यार खत्म हो जाता है और नया रूप नहीं लेता है तो इसमें दिक्कत है. प्यार अलग-अलग रूप लेता है.
आपने 65 साल की उम्र में 'द मेहता बॉयज़' से निर्देशन की शुरुआत की, जो अपने-आप में एक प्रेरणादायक कदम था. अब दर्शक जानना चाहते हैं—क्या आप जल्द ही किसी नए प्रोजेक्ट का निर्देशन करने जा रहे हैं?
देखते है. मैं अभी दो कहानियां लिख रहा हूँ और देखते हैं कि कौन- सी लेकिन उन्हें लिखना है और कहानी रेस जीतती है और पहले परदे पर आती है. फिर इन्हें डायरेक्ट भी करना है.
आपके अपकमिंग प्रोजेक्ट्स कौन-कौन से हैं?
फिलहाल तीन फिल्में पाइपलाइन में हैं, लेकिन जब तक औपचारिक दस्तखत नहीं होते, मैं उनके बारे में कुछ नहीं कह सकता. जैसे ही सब फाइनल होगा, ज़रूर साझा करूंगा.
आपको बता दें कि बोमन ईरानी जल्द ही फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ (Tanvi the Great) में नज़र आएंगे, जिसमें उनका किरदार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
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