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कुछ कहानियां वक्त का इंतजार करती हैं, और कुछ किरदार ऐसे होते हैं जो किसी कलाकार के जीवन में तब आते हैं जब वह उन्हें पूरी संवेदनशीलता और गहराई से निभाने के लिए तैयार होता है. ऐसा ही अनुभव रहा एक्ट्रेस दीया मिर्जा (Dia Mirza) का, जिनकी वेब सीरीज ‘काफ़िर’, 2019 (Kaafir), जिसकी निर्देशिका सोनम नायर (Sonam Nair) है, करीब 7 साल बाद ज़ी 5 पर फिल्म के रूप में प्रदर्शित हुई है. हाल ही में मीडिया ने दीया मिर्जा से उनकी वेब सीरीज को फिल्म के रूप में दिखाए जाने, फ़िल्मी सफ़र, प्रोड्यूस की भूमिका और आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बात कीं. आइये जानते है उन्होंने इन सभी मुद्दों पर क्या राय दी.
आपकी फिल्म 7 सालों के बाद फिल्म के रूप में प्रदर्शित की गयी है, इसे फिल्म के तौर पर देखने का आपका एक्सपीरियंस कैसा रहा?
मैं खुश हूँ कि यह फिल्म के तौर पर आई है. यह इतनी खूबसूरत और दमदार कहानी है कि लोगों से बहुत स्ट्रांगली कनेक्ट करती है. यह पहले तो फिल्म के तौर पर ही लिखी गई थी. लेकिन कई सालों तक यह बन नहीं पाई, फिर जी5 ने इसे वेब सीरीज (Web Series) के तौर पर बनाया. तब मुझे लेखक भवानी अय्यर (Bhavani Iyer) ने कहा था कि शायद इस कहानी को तुम्हारा इंतजार था. (हंसते हुए) मैं तो कहूंगी कि इस कहानी का मुझे इंतजार था. यह कहानी मेरे पास ऐसे समय पर आई, जब मैं इसका हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह तैयार थी.
जब आपने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा, उस वक्त सबसे बड़ी चिंता या डर क्या था जो अक्सर आपके मन में रहता था?
अगले साल मुझे इस इंडस्ट्री में 25 साल हो जाएंगे. मैं जब 19 साल की थी, तब मैंने इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया था (पहली फिल्म रहना है तेरे दिल में). तो यही डर था कि मुझे काम मिलना बंद हो जाएगा. हमको बार-बार जताया जाता था कि एक्ट्रेसेस की शेल्फ लाइफ होती है. 32-33 की उम्र के बाद उन्हें काम मिलना बंद हो जाता है. अगर आप स्थापित हैं तो ही 40 साल की उम्र होने के बाद ही काम मिलना आरंभ होता है. तो यह काफी डरावना था. पांच-छह सालों से काफी कुछ बदल रहा है. मेरे साथ अच्छी बात यह हुई है कि मुझे करियर के सबसे अच्छे किरदार अब मिले हैं. उससे बहुत हिम्मत मिलती है. यह इस बात का संकेत है कि समय और सोच में बदलाव आ रहा है. हमने बदलाव की दिशा में कदम उठाया है.
‘बॉबी जासूस’ (Bobby Jasoos) के बाद आपने प्रोडक्शन से दूरी क्यों बना ली? आपने दोबारा प्रोड्यूस करने का क्यों नहीं सोचा?
मैंने अभी मराठी शार्ट फिल्म ‘पन्ना’ (Panaah) बनाई है. इसकी निर्देशिका साक्षी मिश्रा (Sakshi Mishra) है. फिल्म की कहानी बहुत प्यारी है. हम इसे कई फेस्टिवल में दिखा रहे हैं. कुछ फेस्टिवल में इसे अवार्ड भी मिले हैं.
जब आप किसी प्रोजेक्ट को प्रोड्यूस करती हैं, तो किन बातों का विशेष ध्यान रखती हैं?
बतौर निर्माता जब मैंने 2011 में 'लव ब्रेकअप ज़िंदगी’ (Love Breakups Zindagi) बनाई थी. तब मैं सिर्फ 26 साल की थी. मेरी कोशिश थी कि अपनी कास्ट और क्रू को बराबरी का दर्जा दूँ. सब मिलकर काम करें. जब हमने उसे सफलतापूर्वक बनाया था तब लगा कि मुझे आस्कर अवार्ड मिल गया है. फिल्म बनाना बहुत मुश्किल होता है. फिर ऐसी फिल्म जिसमें हर कोई प्यार और सम्मान की अपेक्षा करे, वह बड़ी उपलब्धि है. ऐसा ही अनुभव ‘बॉबी जासूस’, 2014 (Bobby Jasoos) के साथ हुआ था. काम करते-करते बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है कि लोग किस तरह की कहानी पसंद करते हैं. वक्त बहुत तेजी से बदलता है. जब हमने विद्या बालन (Vidya Balan) को साइन किया था तो उनकी फिल्में चल रही थीं. जब ‘बॉबी जासूस’ को प्रदर्शित करने का समय आया तो उनकी कुछ फिल्में नहीं चली थीं. तो देखिए कि कैसे ट्रेड और इंडस्ट्री का नजरिया बदल गया था. तब मुझे सबसे ज्यादा यह समझ आया कि अपनी कहानी पर दृढ़ विश्वास रखो, क्योंकि फिर आपके साथ जो लोग आएंगे, वो कहानी को समझेंगे. उसे कोई हिला नहीं सकता. मुझे अभी भी इस फिल्म पर गर्व है.
फिल्म 'नादानियां' (Nadaaniyan) को लेकर काफी आलोचना हुई थी, और आप भी उस प्रोजेक्ट का हिस्सा थीं, उस अनुभव को आप आज किस नज़र से देखती हैं?
आपको किसी फिल्म से दिक्कत हो सकती है. यह आपकी पसंद या नापसंद हो सकती है. आप उसे बयां कर सकते हैं. मुझे दिक्कत तब आती है, जब लोग निजी चीजों को लेकर हमलावर होते हैं. यह ठीक नहीं है. यह बीमार मानसिकता को दर्शाता है. मुझे तो ऐसा लगता है कि आज की तारीख में जिनके पास विशेषाधिकार है, उनको ज्यादा तनाव, आलोचना के साथ डील करना पड़ता है. आलोचना (Criticism) का अधिकार सबको है, लेकिन उसका कोई उपयोगी उद्देश्य भी होना चाहिए.
आपके आने वाले प्रोजेक्ट क्या है?
धक- धक 2 की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. उसके अलावा एक वेब सीरीज की शूटिंग अभी पूरी की है. यह सीरीज अगले साल आएगी.
आपको बता दें कि एक्ट्रेस दीया मिर्जा (Dia Mirza) ने अपने फ़िल्मी करियर में, अभिनेत्री के तौर पर कई शानदार फ़िल्में की हैं, जिनमें शामिल हैं- रहना है तेरे दिल में (2001), तहजीब (2003), तुमसा नहीं देखा: एक प्रेम कहानी (2004), दस (2005), मेरा भाई... निखिल (2005), परिणीता (2005), लगे रहो मुन्ना भाई ( 2006), दस कहानियाँ (2007), कुर्बान (2009), सलाम मुंबई (2016), संजू (2018), थप्पड़ (2020), वाइल्ड डॉग (2021), धक धक (2023) IC 814: द कंधार हाईजैक (2024) और नादानियां (2025).
By PRIYANKA YADAV
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