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नेटफ्लिक्स (Netflix) की आगामी फिल्म ‘आप जैसा कोई’ (Aap Jaisa Koi) ने अपने ट्रेलर से ही दर्शकों के दिलों में खास जगह बना ली है. फिल्म की स्टारकास्ट – आर. माधवन (R.Madhavan), फातिमा सना शेख (Fatima Sana Shaikh) और निर्देशक विवेक सोनी (Vivek soni) ने हाल ही में एक मीडिया हाउस से खास बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने फिल्म की गहराई, किरदारों की चुनौतियों और आज के दौर के प्रेम को लेकर बेबाक राय रखी. पेश हैं इस बातचीत के कुछ अंश:
आपकी फिल्म का ट्रेलर लोगों को बेहद पसंद आया है. इसकी जमकर तारीफ हो रही है. लेकिन फैंस की एक शिकायत है कि जब स्क्रीनप्ले और स्केल इतना दमदार है, तो इसे थिएटर में रिलीज़ क्यों नहीं किया जा रहा?
विवेक सोनी: यह शुरू से ही नेटफ्लिक्स (Netflix) फिल्म थी. नेटफ्लिक्स ने ही इसका आइडिया धर्माटिक को दिया और वहीं से इसकी कहानी की शुरुआत हुई. इसलिए यह थिएटर के बजाय डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए ही बनी थी.
‘आप जैसा कोई’ जैसी दिलचस्प कहानी की शुरुआत कैसे हुई? क्या कोई खास घटना या अनुभव इस फिल्म का प्रेरणा स्रोत बना?
विवेक सोनी: इसका मूल विचार लेखिका राधिका आनंद और जेहान हंडा ने दिया था. जब मैंने उनकी 5-6 पेज की स्क्रिप्ट पढ़ी, तो उसमें अकेलापन, साथ की तलाश, पारिवारिक दखल और पितृसत्ता जैसे विषयों की कई संभावनाएं दिखीं. मुझे यह बहुत संभावनाशील और प्रासंगिक लगा.
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ट्रेलर देखने के बाद दर्शक कह रहे हैं कि 'मनु शर्मा' लौट आए हैं! क्या इस तरह की तुलना आपको खुश करती है या आप इसे चुनौती की तरह देखते हैं?
आर. माधवन: मैंने ज्यादा रोमांटिक फिल्में नहीं की हैं—‘रहना है तेरे दिल में’, ‘रंग दे बसंती’ में थोड़ा-बहुत और ‘तनु वेड्स मनु’. इसलिए जब लोग मुझे क्लीन शेव में देखते हैं, तो सीधे मनु शर्मा से जोड़ लेते हैं. लेकिन इस फिल्म में मेरा किरदार अलग है—यह कहानी आज की जटिलताओं को छूती है, जिसमें अकेलापन, धीमे होते रिश्ते, और छोटे शहरों का सुकून शामिल है.
सिंगल होने की स्थिति में क्या स्क्रीन पर रोमांस करना सिर्फ अभिनय रह जाता है, या फिर उस भावना को सच्चाई से जीना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है?
फातिमा: (हँसते हुए) शुक्रिया याद दिलाने के लिए कि मैं सिंगल हूँ! लेकिन हां, यह स्क्रिप्ट इतनी खूबसूरती से लिखी गई है कि सेट पर पहले से ही एक रिश्ता बन चुका होता है. मुझे माधवन के साथ काम करने में बहुत सहजता महसूस हुई क्योंकि वे संवेदनशील, विनम्र और बच्चों जैसी उत्सुकता से भरे हैं.
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क्या आपको लगता है कि रोमांटिक सीन करना बाकी इमोशनल सीन की तुलना में ज़्यादा चुनौतीपूर्ण होता है?
फातिमा: कुछ भी आसान नहीं होता, सब में मेहनत लगती है. अगर आप उस फीलिंग को महसूस नहीं पा रहे हैं तो दर्शक इसे तुरंत पकड़ लेंगे, क्योंकि वो आपके फेस पर दिखा जाता है.
माधवन: हर इमोशन मुश्किल होता है, लेकिन रोमांस में कैमरा बहुत करीब होता है, और आप अगर दिल से महसूस नहीं कर रहे, तो दर्शक तुरंत पकड़ लेते हैं. अभिनय में सच्चाई जरूरी है. खासकर रोमांस में अगर आप कैमरे से नज़दीक रिश्ता नहीं बना पाते, तो केमिस्ट्री नकली लगती है.
अक्सर ऐसा देखा गया है कि रियल लाइफ कपल्स की ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री उतनी दमदार नहीं होती जितनी अपेक्षा होती है. क्या आप इससे सहमत हैं?
माधवन: बिल्कुल! अक्सर देखा गया है कि पति-पत्नी या प्रेमी जोड़े ऑनस्क्रीन सही केमिस्ट्री नहीं दिखा पाते, क्योंकि असल में प्यार एक कल्पना होती है, एक चाहत. जब आप पहले से एक-दूसरे को पा चुके होते हैं, तो वह जज़्बा कैमरे पर नहीं आ पाता.
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आजकल जब बड़े उम्र के किरदारों के बीच भी ईमानदार और भावनात्मक प्रेम कहानियां दिखाई जा रही हैं, तो क्या आप इसे भारतीय सिनेमा की परिपक्वता मानते हैं?
फातिमा: हाँ! पहले हीरो की उम्र कुछ भी हो, हीरोइन उससे आधी होती थी. अब यह बदल रहा है. लोग अब ऐसी कहानियों को स्वीकार नहीं करते जहां कोई 50 साल का अभिनेता 20 साल की लड़की से रोमांस कर रहा है.
इस फिल्म में अकेलेपन और आधुनिक रिश्तों की बात की जा रही है. क्या आज के दौर में प्यार का मतलब बदल गया है?
फातिमा: प्यार अब भी वैसा ही है, बस लोग खुद को उससे अलग मानने लगे हैं. लोग कहते हैं, “मैं कमिटमेंट नहीं चाहता,” लेकिन सच यह है कि हम सभी सच्चे प्यार की तलाश में हैं. आज का सबसे बड़ा दर्द है—रिश्ते में होकर भी अकेलेपन का अनुभव.
माधवन: प्यार में परफेक्ट जैसा कुछ नहीं होता. आजकल लोगों ने रोमांस को समझौता बना रख दिया है. कि ये मेरे दायरे है और ये तुम्हारे. अगर इस दायरे में आप है तभी आप मेरे लवर है. मैं तो कहता हूँ कि अपने आपको जानने के लिए आप यात्रा करे.
‘टॉक्सिक लव’ को पर्दे पर दिखाना कहीं न कहीं समाज के लिए एक आईना भी होता है लेकिन क्या यह ज़रूरी है कि ऐसे किरदार को सिर्फ 'बुरा' या 'गलत' ही दिखाया जाए, या फिर उसकी परतों को समझाना भी ज़रूरी होता है?
विवेक सोनी: ज़रूरी है कि ऐसे किरदारों को किस नज़र से दिखाया जाए. क्या आप उस व्यवहार को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना कर रहे हैं या उसकी गलती को उजागर कर रहे हैं? हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालें.
माधवन: बिल्कुल! कई बार आदमी सोचता है कि वह बदल रहा है, पर उसकी आदतें अब भी ज़हरीली बनी रहती हैं. इसलिए ज़रूरी है समझाना, न कि बस दोष देना.
एक आखिरी सवाल—सेलेब्रिटी डेटिंग को लेकर एक मिथ क्या है जिसे आप तोड़ना चाहेंगी?
फातिमा: लोग सोचते हैं कि हमें डेटिंग में कोई दिक्कत नहीं होती. लेकिन सच्चाई यह है कि हमारी ज़िंदगी, इमोशन और चुनौतियों को समझने के लिए बहुत संतुलित और समझदार पार्टनर चाहिए. इंडस्ट्री के बाहर डेटिंग बहुत अलग अनुभव होता है.
आपको बता दें कि आर माधवन और फातिमा सना शेख के लीड रोल वाली फिल्म 'आप जैसा कोई' 11 जुलाई को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो रही है.
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