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‘Cannes Film Festival 2025’ सिर्फ एक सिने समारोह नहीं, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और सिनेमा के एक नए युग की शुरुआत’ का प्रतीक बनकर सामने आया. इस बार भारत ने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म महोत्सव में सिर्फ भाग नहीं लिया, बल्कि अपनी रचनात्मकता, विविधता और सांस्कृतिक विरासत के दम पर एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाई.
इस वर्ष भारतीय फिल्मों ने सिर्फ अपनी प्रस्तुति से नहीं, बल्कि अपनी गहराई और संवेदनशीलता से भी दुनिया को प्रभावित किया. इस बार पायल कपाड़िया मुख्य प्रतियोगिता खंड की जूरी सदस्य बनीं, यह न केवल उनके व्यक्तिगत उपलब्धि का प्रमाण है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय सिनेमा अब निर्णायक भूमिकाओं में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है.
वहीँ श्याम बेनेगल की कालजयी कृति 'मंथन' और सत्यजित रे की 'अरण्येर दिन रात्रि' की पुनर्संस्करण स्क्रीनिंग ने भारत की फिल्म धरोहर को पुनर्जीवित किया. इन फिल्मों ने दिखाया कि कैसे भारतीय सिनेमा ने दशकों पहले ही सामाजिक, राजनीतिक और मानवीय मुद्दों को गंभीरता से उठाया था. इसके अलावा राजस्थानी फिल्म 'ओमलो' की प्रस्तुति ने क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाले सिनेमा को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई. यह इस बात का संकेत है कि भारत की सांस्कृतिक विविधता अब सिनेमा के माध्यम से सीमाओं को लांघकर विदेशों में पहुँच रही है.
वहीँ नीरज घायवान की फिल्म 'होमबाउंड' को मिले 9 मिनट लंबे स्टैंडिंग ओवेशन ने यह साबित कर दिया कि भारत की युवा पीढ़ी भी अब न केवल तकनीकी रूप से दक्ष है, बल्कि संवेदनशील, सशक्त और वैश्विक रूप से प्रासंगिक कहानियाँ कहने में सक्षम है. इसी तरह, अनुपम खेर की फिल्म 'तन्वी द ग्रेट' ने भी अंतरराष्ट्रीय दर्शकों और समीक्षकों का ध्यान खींचा. यह फिल्म भारतीयता, परिवार और संघर्ष की भावना को नई दृष्टि से प्रस्तुत करती है.
कान्स 2025 में भारत सिर्फ सिनेमा के जरिये ही नहीं, बल्कि अपनी पारंपरिक सुंदरता और फैशन सेंस के ज़रिये भी चर्चा में रहा. ऐश्वर्या राय बच्चन ने अपने 22वें कान्स अपीयरेंस में मनीष मल्होत्रा की डिज़ाइन की गई बनारसी आइवरी साड़ी, हस्तनिर्मित टिशू दुपट्टा और 500 कैरेट से अधिक माणिक-हीरे के हार के साथ न केवल ग्लैमर बल्कि भारतीयता का भी प्रतीक बनकर सबका ध्यान खींचा. उनके लाल सिंदूर वाले लुक ने न सिर्फ परंपरा को गौरवान्वित किया, बल्कि भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' की याद भी ताजा कर दी. उर्वशी रौतेला, जाह्नवी कपूर, नितांशी गोयल, जैकलीन फर्नांडिस, अदिति राव हैदरी, नैन्सी त्यागी, अनुष्का सेन जैसी हस्तियों ने फैशन और संस्कृति के समागम को ग्लोबल मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया. इनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि भारत की नारी शक्ति अब ग्लोबल रेड कार्पेट पर आत्मविश्वास से खुद को प्रस्तुत कर रही है.
इन सभी उपलब्धियों ने यह स्पष्ट रूप से सिद्ध कर दिया है कि ‘Cannes 2025’ में भारत की उपस्थिति अब केवल एक दर्शक या फिल्मों के उपभोक्ता की भूमिका तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने खुद को वैश्विक सिनेमा और सांस्कृतिक विमर्श को दिशा देने वाले एक सक्रिय, सृजनशील और प्रभावशाली मार्गदर्शक के रूप में स्थापित किया है. भारतीय फिल्मों की विविधता, कलाकारों की आत्मविश्वासपूर्ण प्रस्तुति और सांस्कृतिक पहचान के गर्वपूर्ण प्रदर्शन ने इस महोत्सव को भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बना दिया.
‘Cannes 2025’ का यह आयोजन न केवल भारतीय रचनात्मकता की वैश्विक स्वीकृति का प्रतीक बना, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब सिनेमा के वैश्विक मंच पर संवाद, नवाचार और सांस्कृतिक नेतृत्व की नई ऊँचाइयों को छू रहा है.
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