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यह समय सोशल मीडिया- इंफ्लुएंसरों का है. प्रयागराज महाकुंभ मेला से लेकर प्रधानमंत्री तक सोशलमीडिया का जलवा बरकरार है. महाकुम्भ मेले में माला बेचनेवाली लड़की मोनालिसा हो या महाकुम्भ में महामंडलेश्वर घोषित होकर, अपदस्थ होने वाली बीते दिनों की अभिनेत्री ममता कुलकर्णी हों, महज एक पखवारे में इनदोनो ने जो चर्चा हासिल किया है वो पिछले कई सालों से वही काम करते हुए उन्हें नहीं मिल पाया था. ममता अचानक कुम्भ में आकर साध्वी नहीं बन गई हैं और ना ही मोनालिसा मेले में आकर अचानक माला बेचना शुर कर दी थी. बस, सोशल मीडिया की नजरों में चढ़ने के लिए पलेटफॉर्म उन्हें अब मिला है.
और, रिजल्ट सामने है. यह सोशल मीडिया का जलवा ही है कि पारदी समाज की बंजारन लड़की मोनालिसा फिल्म "डायरी ऑफ मणिपुर" की हीरोइन बन गई है. निर्माता-निर्देशक उसके गांव जाकर उसे अनुबंधित किए हैं और अब उसे मुम्बई बुलाकर उसके लिए फिल्म ट्रेनिंग की व्यवस्था दीगई है. वहीं इस समय की दूसरी सोशल मीडिया स्टार ममता कुलकर्णी हैं जो 25 साल पहले फिल्म इंडस्ट्री छोड़ गई थी. उनके फैन्स उन्हें भूल चुके थे. किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने की खबरों ने उनको पिछले स्टारडम से भी बड़ी चर्चा दे दिया है. इनदिनों वह ना सिर्फ फिल्मी दर्शकों में बल्कि साधु, संत, सन्यासी और शंकराचार्यों के बीच भी बहस का मुद्दा बनी हुई हैं. यह सब हुआ है सोशल मीडिया की वजह से. बॉलीवुड की खबर है कि कई फिल्म निर्माता ममता मुलकर्णी को अपनी ओटीटी सीरीज में और फिल्मों में लेआने की कोशिश में लग गए हैं.
बॉलीवुड और सोशल मीडिया प्लेटफोर्म इनदिनों एक दूसरे की जरूरत बन गए हैं. फिल्म शूटिंग, रिकार्डिंग की तकनिक से परवान चढ़ रहा सोशल मीडिया अकाउंट महीसासुर बनता जा रहा है. वह सिनेमा को निगल रहा है और सिनेमा है जो उसकी ओर देखने के लिए विवश सा होता जा रहा है.फिल्म के टीजर, प्रोमो सोशल मीडिया पर रिलीज होते हैं तो देखा जाता है कि कितने समय मे कितने व्यूअर्स मिले? फिल्म का गाना, ट्रेलर, प्रोमोशन्स और रिव्यू के बाद बॉक्स ऑफिस कलेक्शन तक सोशल मीडिया की रिपोर्ट पर आधारित हो गया है. ऐसेमें, यही कहा जा सकता है कि सिनेमा को सोशल मीडिया पछाड़ रहा है.
एक समय था जब राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे सितारे स्ट्रगल करके बॉलीवुड में जगह पाए थे. फिर कुछ सितारे ट्रेनिंग लेकर फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री किए हैं. पूना फिल्म इंस्टिट्यूट और एनएसडी से आनेवालों का दौर चला. रोशन तनेजा, आशा चंद्रा, किशोर नमित कपूर जैसे प्रशिक्षकों के यहां से कई सितारे फिल्म इंडस्ट्री में आए थे. इधर पिछले कुछ वर्षों मे अनुपम खेर, सुभाष घई के स्कूलों से ट्रेनिंग लेकर फिल्म इंडस्ट्री में आने का रास्ता खुला था. पर कोविड 19 की महामारी के बाद पूरी दुनिया ही बदल गयी. सिनेमा का बाजार इंटरनेटऔर यूट्यूब पर आश्रित हो गया. प्रचार सोशल मीडिया पर केंद्रित हो गया. यूट्यूब के प्रोडक्शन हाउस खुल गए. और अब, फिल्मों में प्रवेश का रास्ता भी सोशल मीडिया के मार्फत खुल गया है.
नव्या नवैली नंदा, आर्यन खान, पलक तिवारी, इब्राहिम अली खान, सुहाना खान, अगस्त्य नंदा, सिद्धांत चतुर्वेदी जैसे लड़के लड़कियां बिना फिल्मों में आए कैसे पॉपुलर हो गए? आए दिन इन लड़के लड़कियों की ऐसी वैसी तस्वीर इंस्टाग्राम, X-ट्वीटर, फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मो पर आती रहती है. वे विदेश में हों, हिल स्टेशन पर हों, या अधनंगे हों उनकी तस्वीर देखने के लिए उनके लाखो लाखों फॉलोवर्स होते हैं. बिना कुछ किए इनकी डिमांड बनी रहती है. विज्ञपन और फिल्मों के रास्ते इनके लिए खुल जाते हैं. बिग बॉस जैसे शो में बड़ा-पाव वाली या खान सर का आना इसीलिए होता है कि उनके बहुत बड़े फॉलोअर्स है, शो निर्माताओं को उसका फायदा मिलता है. यह कमाल हो रहा है सोशल मीडिया से.
प्रयागराज की माला - गर्ल मोनालिसा के पीछे लोग इसीलिए फ़ोटो खिंचाने के लिए जुटने लगे कि किसी ने सोशल मीडिया पर उसकी फ़ोटो डालकर कंम्पेयर कर दिया कि वह ऐश्वर्या राय से कम खूबसूरत नहीं है. प्रयाग मेले में डेरा डाले इंफ्लुएंसर मोनालिसा को अपने चैनलों पर दिखाने लगे. उसके इर्दगिर्द देखनेवालों की भीड़ इतनी जमा होने लगी कि उसे धंधा बंद कर अपने गांव भागना पड़ा. यह है सोशल मीडिया का नया नया असर, जिसके लिए किसी ने लिखा है- चार दिन में वह लड़की चमकी और 'मायापुरी' के पन्नो पर आगयी जहां छपने के लिए कलाकारों को सालों लगते हैं.
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