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नई दिल्ली, – संगीत, श्रद्धा और राष्ट्र गौरव से सजी एक भव्य संगीतमयी संध्या ‘बैठक’ का आयोजन दिल्ली के सीरी फोर्ट रोड स्थित एनसीयूआई ऑडिटोरियम में हुआ। यह कार्यक्रम देश के तीन प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार से सम्मानित संगीत मनीषियों – डॉ. एल. सुब्रमण्यम, डॉ. जसपिंदर नरूला और कविता कृष्णमूर्ति को समर्पित था, जिन्होंने दशकों तक अपनी साधना और प्रतिभा से भारतीय संगीत को समृद्ध किया।
डॉ. एल. सुब्रमण्यम को भारतीय वायलिन को वैश्विक मंच तक पहुँचाने और फ्यूजन म्यूज़िक में अग्रणी योगदान के लिए सम्मानित किया गया। डॉ. जसपिंदर नरूला, जो अपनी सशक्त आवाज़ और भावपूर्ण गायकी के लिए जानी जाती हैं, उन्हें बॉलीवुड और शास्त्रीय संगीत में उनकी उल्लेखनीय यात्रा के लिए सराहा गया। वहीं, भारतीय फिल्म संगीत की दिग्गज गायिका कविता कृष्णमूर्ति को उनके 50 वर्षों की संगीत साधना के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
इस सांस्कृतिक संध्या में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नक़वी और दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम की खास प्रस्तुति में गायिका अंकिता पाठक ने जसपिंदर नरूला और कविता कृष्णमूर्ति के लोकप्रिय गीतों की संगीतमयी झलक पेश की, जिससे समां और भी रंगीन हो गया। श्रोताओं के अनुरोध पर जसपिंदर नरूला और कविता कृष्णमूर्ति ने भी मंच पर आकर अपने प्रसिद्ध गीतों की प्रस्तुति दी। कविता ने जब फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ का शीर्षक गीत “दिल दे चुके सनम” गाया तो पूरे सभागार में सन्नाटा छा गया और हर श्रोता संगीत में डूब गया। वहीं डॉ. जसपिंदर नरूला ने “दमादम मस्त कलंदर” और “जुगनी जी” जैसे जोशीले गीतों से मंच को ऊर्जा और उत्साह से भर दिया, जिससे दर्शक झूमने को मजबूर हो गए।
भावुक क्षण में डॉ. जसपिंदर नरूला ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को अपनी पद्मश्री सम्मान समर्पित किया और सरकार से आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की अपील की। वहीं, डॉ. एल. सुब्रमण्यम ने कहा, "यह सम्मान केवल मेरी संगीत यात्रा का नहीं, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की उस शक्ति का है जो सीमाओं से परे जाकर दिलों को छूती है। मैं इसे अपने गुरुओं, परिवार और हर उस संगीत साधक को समर्पित करता हूँ जो समर्पण और अनुशासन में विश्वास करता है।"
कार्यक्रम का आयोजन मीडिया क्षेत्र की अग्रणी संस्था ग्रैफिसएड्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश गुप्ता के नेतृत्व में हुआ। उन्होंने कहा कि ‘बैठक’ केवल एक संगीत संध्या नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देने और महान कलाकारों के योगदान को जन-जन तक पहुँचाने का एक प्रयास था।
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यह शाम सुरों, संवेदना और संस्कृति की एक जीवंत मिसाल बनकर उभरी — जो भारतीय संगीत की विरासत को भावपूर्ण श्रद्धांजलि और भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्वरूप रही।
by Harish Sharma
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