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इनदिनों किशोर बच्चों में सुसाइड करने की घटनाएं सुनी जा रही हैं.खोजबीन से पता चल रहा है कि न सिर्फ भारत मे बल्कि कई देशों में यह खतरा देखा जा रहा है और उन बच्चों में सुसाइड की प्रवित्ति बढ़ रही है जो मां-बाप की नजर से दूर एकाकी होकर ऑनलाइन गेम खेलने में लगे रहते हैं. ऑनलाइन गेम्स में कुछ गेम 'चैलेंजिंग' होते हैं जो युवा लड़के-लड़कियों में आत्महत्या की प्रवित्ति को बढ़ावा देते हैं. ऐसा समझा जा रहा है कि सुसाइड की घटनाओं के पीछे ऐसे ऑनलाइन गेम्स हैं.
क्या होते हैं सुसाइड गेम?
ऑनलाइन सुसाइड चैलेंज गेम इंटरनेट से चलने वाला एक एप्प होता है जिसमे प्रतिभागी एक सोशल मीडिया अकाउंट का पालन करते हैं जो उन्हें परेशान करने वाली बहुत सी चुनौतियों को पूरा करने का निर्देश देता है. चुनौतियों का दायरा बढ़ता जाता है. एक हॉरर फिल्म या विशेष गीत से गेम शुरू होता है और प्रतिभागी में आत्महत्या की सोच को लाइव स्ट्रीमिंग में विकसित करता है. दूसरे शब्दों में कहें तो इन चैलेंज वाले खेलों में एक व्यक्ति खेलवाता है और दूसरा व्यक्ति या कई व्यक्ति खेलते हैं.
ब्लू व्हेल चैलेंज, लीग ऑफ लीजेंड गेम, फ्लेविन, फ्री फ़ायर गेम ऐसे ही एप्प हैं. फ्लेविन गेम से चीन को भारत से 400 करोड़ रुपए गए हैं जिनके खिलाफ ईडी की कार्यवाही हुई है. युवाओं में इन आत्म हत्याओं की वजह गेमिंग एप्प को कारण मानते हुए 2017 में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर कई गेम खेलने वाले एप्प पर बैन लगाया हुआ है. आइए देखें, इन चैलेंजिंग गेम की वजह से कैसे कैसे सुसाइड अटेम्प सामने आए हैं.
गेम का एडिक्ट होना
ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के एडिक्शन की वजह से अमेरिका में कुछ दिन पहले मैसाचुसेट्स में पढ़ाई करने वाला एक 20 वर्ष का भारतीय लड़का बंद कार में मरा पड़ा मिला. कार में मृत लड़के के मोबाइल फोन पर ब्लू व्हेल गेम एक्टिव पाया गया था. अमेरिका में किसी भारतीय लड़के का गेम खेलने से मौत होने का यह पहला केस है. ब्लू व्हेल गेम के कारण भारत, अमेरिका, चीन में मरनेवालों की संख्या 130 तक पहुच गयी है. ब्लू व्हेल के प्रतिभागी 50 खतरनाक लेबल या रैंक से गुजरते हैं. उन्हें एक टास्क दिया जाता है. हर लेबल पर चैलेंज कठिन होता जाता है और हर लेबल पर करने पर उनको अपने हाथ पर एक निशान बनाने के लिए कहा जाता है और अंत मे हाथ पर एक व्हेल का निशान बन जाता है.
साल 2013 में रूस के एक पूर्व अपराधी फिलिप वुडेकिन द्वारा ब्लू व्हेल चैलेंज गेम बनाया गया था. वुडेकिन को गिरफ्तार करके उसे 3 साल की सजा हुई थी.उसपर 16 नाबालिगों को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था.
बलूव्हेल गेम के और भी किस्से हैं. मुम्बई में 14 साल के एक लड़के ने 7वीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या किया. पश्चिम बंगाल में एक स्टूडेंट ने चेहरा पॉलीथिन से बांधकर जान दिया.केरल में एक नाबालिग ने फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया. इन सबमें ब्लू व्हेल गेम खेलने की आदत थी. सभी मरने वालों की मृत्य में एक समानता थी.
इसी तरह का एक ऑनलाइन चैलेंजिंग गेम है 'लीग ऑफ लीजेंड गेम'- जिसके एडिक्शन का शिकार कुशी नगर, वाराणसी का एक 19 साल का युवक हुआ, उसने छत से कूदकर आत्म हत्या किया. उस लड़के ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के यूजर के रूप में एक दूसरा नाम डाला था जो लीजेंड गेम के एक स्ट्रीमर का नाम था. उसने दोस्त को लिखा था "फ्लेक्स तो है 19 साल की उम्र में मौत." फ्लेक्स लीजेंड गेम का एक लेबल/रैंक है. जवाब में दोस्त ने लिखा- "ब्रो, 19 साल में मौत मीन्स". यवक ने फिर लिखा- "इसको कल लाइव आकर बताऊंगा."
फ्री फायर गेम को प्रतिबंधित किया गया है. वावजूद इसके मुम्बई में भोईवाडा की 7वीं कक्षा की छात्रा इस गेम की शिकार हुई बताई गई. इसमें बच्चे दोस्त ग्रूप में भी जुड़े होते हैं. मध्य प्रदेश में एक 13 साल के लड़के ने 40 हज़ार रुपए कहीं भेज दिए.उसकी मां को तब मालूम पड़ा जब मैसेज देखा.
यानी- अपने युवा लड़के लड़कियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी उनके पैरेंट्स की होती है.अधिकतर चैलेंजिंग गेम के शिकार 20 वर्ष के आसपास की उम्र वाले युवा होते हैं जो एडिक्ट हो जाते हैं और बड़ों से बचकर गेम के शिकार बनते हैं. इसलिए सावधान रहिए! कहीं आपके बच्चे भी ऑनलाइन सुसाइड चैलेंज गेम की गिरफ्त में न हों.
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