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‘Chak De Moment’ - Amol Muzumdar बने रियल लाइफ Kabir Khan, जिन्होंने महिला टीम को बनाया विश्व चैंपियन

कभी भारतीय जर्सी न पहन पाने वाले खिलाड़ी मजूमदार ने अब कोच के रूप में इतिहास रच दिया। उन्होंने अपने नेतृत्व और रणनीति से टीम को ऐसी ऊँचाइयों तक पहुँचाया जो किसी फिल्मी क्लाइमेक्स से कम नहीं।

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Former cricketer Mazumdar achievement
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अगर ‘चक दे इंडिया’ (Chak De! India) के कोच कबीर खान (Kabir Khan) ने सिनेमा के रुपहले परदे पर सपनों को साकार किया था, तो अमोल मजूमदार (Amol Muzumdar) ने उस सपने को असल मैदान में जी लिया है.  कभी भारतीय जर्सी न पहन पाने वाले मजूमदार ने कोच के रूप में वो कर दिखाया जो किसी फिल्मी क्लाइमेक्स से कम नहीं — भारत की महिला टीम को वनडे विश्व कप 2025 जिताकर इतिहास रच दिया. 

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From Mumbai's Maidans To World Cup Glory: Amol Muzumdar's Journey Of  Perseverance And Redemption | IndiaSportsHub

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वो पल, जो फिल्म नहीं हकीकत था

फाइनल के आखिरी ओवर में जब हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) ने नादिन डी क्लार्क (Nadine de Klerk) का कैच पकड़ा, तो डगआउट में खड़े अमोल मजूमदार की आंखें नम थीं. वो पल किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था — फर्क बस इतना कि यहां कैमरा नहीं, असल ज़िंदगी चल रही थी.

जब शिष्य ने किया गुरु का सम्मान 

जैसे कोमल ने कबीर खान को गले लगाया था, वैसे ही खिताब जीतने के कुछ ही पल बाद कप्तान हरमनप्रीत कौर ने सबके सामने जाकर कोच अमोल मजूमदार के पैर छुए. वह सीन मानो फिल्म ‘चक दे इंडिया’ की याद दिला गया — जब टीम इंडिया के खिलाड़ी कबीर खान को गले लगाते हैं.

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यह एक भावुक क्षण था- मजूमदार

जब मजूमदार से भारत को पहली बार विश्व कप जिताने के अनुभव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हरमनप्रीत के कैच के बाद मुझे नहीं पता कि क्या हुआ? अगले पांच मिनट धुंधले थे. मैं डगआउट में ऊपर देख रहा था. मुझे नहीं पता कि अगले पांच मिनट में क्या हुआ? सब गले मिल रहे थे. यह सभी के लिए एक भावुक क्षण था.

Amol Muzumdar's Factfile: The Mastermind Behind India Women's Historic  World Cup Triumph | Outlook India

एकजुटता रही जीत का कारण 

पर्दे के पीछे भारतीय टीम की कमान संभालने वाले मजूमदार ने सफलता के पीछे खिलाड़ियों की एकजुटता को सबसे बड़ा कारण बताया. उन्होंने कहा, पिछले दो साल इस टीम के साथ शानदार रहे. सभी खिलाड़ी एक-दूसरे का साथ देते हैं, कोई पीछे नहीं छोड़ता. ऐसे प्रतिभाशाली समूह के साथ काम करना गर्व की बात है. पुराने 'खडूस मुंबईकर' अंदाज वाले मजूमदार ने माना कि टीम में उनका अनुशासन और मानसिक दृढ़ता झलकती है.  

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इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि तीन लगातार हार के बावजूद उन्होंने टीम से कहा था कि हम हारे नहीं हैं, बस फिनिशिंग लाइन पार नहीं कर पाए. उसके बाद खिलाड़‍ियों ने जो जज्‍बा दिखाया, वह अविश्वसनीय था.  
मजूमदार नहीं जानते पर उनका यहीं डायलॉग असली ‘चक दे मोमेंट’ बन गया.

गुलाब की पंखुड़ियां से हुआ स्वागत 

भारतीय महिला क्रिकेट टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाले कोच अमोल मजूमदार (Amol Muzumdar) जब पहली बार मुम्बई स्थित अपने घर लौटे, तो उनका स्वागत किसी नायक की तरह हुआ. ढोल-ताशों की थाप से गूंजते माहौल में गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई गईं, जयकारों की आवाज़ों ने हवा में जोश भर दिया. ऐसा लग रहा था मानो पूरा मोहल्ला अपने किसी अपने की घर वापसी का उत्सव मना रहा हो. अमोल जब अपनी बिल्डिंग के प्रवेश द्वार तक पहुंचे, तो लोगों ने बल्ला उठाकर उन्हें सलामी दी. उस पल की भावनाएं देखकर हर किसी की आंखें नम थीं — खासकर महिलाओं और बच्चियों की, जिनके चेहरों पर गर्व और खुशी दोनों झलक रहे थे.

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यह दृश्य बिल्कुल वैसा ही लगा जैसे फिल्म ‘चक दे इंडिया’ में कबीर खान के घर लौटने का दृश्य — जब एक बच्चा उसके घर की दीवार पर कालिख से लिखे ‘गद्दार’ शब्द को मिटाता है. फर्क बस इतना था कि इस बार ‘गद्दार’ नहीं, ‘गौरव’ लिखा जा रहा था — और वह गौरव था अमोल मजूमदार का, जिन्होंने देश का सिर ऊंचा किया. 

1983 की तरह, ये जीत भी नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी

इस जीत के बाद मजूमदार ने कहा, “यह सिर्फ महिला क्रिकेट की जीत नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट का ऐतिहासिक मोड़ है. स्टेडियम खचाखच भरा था, करोड़ों लोग टीवी पर देख रहे थे, जैसे 1983 की जीत ने एक पीढ़ी को प्रेरित किया था, वैसे ही यह जीत नई पीढ़ी के सपनों को पंख देगी ”

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कभी खिलाड़ी नहीं बने, पर असली चैंपियन निकले

अमोल मजूमदार घरेलू क्रिकेट के एक दिग्गज बल्लेबाज़ रहे हैं. 1990 और 2000 के दशक में उन्होंने 171 प्रथम श्रेणी मैचों में 48.13 की औसत से 11,167 रन बनाए, जिनमें 30 शतक शामिल हैं. उन्होंने 2006-07 के सीज़न में मुंबई को रणजी ट्रॉफी का खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई थी. 

हालांकि मजूमदार कभी टीम इंडिया में जगह नहीं बना सके, लेकिन अब कोच के रूप में उन्होंने वह मुकाम हासिल कर लिया है, जिसका सपना हर क्रिकेटर देखता है. भारतीय महिला क्रिकेट टीम को विश्वकप जीतकर वे अब गैरी कर्स्टन (Gary Kirsten) और राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid)  जैसे विश्व कप विजेता भारतीय मुख्य कोचों की खास सूची में शामिल हो गए हैं. 

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आपको बता दें कि 1990 के दशक में मजूमदार मुंबई के उन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में से एक थे, जिन्हें राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) जैसे दिग्गजों की मौजूदगी के कारण राष्ट्रीय टीम में अवसर नहीं मिल सका. दिलचस्प बात यह है कि अपने स्कूल के दिनों में भी वे एक ऐतिहासिक पारी का हिस्सा बनते-बनते रह गए थे—जब शारदाश्रम विद्यालय के लिए सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) और विनोद कांबली (Vinod Kambli) ने 664 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की, तब अमोल पैड बांधकर अपनी बारी का इंतज़ार करते रह गए.

‘चक दे इंडिया’ में कबीर खान ने कहा था — “मुझे स्टेट्स के नाम नहीं सुनने, सिर्फ इंडिया का नाम सुनाई देना चाहिए. ” आज अमोल मजूमदार की टीम ने वह बात सच कर दिखाई है. मैदान में गूंज रही थी — “चक दे इंडिया!” बस इस बार वह फिल्म नहीं, इतिहास था. 

भारतीय महिला क्रिकेट टीम को विश्वकप जिताने वाले कोच अमोल मजूमदार को ‘मायापुरी’ परिवार की ओर से सलाम. उन्होंने जिस तरह गुरु की भूमिका निभाकर टीम का मार्गदर्शन किया, वह हर खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है.

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FAQ 

प्रश्न 1. मजूमदार कौन हैं?

उत्तर: मजूमदार एक पूर्व क्रिकेटर हैं, जिन्होंने कभी भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए नहीं खेला, लेकिन कोचिंग के माध्यम से क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रश्न 2. कोच के रूप में मजूमदार ने क्या उपलब्धि हासिल की?

उत्तर: कोच के रूप में, मजूमदार ने अपनी टीम को असाधारण सफलता दिलाई और ऐसे मुकाम पर पहुँचाया जो किसी फिल्मी क्लाइमेक्स से कम नहीं था।

प्रश्न 3. उनकी यात्रा प्रेरक क्यों है?

उत्तर: यह प्रेरक इसलिए है क्योंकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय खेल का अनुभव न होने के बावजूद अपनी रणनीति, ज्ञान और नेतृत्व कौशल से एक विजयी टीम बनाई।

प्रश्न 4. मजूमदार ने युवा खिलाड़ियों पर कैसे प्रभाव डाला?

उत्तर: उन्होंने यह दिखाया कि समर्पण, योजना और मार्गदर्शन से युवा खिलाड़ी भी बिना अंतरराष्ट्रीय अनुभव के शानदार उपलब्धियाँ हासिल कर सकते हैं।

प्रश्न 5. मजूमदार की कोचिंग सफलता के बारे में और जानकारी कहाँ मिल सकती है?

उत्तर: मजूमदार की उपलब्धियों और खेल में योगदान के बारे में समाचार लेख, खेल इंटरव्यू और क्रिकेट संघ की घोषणाओं में जानकारी मिल सकती है।

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