/mayapuri/media/media_files/dhdA4D55Yxi9uRPdsEau.jpg)
राजस्थान के जैसलमेर से 12 किलोमीटर दूर स्थित एक ऐसा मंदिर है जो ना सिर्फ आस्था और विश्वास का प्रतीक है बल्कि अपने चमत्कार के लिए भी पूरे भारत में जाना जाता है. चूंधी गणेश नाम के इस मंदिर का इतिहास जैसलमेर की स्थापना से भी पुराना है. इस मंदिर में स्थित गणेश जी की प्रतिमा भी स्वयंभू मानी जाती है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ स्थापित गणेश जी की मूर्ति नदी में बहकर आई थी. कहने का अर्थ यह हुआ कि यहाँ स्थापित की गई गणेश जी की मूर्ति का अभिषेक नदी से हुआ था. इसलिए यहाँ विराजे गणेश जी का नाम चूंधी गणेश रख दिया गया. यहीं वह जगह है जहाँ ऋषि चंवद ने 500 सालों तक तपस्या भी की थी.
इस मंदिर की एक ख़ास बात और है वह यह है कि यहाँ आने वाले भक्त मंदिर परिसर में बिखरे पत्थरों से अपना मनपसंद घर बनाते हैं. इसके बाद वे भगवान गणेश से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें भी ऐसा ही घर मिल जाए. इस गणेश मंदिर के दोनों तरफ कुएं भी बने हुए हैं, माना जाता है कि यहाँ साल में एक बार ही पानी आता है और यह पानी गंगा नदी का होता है. इतना ही नहीं अक्सर बारिश के कारण मंदिर के आसपास कई झरने और जलप्रात बन जाते हैं. हर साल गणेश चतुर्थी के दिन यहाँ भव्य मेला लगता है. इस मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं.