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संवेदनशील विषयों पर दमदार अभिनय के लिए जानी जाने वाली यामी गौतम (Yami Gautam) एक बार फिर सोचने पर मजबूर करने वाली कहानी ‘हक’ (Haq) लेकर आ रही हैं. सुपर्ण वर्मा (Suparn Verma) के निर्देशन में बनी यह फिल्म 1970 के दशक की उस सच्ची घटना से प्रेरित है, जब मुस्लिम महिला शाह बानो बेगम (Shah Bano Begum) ने अपने हक़ और इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. फिल्म में यामी के साथ इमरान हाशमी (Emraan Hashmi) और वर्तिका सिंह (Vartika Singh) अहम भूमिकाओं में हैं. ‘हक’ 7 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी. हाल ही में यामी ने एक इंटरव्यू में फिल्म, अपने किरदार, इमरान के साथ केमिस्ट्री और लेखन के शौक पर खुलकर बात की. आइये जाने उन्होंने क्या कहा... (Yami Gautam new film Haq)
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‘हक’ सुनते ही इंसान के भीतर कई भाव जागते हैं — आपके लिए यह कहानी किन मायनों में खास है?
‘हक’ मेरे लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह दिल से जुड़ा हुआ अनुभव है. इसमें दो लोग हैं, जो एक रिश्ते में बंधे हैं, जहां प्यार है, भरोसा है और कहीं न कहीं दर्द भी छिपा हुआ है. जब हम किसी से नाराज होते हैं या किसी रिश्ते में कोई बात अधूरी रह जाती है, तो सबसे पहले ख्याल आता है कि इतना तो मेरा हक बनता ही है. यही इस फिल्म की भावना है. जहां रिश्ता होता है, वहां उम्मीद होती है और जहां उम्मीद होती है, वहीं हक होता है इसलिए मुझे यह शीर्षक सही लगा क्योंकि यह अपने आप में पूरी कहानी कह देता है.
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जब आपने इस भूमिका को निभाने का फैसला किया, तो आपको किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा?
यह किरदार निभाना आसान नहीं था. यह सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि कई महिलाओं की कहानी है. कई बार लगता है कि हम किरदार को निभा रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे वही किरदार हमें बदल देता है. मैंने स्क्रिप्ट कई बार पढ़ी, क्योंकि हर बार उसमें कुछ नया महसूस होता था. कभी कोई खामोशी अलग लगती थी, कभी कोई बात और गहराई से समझ में आती थी. रात के दो बजे भी अगर कोई ख्याल आता था तो मैं उसे लिख लेती थी या वॉइस नोट बना लेती थी. डायरेक्टर को सुबह मेरे मैसेज मिलते थे और वो मुस्कुराकर कहते थे, 'ये रात में क्या लिखा आपने?' और मैं कहती थी, ‘पता नहीं, बस दिल से निकला.’ यह किरदार उतना ही कोमल है जितना मजबूत. इस किरदार ने मुझे सिखाया कि हक लेना सिर्फ बोलने से नहीं, बल्कि उसे महसूस करने और समझने से आता है. (Haq movie Yami Gautam story)
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क्या कभी लगा कि इस विषय पर बात करना या इसे पर्दे पर लाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है?
नहीं, डर से काम नहीं होता. जब आप सच दिल से कह रहे हैं, सही नीयत से कहानी सुना रहे हैं, तो डरना कैसा? मैंने ‘उरी’ (Uri) और ‘आर्टिकल 370’ (Article 370) जैसी फिल्में की हैं — इन सब में संवेदनशील विषय थे. फिल्म का मकसद डिबेट नहीं, डिस्कशन पैदा करना होना चाहिए. अगर लोग सोचने पर मजबूर हों, तो समझिए फिल्म ने अपना काम कर दिया.
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सेट पर इमरान के साथ आपकी केमिस्ट्री को आप कैसे परिभाषित करेंगी—दोस्ती, समझ या प्रोफेशनल कॉम्पिटिशन?
(हँसते हुए) नहीं, कॉम्पिटिशन नहीं था. हमारे लिए ज़रूरी था कि सीन अच्छा बने, सिर्फ मेरा या उनका हिस्सा नहीं. मेरे लिए अच्छा को-एक्टर वो होता है जो अपने काम का सम्मान करे, वक्त पर पहुंचे, सीन को बेहतर बनाए. इमरान के साथ काम करना बहुत सहज था. हम दोनों का फोकस बस एक ही था –शानदार सीन देना. (Yami Gautam upcoming thought-provoking film)
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क्या लिखना आपके लिए हमेशा से खुद को समझने का ज़रिया रहा है, या यह हाल की कोई नई शुरुआत है?
यह आदत हमेशा से रही है. शायद ‘विकी डोनर’ (Vicky Donor) के समय से ही. लिखना मेरे लिए सिर्फ एक आदत नहीं है, बल्कि सोच को साफ करने का तरीका है. जब आप लिखते हैं, तो कई बार वो बातें बाहर आ जाती हैं जो शायद आप जुबान से कह नहीं पाते. बीच-बीच में कुछ फिल्में ऐसी भी थीं जहां दिल से थोड़ी दुविधा थी कि करना चाहिए या नहीं, लेकिन उस समय के हिसाब से जो सही लगा, वही किया. पर जितनी भी फिल्में ऐसी रही हैं जिन्हें लोगों ने पसंद किया या जिन पर मुझे खुद गर्व है ...‘काबिल’, ‘उरी’, ‘बाला’, ‘थर्स डे’, ‘धूमधाम’, ‘लॉस्ट’, ‘आर्टिकल 370’ या अब ‘हक’ उन सब में मेरा यही प्रोसेस रहा है.
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एक और बात है मैं स्क्रिप्ट बार-बार पढ़ती हूं, नोट्स बनाती हूं, कभी-कभी अपने विचार डायरेक्टर के साथ साझा करती हूं. अगर रात में भी कोई ख्याल आता है तो उसे तुरंत लिख लेती हूं या रिकॉर्ड कर लेती हूं ताकि वो कहीं खो न जाए. मेरे लिए ये तैयारी का नहीं, बल्कि किरदार के साथ एक रिश्ता बनाने का हिस्सा है. (Yami Gautam emotional role in Haq)
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एक बार आपने कहा था कि अब आप किसी से वैलिडेशन नहीं चाहतीं. इस सोच में क्या बदलाव आया?
हाँ, अब मैं किसी से वैलिडेशन नहीं ढूंढती. पहले सोचती थी कि अगर अवॉर्ड मिला तो मैं अच्छी एक्ट्रेस हूँ, नहीं मिला तो शायद नहीं. लेकिन अब समझ आ गया है कि ऐसा नहीं होता. आपकी सच्चाई और मेहनत ही आपकी पहचान है.
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अगर ‘हक’ की पूरी भावना को एक पंक्ति में बयां करना हो, तो आप क्या कहेंगी?
‘हक’ मेरे लिए आत्मस्वीकृति की कहानी है.यह सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि हर उस इंसान की कहानी है जिसने कभी अपने दिल में कोई सच्चाई महसूस की और उसे कहने की हिम्मत जुटाई.यह फिल्म मेरे लिए खुद को पहचानने और अपनी आवाज को महसूस करने की यात्रा है। (Yami Gautam powerful performance in Haq)
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Yami Gautam और Emraan Hashmi की ‘HAQ’ का Trailer हुआ Launch, Vartika कर रही है डेब्यू
आप दर्शकों को क्या संदेश देना चाहेंगी?
ये फिल्म सिर्फ अदालत की नहीं, इंसानियत की कहानी है. एक औरत जो समाज की बेड़ियों को तोड़कर अपने बच्चों और खुद के लिए खड़ी होती है — वही असली ‘हक’ है.
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HAQ Teaser: Yami Gautam- Emraan Hashmi ने शाहबानो केस की कहानी दिखाई
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