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IFFI: मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री भूमि पेडनेकर और फिल्म निर्माता इम्तियाज अली ने 55वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, गोवा में महिला सुरक्षा और भारतीय सिनेमा पर अपने विचार साझा किए. सिनेमा की शक्ति और इस समाज तथा विशेष रूप से देश के युवा दिमागों को कैसे प्रभावित कर सकता है, इस पर विचार करते हुए, 55वें अंतर्राष्ट्रीय इंडियन फिल्म महोत्सव 2024 ने महिला सुरक्षा और भारतीय सिनेमा पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया. पैनल में फिल्म निर्माता इम्तियाज अली, अभिनेत्री भूमि पेडनेकर, अभिनेत्री खुशबू सुंदर और अभिनेत्री सुहासिनी मणिरत्नम शामिल थीं और इसका संचालन वाणी त्रिपाठी टिकू ने किया था.
ज्यादातर बातचीत स्क्रीन पर महिलाओं के चित्रण और कार्यस्थल पर, विशेषकर फिल्म सेट पर महिलाओं की सुरक्षा के इर्द-गिर्द घूमती रही, भूमि ने बताया कि कैसे, उन्हें अपनी पहली फिल्म और उसके बाद की सभी फिल्मों में काम करते समय एक सुरक्षित वातावरण मिला.
भूमि पेडनेकर ने कहा,
"मेरी पहली फिल्म वास्तव में बहुत खास थी क्योंकि वह फिल्म वास्तव में यथास्थिति पर सवाल उठाती है. एक ऐसे परिवार में पैदा होने के कारण जो काफी उदार विचारों वाले हैं, जब तक मैंने काम करना शुरू नहीं किया, मुझे कार्यस्थल में मौजूद लिंगभेद के बारे में नहीं पता था. बेशक, मेरे पिता फिल्म उद्योग में शामिल होने के मेरे फैसले के खिलाफ थे क्योंकि उन्हें लगता था कि यह एक बड़ी बुरी दुनिया है. काश उन्हें इस बात का पता होता कि सिनेमा की दुनिया और हमारी फिल्म इंडस्ट्री, (स्त्रियों के लिए) वास्तव में काम करने के लिए एक बेहतरीन जगह है. जब मैं किसी बाहर की तुलना में फिल्म के सेट पर होती हूं तो अधिक सुरक्षित और महफूज महसूस करती हूं.''
इस बहुउपयोगी सत्र के दौरान कास्टिंग काउच के बारे में भी बात की गई, फिल्म निर्माता इम्तियाज अली, जो अपनी फिल्मों में शक्तिशाली महिला पात्रों को गढ़ने के लिए जाने जाते हैं, ने एक दिलचस्प परिप्रेक्ष्य बताया.
इम्तियाज अली ने कहा,
''कोई भी इंसान, कास्टिंग काउच से समझौता करके या उसके आगे झुककर अपने लिए अवसर नहीं बढ़ा सकता. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उसके आधार पर किसी को प्रोजेक्ट मिल जाएगा. हां, ऐसे बहुत से लोग होंगे जो उसका शोषण करने आएंगे, लेकिन इससे उसके करियर से भी समझौता हो सकता है. अगर कोई लड़की, 'ना' कह सकती है और अपने आत्मसम्मान और सुरक्षा के लिए खड़ी हो सकती है, तो इससे उसे ज्यादा सम्मान अर्जित करने में भी मदद मिलती है. अगर कोई महिला इस तरह के समझौता करने को तैयार हो जाती है तो मैं भी उस व्यक्ति को गंभीरता से लेने से पहले दो बार सोचूंगा. एक निर्देशक के तौर पर मुझे भी उन्हें कास्ट करने के लिए उनका सम्मान करना होगा. इसलिए, किसी को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि एक उभरता हुआ अभिनेता या अभिनेत्री, किसी तरह के समझौता करके अपने लिए अवसर पैदा कर सकता है. हकीकत में, मैंने इसका उलटा ही देखा है."
गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल इंडिया (IFFI) में इस साल लगभग 81 देशों की 270 से अधिक फिल्में दिखाई जा रही हैं. IFFI के साथ-साथ फिल्म बाजार भी चल रहा है, जिसमें फिल्म निर्माण के विभिन्न चरणों में फिल्मों की कुछ अद्भुत श्रृंखला है, जिन्हें खरीदार और विक्रेता चुन सकते हैं.
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