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इश्क इश्क इश्क 1974 में आई देव आनंद की वो बड़ी और खूबसूरत फ़िल्म थी, जिसमें उन्होंने ना सिर्फ़ अभिनय किया बल्कि फ़िल्म को डायरेक्ट और प्रोड्यूस भी किया। उनके साथ ज़ीनत अमान, कबीर बेदी, शबाना आज़मी, प्रेमनाथ और ज़रीना वहाब जैसे कलाकार नज़र आए। इस फ़िल्म की खासियत थी इसके लोकेशन, जो नेपाल और कलिम्पोंग की पहाड़ियों में शूट हुए थे। उस ज़माने में इतने ऊँचे और मुश्किल इलाकों में शूट करना आसान नहीं था लेकिन देव आनंद हमेशा कुछ नया करने वाले इंसान थे, इसलिए उन्होंने हिमालय की गोद में ये पूरी कहानी उतारी। (Ishq Ishq Ishq 1974 movie shooting locations)
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कहानी में देव आनंद ने धुन नाम का किरदार निभाया जो बचपन से संगीत में माहिर था और अपने गुरु (ए. के. हंगल) के स्कूल में पढ़ाई करता था। वहीं उसे कबीर बेदी जैसा दोस्त मिलता है। धुन बड़ा होकर एक म्यूज़िक टीचर बन जाता है जिसे उसके स्टूडेंट्स बहुत पसंद करते हैं। उसकी ज़िन्दगी तब बदलती है जब वो पम्मी (शबाना आज़मी) से मोहब्बत करने लगता है, लेकिन पम्मी के पिता इस रिश्ते के खिलाफ़ होते हैं और वो मजबूरी में धुन को ठुकरा देती है। दिल टूटने के बाद धुन सबकुछ छोड़कर नेपाल की ऊँची पहाड़ियों की तरफ़ निकल जाता है जहां उसकी मुलाकात पहाड़ नाम के इंसान (प्रेमनाथ) और उसकी छह बेटियों से होती है। उन्हीं में से एक होती है पूजा यानी ज़ीनत अमान, जिससे धुन को असली मोहब्बत मिलती है। लेकिन किस्मत को कुछ और मंज़ूर होता है और कहानी का क्लाइमैक्स ऐसा मोड़ लेता है जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की होती।

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देव आनंद इस फ़िल्म को लेकर बेहद जुनूनी थे। उन्होंने खुद हेलिकॉप्टर से नेपाल के पहाड़ी इलाकों का सर्वे किया था ताकि शूटिंग के लिए सबसे खूबसूरत और अनछुए स्थान मिल सकें। कहा जाता है कि उन्होंने श्यांगबोचे नाम की जगह चुनी जहां उस वक्त कोई आबादी तक नहीं थी। पूरी यूनिट को टेंट में रहना पड़ता था, कभी बर्फ़बारी में तो कभी तेज़ हवा के बीच। उसी दौरान देव साहब ने कहा था कि अगर कोई इश्क इश्क इश्क देखे तो उस सीन को ज़रूर नोट करे जिसमें माउंट एवरेस्ट के ऊपर एक प्यारा सा बादल घूमता नज़र आता है, वो नज़ारा उन्होंने खुद कैमरे में क़ैद कराया था और कहा था कि ऐसा दृश्य शायद ही दोबारा मिल सके। (Dev Anand films shot in Nepal and Kalimpong)
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ये फ़िल्म कई मायनों में ऐतिहासिक रही। शबाना आज़मी का ये पहला कमर्शियल प्रोजेक्ट था और उन्होंने यहाँ देव आनंद के साथ सेकंड लीड निभाया। वहीं पहली बार ज़रीना वहाब, शेखर कपूर, राकेश पांडे और छोटी पम्मी यानी पद्मिनी कोल्हापुरे भी स्क्रीन पर आए। दिलचस्प बात ये है कि शेखर कपूर जो बाद में मशहूर डायरेक्टर बने, उन्हें पहली बार देव साहब ने ही कैमरे के सामने उतारा। करीब दस साल बाद उन्होंने अपनी फिल्म जोशिले की शूटिंग भी लद्दाख के उसी इलाके में की जहां कभी इश्क इश्क इश्क फिल्माई गई थी। (Zeenat Aman and Dev Anand classic Bollywood films)
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कहा जाता है कि शुरुआत में शबाना आज़मी की जगह देव आनंद, रेखा को लेना चाहते थे लेकिन आख़िरकार शबाना को चुना गया। मज़ेदार बात ये है कि करीब 25 साल बाद जब वो अपनी दूसरी फिल्म 'सेंसर" बनाने वाले थे तो इसमें उन्होंने पहले शबाना को सोचा, पर बाद में उसी रोल के लिए रेखा कास्ट हो गईं।
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फ़िल्म की शूटिंग के दौर में कई रोमांचक किस्से भी सामने आए। लद्दाख की ऊँचाई और सर्दी इतनी ज्यादा थी कि पूरी यूनिट को किसी भी इमरजेंसी के लिए एक हेलिकॉप्टर रखा गया था। जरा सी तबीयत बिगड़ी तो हेलिकॉप्टर तैयार खड़ा रहता। एक बार शूट के दौरान कबीर बेदी के साथ अजीब वाकया हुआ, जब एक हिप्पी विज़िटर ने ठंड में उनसे शरण मांगी और कुछ खास तरह का नशा ऑफर किया जिससे कबीर बेदी की हालत बिगड़ गई। उन्होंने देव आनंद को बताया कि वो शूट नहीं कर पाएंगे। देव साहब ने तुरंत डॉक्टर बुलाया जिसने इंजेक्शन देकर उन्हें नॉर्मल किया और शूटिंग बच गई। (Why Ishq Ishq Ishq (1974) failed at the box office)
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फ़िल्म के म्यूज़िक की बात करें तो इसकी धुनें आज भी सुनने लायक हैं। आर. डी. बर्मन ने इसमें अपना दिल लगाकर म्यूज़िक दिया था और आनंद बक्शी ने खूबसूरत लिरिक्स लिखे। 'भिगी भिगी आंखें', 'इश्क इश्क इश्क', 'चल साथी चल' 'अच्छे बच्चे नहीं रोते ' 'वल्लाह क्या नजारा है' 'मुझको अगर इजाज़त हो 'जैसे गाने उस जमाने में रिलीज़ हुए तो हर किसी की जुबान पर चढ़ गए थे। इन गानों में पहाड़ की ठंडक और प्रेम की गर्मी दोनों का अहसास था, हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बिल्कुल नहीं चली, फिर भी इसका संगीत और इसके लोकेशन आज भी चर्चा में रहते हैं।
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फ़िल्म के सिनेमैटोग्राफर फली मिस्त्री थे, जो देव आनंद के साथ काम करने वाले पुराने और भरोसेमंद कैमेरा मैन थे। इश्क इश्क इश्क उनके जीवन की आखिरी फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने चेतन आनंद की जान-ए-मन शूट की और फिर दुनिया को अलविदा कह दिया। (Dev Anand as actor director producer in one film)
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इश्क इश्क इश्क की नाकामी के बाद सभी को लगा था कि अब नवकेतन फिल्म्स बंद हो जाएगी और देव साहब फिल्में बनाना छोड़ देंगे। लेकिन देव आनंद हार मानने वालों में से नहीं थे। उन्होंने इस फिल्म के बाद लगातार तीन फिल्में अनाउंस कर दीं — जान-ए-मन, बुलेट और फिर विदेश में शूट की गई देस परदेस, जिसमें उन्होंने एक और नई हीरोइन टीना मुनीम को लॉन्च किया।
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देव साहब का ये अंदाज़ ही उन्हें बाकियों से अलग बनाता था। वो असफलता से कभी घबराते नहीं थे। उनके लिए हर फिल्म एक नया रोमांच थी और हर कहानी एक नई ऊँचाई। इश्क इश्क इश्क भले बॉक्स ऑफिस पर न चली हो लेकिन इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को वो खूबसूरत विजुअल्स दिए जो उस वक्त किसी ने सोच भी नहीं सकते थे। नेपाल और लद्दाख की बर्फीली घाटियों को बड़े पर्दे पर इस तरह दिखाने का श्रेय हमेशा देव आनंद को ही जाएगा।
FAQ
1. ‘इश्क इश्क इश्क’ फिल्म कब रिलीज़ हुई थी?
यह फिल्म साल 1974 में रिलीज़ हुई थी।
2. फिल्म ‘इश्क इश्क इश्क’ के निर्देशक कौन थे?
इस फिल्म का निर्देशन देव आनंद ने खुद किया था।
3. फिल्म में मुख्य कलाकार कौन-कौन थे?
देव आनंद, ज़ीनत अमान, कबीर बेदी, शबाना आज़मी, प्रेमनाथ और ज़रीना वहाब इसमें नज़र आए थे।
4. फिल्म की शूटिंग कहाँ हुई थी?
फिल्म नेपाल और कलिम्पोंग की खूबसूरत पहाड़ियों में शूट की गई थी।
5. फिल्म बड़ी और भव्य होने के बावजूद क्यों नहीं चली?
फिल्म की कहानी और ट्रीटमेंट दर्शकों से जुड़ नहीं पाए, इसलिए बॉक्स ऑफिस पर इसका प्रदर्शन कमजोर रहा।
6. क्या ‘इश्क इश्क इश्क’ देव आनंद की अंबिशियस फिल्म मानी जाती है?
हाँ, यह उनकी सबसे महत्वाकांक्षी और खूबसूरती से बनाई गई फिल्मों में से एक मानी जाती है।
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