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बॉलीवुड फिल्म 'कटी पतंग' (1971) प्यार की एक अनोखी कहानी है जिसकी नीव रखी गई थी विश्वासघात, धोखा, निस्वार्थ प्रेम और समर्पण पर. माधवी उर्फ मधु (आशा पारेख) अपने चाचा के साथ रहने वाली एक युवा अनाथ लड़की है. उसके चाचा उसे एक ऐसे लड़के से शादी करवा देना चाहते हैं जिसे वह नहीं जानती. लेकिन माधवी कैलाश (प्रेम चोपड़ा) नाम के एक व्यक्ति के साथ प्यार में पागल है इसलिए वह अपनी शादी के मंडप से भागने का फैसला करती है, यह सोचकर कि कैलाश उसका सच्चा प्यार है. लेकिन जब वह कैलाश के पास जाती है, तो वह उसे शबनम (बिन्दु) नामक एक अन्य महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लेती है और उसका दिल टूट जाता है. अपने प्रेमी की बेवफ़ाई पर पूरी तरह से हैरान और तबाह माधवी जब घर लौटती है, तो देखती है कि उसके चाचा ने उसके घर से भागने के कारण, बदनामी के डर से आत्महत्या कर ली.
अब माधवी के जीवन में उसका कोई नहीं बचा था. माधवी तुरंत शहर छोड़ने और जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने का फैसला करती है. ट्रेन यात्रा के दौरान , उसकी मुलाकात अपने बचपन की सहेली पूनम से हो जाती है. पूनम बताती हैं कि उसने जिससे प्रेम विवाह किया था उसकी मौत हो जाने के बाद, आज पहली बार अपने बच्चे को लेकर वो अपने ससुराल जा रही है और अभी तक उसके ससुराल वालों ने ना कभी उसे देखा और ना खुद उसने ससुराल वालों को देखा. माधवी भी पूनम को अपना दुख भरी कहानी सुनाती है. अभी दोनों बाते कर ही रहे थे कि अचानक, उनकी ट्रेन एक भयानक दुर्घटना का शिकार हो जाता है. पूनम गंभीर रूप से घायल हो जाती है लेकिन माधवी को कोई खास चोट नहीं लगती.मरणासन्न पूनम अपनी सहेली को अपना बच्चा सौंप कर कहती हैं कि उसके ससुराल वालों ने अभी तक उसका चेहरा नहीं देखा इसलिए वो बच्चे को लेकर पूनम के भेष में उसके ससुराल चली जाए और वहीं पूनम बन कर उसके बच्चे की परवरिश करे. यह कहते हुए वो मर जाती है.
माधवी अपनी सहेली के बच्चे को लेकर पूनम के ससुराल के लिए निकल पड़ती है. लेकिन रास्ते में चोर उसका पैसा और गहनों से भरा बैग छीन कर भाग जाते हैं. आतंकित माधवी को एक वन रेंजर कमल (राजेश खन्ना) मदद करता है. और वो माधवी और बच्चे को अपने घर ले कर आता है. वहां आकर माधवी को पता चलता है कि कमल वही युवक है जिससे उसके चाचा उसकी शादी देना चाहते थे लेकिन वो घर से भाग गई थी. पछतावे और शर्मिदगी से भरी माधवी वहां से भी निकल जाती है. किसी तरह माधवी पूनम के ससुराल वालों के घर पहुंचती है, और वहां अपने को पूनम के रूप में परिचय कराती है. पूनम के ससुराल वाले माधवी को अपने मृत बेटे की पत्नी पूनम मान कर उसको प्यार से स्वागत करते हैं. विडंबना देखिए कि कमल के पिता (मदन पूरी) और पूनम के ससुरजी दीवान दीनानाथ (नज़ीर हुसैन) के बीच दोस्ती होने के कारण कमल अक्सर वहाँ आता जाता रहता है. धीरे धीरे कमल, पूनम उर्फ माधवी को प्यार करने लगता है. माधवी भी उससे प्यार करती है लेकिन क्योंकि वो पूनम के आइडेंटिटी के साथ, एक विधवा बनकर वहां रह रही है इसलिए वो प्यार का जवाब प्यार से नहीं दे पाती.
उधर एक दिन दुर्भाग्य से माधवी की मुलाकात अपने पूर्व प्रेमी कैलाश से हो जाती है. वह माधवी को पहचान कर उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है. वो माधवी से जबर्दस्ती सारे राज उगलवा कर अपनी एक गर्लफ्रेंड शबनम को असली पूनम बना कर उसके घर भेजता है. एक ड्रमैटिक मोड़ में, दीनानाथ (पूनम के ससुर) को माधवी की सच्ची कहानी का पता चलता है तो वो माधवी को माफ कर देता है, यहां तक कि वह अपने नन्हे पोते के नाम अपनी सारी सम्पत्ति करके माधवी को उसका गार्जियन भी बना देता है. लेकिन कैलाश हार नहीं मानता. वह दिनानाथ को जहर देता है. कमल को भी पूरी सच्चाई का पता चलता है. वो कैलाश और शबनम को गिरफ्तार कर लेता है. माधवी अपनी जिंदगी से तंग आकर आत्महत्या करने की कोशिश करती है लेकिन कमल उसे एक रोमांटिक गीत गाकर रोक लेता है, और वे गले लग जाते हैं. एक क्लासिक बॉलीवुड हैप्पी एंडिंग.
फिल्म एक जबर्दस्त हिट थी, और आर डी बर्मन द्वारा संगीत बद्ध सारे गाने सुपर हिट थे जिसमें 'ये शाम मस्तानी', 'प्यार दीवाना होता है', मेरा नाम है शबनम, ये जो मुहब्बत है, आज ना छोड़ेंगे बस हमजोली खेलेंगे हम होली, जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा, ना कोई उमंग है, जैसे अद्भुत गाने थे, जिसे लोग आज भी प्यार करते हैं और गुनगुनाते हैं. इस फ़िल्म में आशा पारेख ने अपने अद्भुत प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता. फ़िल्म कटी पतंग, राजेश खन्ना की कई सुपरहिट फिल्मों में से एक बन गई. यह फिल्म गुलशन नंदा के उपन्यास पर आधारित है, जो खुद कॉर्नेल वूलरिच के 1948 के उपन्यास "आई मैरिड ए डेड मैन" का ही एक रूपांतरण था. कहानी को पहले 1950 में अमेरिकी फिल्म "नो मैन ऑफ हिज ओन" में अडॉप्ट किया गया था. शक्ति सामंत की कास्टिंग स्टाइल विशेष रूप से उल्लेखनीय थी. वह आशा परख की अभिनय क्षमता में आश्वस्त थे, जो पहले 1970 में फिल्म "पगला कहीं का" में उनके साथ काम कर चुकी थी. आशा भोसले द्वारा "मेरा नाम है शबनम" एक टॉक- स्टाइल में "माई फेयर लेडी" में रेक्स हैरिसन की याद दिलाती थी, जिसे पहली हिंदी रैप नंबर के रूप में डब किया गया था.
फिल्म का होली दृश्य विशेष रूप से बहुत चर्चित हुई थी. इस फ़िल्म को 1981 में "नेनजिल ओरू मुल" के रूप में और 1987 में "पुनीमि चंद्रुड़ू" के रूप में रिमेड किया गया था. इस फ़िल्म की ओरिजिनल कहानी को जापान, ब्राजील, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित विभिन्न देशों में विभिन्न रूपों में अडॉप्ट किया गया था. बताया जाता है कि शक्ति सामंत ने माधवी के रोल के लिए पहले शर्मिला को लेना चाहा था लेकिन उस वक्त शर्मिला प्रेगनेंट होने की वजह से आशा पारेख को लिया गया. हालांकि अंदरूनी खबरों के अनुसार यह दावा गलत है. फ़िल्म की शुरुआती दृश्य में, एक बारात जाते हुए दिखाया गया, और उसमें राजेश खन्ना का ही 'आराधना' वाला गीत "मेरे सपनो की रानी" बज रहा था. हेरलल रामपार्टप सॉंग "डू डू डार्लिंग" "प्यार दीवाना होता है" का एक कवर संस्करण है. फ़िल्म 'बड़े दिलवाला' (1982) इस फिल्म से प्रेरित किया गया था. निर्देशक शक्ति सामंत ने बिन्दु से कहा था कि उन्हे हेलेन की तरह बोल्ड एंड ब्यूटीफुल दृश्य करना पड़ेगा और वाकई में उन्होने अपनी पूरी कोशिश की और वो गीत' मेरा नाम शबनम' हिट बन गया.
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