वेब सीरीज़ श्राप में नजर आने वाली मुस्कान अग्रवाल इलाहाबाद में छह साल रहीं और वहीं से अपनी पढ़ाई भी पूरी की. उन्होंने बताया कि इस शहर में रहने से उन्हें इसकी संस्कृति और धार्मिक महत्व को करीब से समझने का मौका मिला.
महाकुंभ पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा, "जब मैं वहां थी, तब मुझे कुंभ मेले में जाने का अवसर मिला, जो दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है. लेकिन मुझे भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाना पसंद नहीं, खासकर तब जब लोग केवल चर्चा और दिखावे के लिए वहां पहुंचते हैं. महाकुंभ का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, लेकिन दुख की बात है कि कुछ लोगों के लिए यह बस एक ट्रेंड बन गया है. कई लोग सच्ची श्रद्धा से नहीं, बल्कि केवल इसलिए जाते हैं क्योंकि यह एक मशहूर आयोजन है."
मुस्कान का मानना है कि महाकुंभ को इतना अधिक प्रचार सिर्फ आध्यात्मिक कारणों से नहीं, बल्कि सोशल मीडिया की वजह से मिला है.उन्होंने कहा, "अगर किसी को सच में गंगा जल का आशीर्वाद चाहिए, तो वह वहां जाने वाले अपने किसी रिश्तेदार या दोस्त से मंगवा सकता है. लेकिन आध्यात्मिकता की बजाय, कई लोग इस आयोजन को सोशल मीडिया पर दिखावा करने का जरिया बना लेते हैं. वे तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करके इसे ध्यान आकर्षित करने का माध्यम बना रहे हैं, बजाय इसे श्रद्धा और आस्था से जोड़ने के. मैं पहले ही संगम जा चुकी हूं और वहां डुबकी लगा चुकी हूं, इसलिए मुझे इस जगह का महत्व अच्छे से पता है. लेकिन हाल के समय में, सोशल मीडिया पर इस आयोजन में अव्यवस्थाओं की खबरें छाई हुई हैं."
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मुस्कान ने बताया कि जब उन्होंने पहले महाकुंभ में हिस्सा लिया था, तब हालात इतने बेकाबू नहीं थे जितने अब लगते हैं. उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से, मुख्यधारा की मीडिया उन असली मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही है जिन पर चर्चा होनी चाहिए. भीड़ में बच्चों के गुम होने और बुजुर्ग माता-पिता को उनके परिवारों द्वारा वहां अकेला छोड़ देने जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. लेकिन इन गंभीर मुद्दों को उठाने की बजाय, लोग बेवजह की बातों में उलझे हुए हैं. हाल ही में मोनालिसा नाम की एक लड़की को लेकर अनावश्यक चर्चा हो रही है, जिसे 'वायरल गर्ल' कहा जा रहा है. लोग उसकी आँखों की बात कर रहे हैं, लेकिन आयोजन से जुड़े असली और जरूरी मुद्दों को नजरअंदाज कर रहे हैं. यह वाकई हैरान करने वाली बात है."
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उन्होंने आम जनता के लिए सुविधाओं की कमी पर भी बात की और कहा, "मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए व्यवस्थाएं बहुत खराब हैं. जब अमीर और प्रभावशाली लोग, जैसे अंबानी जी, वहां जाते हैं, तो उनके लिए सारी व्यवस्थाएं बेहतरीन तरीके से की जाती हैं. लेकिन आम लोग परेशान होते रहते हैं. उनके लिए बुनियादी सुविधाएं भी ठीक से उपलब्ध नहीं होतीं, जिससे उनकी यात्रा और भी मुश्किल हो जाती है. इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई, लेकिन इस गंभीर मुद्दे को भुला दिया गया."
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मुस्कान ने कहा, "मैं भगवान और आस्था में पूरी तरह विश्वास रखती हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी भी धार्मिक ग्रंथ में यह लिखा है कि भगवान की पूजा के लिए तकलीफें सहनी जरूरी हैं. सच्ची भक्ति दिल से होती है. अगर किसी की आस्था मजबूत है, तो उनकी प्रार्थनाएं और इच्छाएं पूरी होंगी, चाहे वे महाकुंभ जाएं या नहीं. धर्म और आध्यात्मिकता का मकसद मन की शांति और ईश्वर से जुड़ाव होना चाहिए, न कि ट्रेंड का हिस्सा बनने के लिए खुद को बेवजह मुश्किल में डालना."
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