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Prajakta Koli, Manoj Pahwa और Ayesha Raza ने अपनी Series ‘Single Papa’ के बारे में कहा....

हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ ‘सिंगल पापा’ (Single Papa) एक हल्की-फुल्की लेकिन भावनात्मक फैमिली ड्रामा है, जो एक सिंगल फादर की अनोखी और दिल छू लेने वाली कहानी को नए नज़रिए से पेश करती है...

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हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ ‘सिंगल पापा’ (Single Papa) एक हल्की-फुल्की लेकिन भावनात्मक फैमिली ड्रामा है, जो एक सिंगल फादर की अनोखी और दिल छू लेने वाली कहानी को नए नज़रिए से पेश करती है। कहानी एक ऐसे युवक के इर्द-गिर्द घूमती है, जो तलाक के बाद अपनी मर्ज़ी से एक बच्चे को गोद लेकर पिता बनने का फैसला करता है। इस अहम भूमिका में कुणाल खेमू (Kunal Khemu) नज़र आए, जबकि उनके साथ प्राजक्ता कोली (Prajakta Koli), मनोज पाहवा (Manoj Pahwa) और आयशा रज़ा (Ayesha Raza) जैसे दमदार कलाकार भी प्रमुख भूमिकाओं में दिखे. आइये जाने अपनी सीरीज के बारे में स्टार्स ने क्या कहा.... 

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‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ (The Bads of Bollywood) की सफलता के बाद, आपकी आने वाली सीरीज़ ‘सिंगल पापा’ (Single Papa) में दर्शकों को क्या नया या अलग देखने को मिलेगा?

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मनोज पाहवा- जब ‘सिंगल पापा’ की स्क्रिप्ट मेरे पास आई, तो मुझे तुरंत लगा कि यह कुछ अलग और खास है. यह सीरीज़ भले ही एक फैमिली ड्रामा हो, लेकिन इसका सब्जेक्ट बहुत यूनिक है. हमने सिंगल मदर्स पर तो काफी कहानियां देखी हैं, लेकिन सिंगल पापा पर बहुत कम बात हुई है. यहां कहानी किसी ट्रेजेडी, झगड़े या मजबूरी की नहीं है. यह एक ऐसे युवा इंसान की कहानी है, जो खुद अपनी इच्छा से पिता बनना चाहता है. जब वह यह फैसला लेता है, तो उसका परिवार कैसे रिएक्ट करता है, समाज किस तरह ताने मारता है और एडॉप्शन को लेकर जो टैबू हैं, उन सबको बहुत खूबसूरती से दिखाया गया है. मैंने जैसे ही इसकी स्क्रिप्ट पढ़ी, मुझे लगा कि यह प्रोजेक्ट मुझे जरूर करना चाहिए. यह एक बहुत ही अच्छी और सच्ची कहानी है, जिससे लोग खुद को आसानी से जोड़ पाएंगे. हमारे डायरेक्टर शशांक बहुत अच्छे फिल्ममेकर हैं और उनके साथ काम करना मेरे लिए एक शानदार अनुभव रहा.

अब तक ‘सिंगल मदर्स’ की कहानियाँ गंभीर रहीं हैं, जबकि ‘सिंगल पापा’ हल्के-फुल्के कॉमिक अंदाज़ में है—क्या यह पैरेंटिंग पर नया नज़रिया है?

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आयशा रज़ा- ‘सिंगल मदर्स’ में एक ऐसे युवक की कहानी दिखाई गई है, जिसकी ख्वाहिश दिल से पिता बनने की है—एक ऐसा जज़्बा जिसे सिनेमा ने अब तक बहुत कम छुआ है. कुणाल खेमू (Kunal Khemu) ने पिता और बच्चे के रिश्ते को इतनी संवेदनशीलता और सच्चाई के साथ निभाया कि सेट पर ही एक खास जादू महसूस होने लगा, और स्क्रीन पर यह रिश्ता और भी ज़्यादा खूबसूरत नज़र आ रहा है.

युवा पीढ़ी, खासकर Gen-Z और मिलेनियल्स, आपसे खुद को जोड़ती है. क्या यह किरदार भी उन्हीं दर्शकों को टारगेट करते हुए लिखा गया है?

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प्राजक्ता कोली- ओटीटी की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि यहां किरदार आपकी उम्र और जीवन के अनुभवों के साथ-साथ चलते हैं. नम्रता का कैरेक्टर भी बिल्कुल ऐसा ही है—भाई के साथ दोस्ताना रिश्ता, पिता से हल्का-सा डर और मां के साथ टकराव, ये सब रिश्तों की वो सच्चाइयां हैं जिनसे हर कोई खुद को जोड़ सकता है. यह कोई खास वर्ग को ध्यान में रखकर बनाया गया किरदार नहीं है, बल्कि एक आम लड़की की कहानी है, और शायद यही उसकी सबसे बड़ी खासियत और खूबसूरती है.

आपने 90s से लेकर आज तक कॉमेडी के कई दौर देखे हैं. इन्फ्लुएंसर कल्चर और सोशल मीडिया ने इसे कितना और कैसे बदला है?

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मनोज पाहवा- देखिए, हर प्लेटफॉर्म और हर फॉर्म की अपनी अलग ज़रूरत और भाषा होती है—चाहे वो सोशल मीडिया स्केच हों या इन्फ्लुएंसर कंटेंट. वहां कलाकार खुद ही अपने कंटेंट का ज़िम्मेदार होता है; आप जो बनाते हैं, वही लोग देखते हैं, पसंद करते हैं और उसी से आपके फॉलोअर्स बढ़ते हैं. फिर स्टैंड-अप कॉमेडी का एक अलग संसार है—जॉनी लीवर (Johny Lever) जैसे दिग्गजों से लेकर आज के राजनीतिक और सामाजिक रूप से सजग कॉमिक्स तक. लेकिन हमारी ट्रेनिंग एक्टर की रही है, जहां स्क्रिप्ट, किरदार और परफॉर्मेंस सबसे अहम होते हैं. इसी वजह से मैं सोशल मीडिया या कॉमेडी शोज़ का हिस्सा नहीं बन पाता, क्योंकि वो मेरा फॉर्म नहीं है. हां, यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि आज की ऑडियंस कलाकार को अलग-अलग भूमिकाओं में स्वीकार कर रही है—चाहे वो सीरियस किरदार हो या कॉमिक. यही बदलाव इंडस्ट्री को और दिलचस्प बनाता है.

क्या कॉमेडी रोल्स की वजह से आपको कभी सीरियस या अलग तरह के किरदारों में खुद को साबित करने में मुश्किल आई?

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मनोज पाहवा- हां. मुल्क (Mulk) के समय कई लोगों ने कहा कि मनोज पावा कॉमेडियन हैं, सीरियस रोल कैसे करेंगे? लेकिन निर्देशक अनुभव सिन्हा (Anubhav Sinha) पर भरोसा था और मैंने साबित किया. अब ऑडियंस भी समझदार है वो एक्टर्स को अलग रूप में देखना पसंद करते हैं.

सेट पर काम करते हुए आपको एक-दूसरे की कौन-सी क्वालिटी सबसे ज़्यादा पसंद आई?

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प्राजक्ता कोली- मनोज सर की तैयारी और थोरोगनेस वाकई काबिल-ए-तारीफ है. उन्हें हर सीन का पहले और बाद का पूरा कॉन्टेक्स्ट हमेशा याद रहता है, जो मेरे लिए एक्टिंग 101 जैसा अनुभव था. वो एक बेहद मंझे हुए और संवेदनशील अभिनेता हैं, और उनके साथ काम करते हुए मैंने अभिनय के कई अहम पहलू सीखे.

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