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लेखक- निर्देशक संजय निरंजन की नई फिल्म BOMBAY (बॉम्बे) रिलीज की तैयारियों पर है. फिल्म का तानाबुना मुम्बई में 1993 में हुए बम ब्लास्ट हादसे की पृष्ठभूमि के साथ है. इस समय जब जम्मू-कश्मीर स्थित पहलगाम हादसे के बाद, पाकिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ देश का माहौल है, वह अपनी फिल्म को लेकर क्या कहते- सोचते हैं, आइए उनसे ही सुनते हैं-
अपनी फिल्म का नाम 'बॉम्बे' क्यों रखा आपने? जबकि इस नाम से पहले भी एक फिल्म आचुकी है. क्या दोनो फिल्मों का आपस मे कोई संबंध है?
जी बिल्कुल नहीं. मणि रत्नम सर की फिल्म अलग थी, हमारी फिल्म टोटली अलग है. दोनो की कहानी बॉम्बे से जुड़ी है बस यही समानता है. मेरी फिल्म 'बॉम्बे' (मुंबई) हादसे के बाद की है कि...तब दहसत गर्दो की स्थिति क्या थी, कैसी थी. सिर्फ नाम ही कॉमन है.
फिल्म का नाम "बॉम्बे" क्यों रखे जबकि अब शहर मुंबई नाम से जाना जाता है? सुना है फिल्म का नाम बदलने के लिए दबाव भी आया था आपको?
यह सवाल सभी के मन मे आता है कि हमने मुंबई का पुराना नाम बॉम्बे क्यों रखा. सवाल स्वाभाविक है. यह फिल्म देखकर ही समझ मे आएगा. यह सवाल मुझसे सेंसर बोर्ड ने भी किया था और कुछ एक धमकियां भी थीं, कि फिल्म का नाम 'बॉम्बे' से 'मुंबई' करूं. दरअसल यह कहानी जबकि है जब शहर बॉम्बे ही था. शहर का नाम 1996 के बाद बदला था. 29 साल पहले मणि रत्नम की फिल्म बॉम्बे आयी थी, क्या उसे मुंबई कहोगे? मेरी फिल्म का समय और टाइटल वही है, उसी शहर की बात है. फर्क हालात के हैं और तबतक महानगर को बॉम्बे ही कहते थे.
'बॉम्बे' की उस समय की कहानी को आपने 4 भाषा (हिंदी, कन्नड़, मराठी और तेलुगु) में बनाया है, इसके पीछे क्या सोच रही है?
हां, हमने एक कहानी पर 4 भाषा मे 4 फिल्म बनाया है लेकिन सबके टाइटल हर भाषा के अलग हैं और अलग सेंसर सर्टिफिकेट हैं.हिंदी में बनी 'बॉम्बे', मराठी में 'मवाली', कन्नड़ में 'मंड्या'और तेलुगु में 'गायम' है. कन्नड़ में बनी फिल्म 'मंड्या' रिलीज होकर हिट हो चुकी है. दरअसल आतंकवाद या दहसतगर्दी का चोला (रूप) हर जगह एक जैसा ही है. हालात सब शहर के एक जैसे हैं और आतंकवाद से सारी दुनिया त्रस्त है.
बॉम्बे" के बाद क्या?
बॉम्बे के बाद हमारी अगली फिल्म 'खुदा गवाह' है. यह टाइटल मेरे पास है. इसपर काम शुरू है. 'खुदा गवाह' अमिताभ बच्चन की एक हिट फिल्म रही है, संजय निरंजन और उनकी टीम इस प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर करने के लिए तैयारी कर रहे हैं. वह कहते हैं- "हमारी जो कहानी है उसपर संजय दत्त शूट करते हैं उनको लेकर काम करने की तैयारी है, आगे देखिए.
संजय निरंजन 10 फिल्में बना चुके है. उनकी पहली फिल्म थी 'न्यायदाता' (धर्मेंद्र, जया प्रदा, कादर खान, मुकेश ऋषि). उसके बाद 'वार' बनाए (धर्मेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती) निर्देशक टी एल वी प्रसाद के साथ, जो रिलीज नही हो सकी. फिर साल दरसाल उनकी फिल्में- 'कहो ना कहो', 'इंटरनेशनल हीरो', 'उत्तेजना द फायर', 'माझा बंधु मकरंद' (मराठी), :3RD EYE, 'वन स्टोरी मेनी एंड्स' आदि.
सनम प्रोडक्शंस इंडिया के बैनर तले बनी उनकी नई रिलीज होने जा रही फिल्म 'बॉम्बे' के वह लेखक-निर्देशक हैं. फिल्म की निर्मात्री हैं फिरदौस शेख.
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