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1989 की ब्लॉक बस्टर बॉलीवुड एक्शन थ्रिलर फ़िल्म "त्रिदेव", का निर्देशन राजीव राय ने किया था तथा इसके निर्माता थे गुलशन राय. अपनी मनोरंजक कहानी, सितारों से सजी कास्ट और अविस्मरणीय संगीत के लिए याद की जाने वाली यह फ़िल्म आज एक कल्ट फ़िल्म की श्रेणी में गिनी जाती है. यह फिल्म 7 जुलाई 1989 को मुंबई में रिलीज़ हुई थी और इसका मुहूर्त अंधेरी के नटराज स्टूडियो में हुआ था. फिल्म की समाप्ति पार्टी नरीमन पॉइंट के ओबेरॉय होटल में हुई और मीडिया प्रीमियर वर्ली के सत्यम थिएटर में की गई थी जहाँ ऑडिशन भी दिखाए गए.
फिल्म की सफलता का जश्न केम्प्स कॉर्नर के शालीमार होटल में एक रजत जयंती पार्टी के साथ मनाया गया, जिसने इसे ब्लॉकबस्टर का दर्जा दिलाया.
"त्रिदेव" की कहानी में तीन ताकतवर नायक है जिनके व्यक्तित्व और उद्देश्य अलग-अलग हैं. लेकिन वे तीनों एक कुख्यात डॉन भुजंग (अमरीश पुरी) को गिरफ्तार करने के लिए एक साथ हाथ मिलाते हैं. दरअसल इन तीनों के साथ ही भुजंग ने बहुत गलत और अन्याय किया था. भुजंग एक क्रूर अंडरवर्ल्ड डॉन भैरव सिंह है जिसे भुजंग कहा जाता है. उसे पकड़ने के लिए तीन नायकों की इस तिकड़ी में सनी देओल इंस्पेक्टर करण सक्सेना, नसीरुद्दीन शाह जय सिंह और जैकी श्रॉफ रवि माथुर के रूप में शामिल थे. माधुरी दीक्षित ने दिव्या माथुर की भूमिका निभाई, संगीता बिजलानी और सोनम ने नताशा और रेणुका की भूमिका निभाई.
फिल्म की कहानी भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ लड़ाई के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें तीनों नायक न्याय और बहादुरी के विभिन्न पहलुओं का समाधान करते हैं. इंस्पेक्टर करण कानून प्रवर्तन के लिए प्रतिबद्ध एक समर्पित पुलिस अधिकारी है. जय सिंह भुजंग का सताया हुआ है. और रवि एक पुलिस कमिश्नर का बेटा है जो अन्याय के खिलाफ खड़ा है. इन तीनो नायकों द्वारा भुजंग के साम्राज्य को गिराने के उनके संयुक्त प्रयास, फ़िल्म में एक्शन, ड्रामा और रहस्य से भरपूर एक रोमांचक कहानी बनाते हैं.
पर्दे के पीछे, "त्रिदेव" अपनी तकनीकी कुशलता और समय से परे की कहानी होने के कारण काफी उल्लेखनीय है. रोमेश भल्ला द्वारा की गई छायांकन ने उस जमाने के हिसाब से एक्शन दृश्यों की इनटेंसिटी और मुंबई के शहरी परिदृश्य की खूबसूरती को भरपूर तरीके से दर्शाया.
"त्रिदेव" का सबसे यादगार पहलू इसका संगीत है, जिसे दिग्गज जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी ने संगीतबद्ध किया था. इसका साउंडट्रैक सदा के लिए यादगार बन गया, जिसमें "ओए ओए", "गली गली में फिरता है" और "मैं तेरी मोहब्बत में" 'गज़ार ने किया है इशारा' जैसे गाने सदाबहार हिट रहे. ख़ास तौर पर "ओए ओए" गीत उन दिनों युवा वर्ग के माहौल का पर्याय बन गया था. इस फ़िल्म के संगीत ने न सिर्फ़ इस कहानी को संवारा, बल्कि कई पार्श्व गायिकाओं के करियर को भी पुश अप किया, जिनमें अलका याग्निक भी शामिल हैं. उनका गाया गीत "गली गली में फिरता है " एक असाधारण गीत बन गया.
फिल्म 'त्रिदेव' के निर्माण से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा, वर्ली के सत्यम थिएटर में मीडिया प्रीव्यू के साथ जुड़ा है. यहां इस फ़िल्म के पहले शो में ऑडिशन शामिल थे, यह एक ऐसा अनोखा तरीका था जिसने फ़िल्म महकमे में चर्चा और उत्सुकता पैदा की. फिल्म के पीआरओ थे बनी रूबेन जो उन दिनों किसी फ़िल्म का प्रचार इस तरीके से करते थे जो आज सोशल मीडिया या टीवी भी नहीं कर सकती थी.
इस फिल्म की जबर्दस्त सफलता इसके बॉक्स ऑफिस आंकड़ों में झलकती है, जिसने 89 के दौर में ₹17 करोड़ की कमाई की. 2023 के हिसाब से यह कमाई लगभग ₹182 करोड़ या 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है.
यह फिल्म "मैंने प्यार किया" और "राम लखन" के बाद 1989 की तीसरी सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली हिंदी फ़िल्म के रूप में सिनेमा के इतिहास में दर्ज है.
"त्रिदेव" ने 1990 में 35वें फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों में तीन फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते, जिससे भारतीय सिनेमा में इसकी विरासत और मज़बूत हुई.
"त्रिदेव" ने कई रीमेक भी बनाए, जिनमें "नक्षत्र पोराटम" नामक एक तेलुगु संस्करण शामिल है. इस तेलगु वर्शन ने भारतीय दर्शकों के बीच कहानी की अपील को एकदम दुगना कर के दर्शाया. फ़िल्म में एक्शन, ड्रामा, रोमांस और संगीत का मिश्रण कई बॉलीवुड थ्रिलर के लिए एक आदर्श बन गया.
"त्रिदेव" एक क्लासिक बॉलीवुड एक्शन थ्रिलर है जिसमें सफल होने के लिए वो सब मसाले भरपूर थे जिसकी जरूरत होती है. पर्दे के पीछे की कहानियों में एक दिलचस्प बात यह हुई कि पी आर ओ, रूबेन ने इस फ़िल्म में जनसंपर्क अधिकारी की भूमिका निभाई.
इस फ़िल्म को लेकर कुछ और दिलचस्प बातें इस प्रकार है,
अभिनेता अनुपम खेर की उम्र सनी और जैकी की उम्र जितनी ही है लेकिन इस फ़िल्म में अनुपम ने पिता की भूमिका निभाई हैं.
संगीता बिजलानी ने एक बार कहा था, "मुझे (निर्देशक) राजीव राय ने एक फैशन शो में देखा था. उन दिनों फैशन शो आज की तरह नहीं होती थी, वहां बाकायदा टैलेंट दिखाना पड़ता था."
नसीरुद्दीन शाह की शानदार, बुलंद आवाज़ ने फ़िल्म 'त्रिदेव' की थीम सॉंग को फ़िल्म का मुख्य आकर्षण बना दिया.
यह फिल्म संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी की आखिरी बड़ी फ़िल्मों में से एक और सह-संगीतकार के रूप में विजू शाह की पहली फ़िल्म थी.
खबरों के मुताबिक नसीरुद्दीन शाह की भूमिका पहले मिथुन चक्रवर्ती को ऑफर की गई थी, लेकिन मिथुन ने अन्य फ़िल्मों में व्यस्त होने के कारण इसे अस्वीकार कर दिया. इसके बाद चंकी पांडे को यह भूमिका ऑफर की गई, लेकिन वे भी फ़िल्म नहीं कर पाए.
फ़िल्म का मुहूर्त 18 अक्टूबर 1987 को हुआ और धर्मेंद्र ने मुहूर्त शॉट दिया था.
शुरुआत में सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म पर प्रतिबंध लगाने की बात की थी. उन्होंने राजीव को बताया कि यह एक हिंसक फ़िल्म है जिसमें उनके तीन मुख्य किरदार देश के क़ानून के ख़िलाफ़ जाते हुए दिखाए गए हैं. सेंसर बोर्ड ने तीन महीने तक फ़िल्म को पास नहीं किया. लेकिन राजीव राय ने संघर्ष किया और जीत हासिल की.
फिल्म की सफलता के बाद, राजीव राय अपनी अगली फिल्म "विश्वात्मा" (1992) के लिए भी उन्हीं मुख्य किरदारों को लेना चाहते थे जो त्रिदेव में थे.
लेकिन आखिर जैकी श्रॉफ की जगह चंकी पांडे को ले लिया गया क्योंकि उन दिनों जैकी अपने बेटे टाइगर श्रॉफ के जन्म के कारण शूटिंग के लिए देश से बाहर नहीं जा सकते थे.
पहले नीलम को जैकी श्रॉफ के ऑपोज़िट वाली भूमिका ऑफर की गई थी. लेकिन उनके पास ज़रूरी तारीखें नहीं थीं. तब संगीता बिजलानी को साइन किया गया.
फिल्म का गाना "तिरछी टोपीवाले" ग्लोरिया एस्टेफन के गाने "द रिदम इज़ गोना गेट यू" से लिया गया था.
त्रिदेव 1989 की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली पाँच फ़िल्मों में से एक थी.
1996 में एक बार फिर इस फिल्म को 'रंगबाज़' के नाम से कॉपी किया गया था. इसमें त्रिदेव के एक दृश्य का भी फिल्मांकन किया गया था. वह दृश्य जहाँ सनी देओल का घर फट जाता है. रंगबाज़ में वह दृश्य इस्तेमाल किया गया जहाँ आप दूर से सनी देओल को देख सकते हैं.
वर्ष 1989 जैकी श्रॉफ के करियर के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ. उन्होंने राम लखन, परिंदा और त्रिदेव जैसी लगातार तीन हिट फ़िल्में दीं और परिंदा के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी जीता.
जब राजीव रॉय ने त्रिदेव का ऑफर नसीरुद्दीन शाह को दिया था तो नसीरुद्दीन को लगा था कि राजीव राय उन्हें फ़िल्म में एक छोटी सी चरित्र भूमिका के लिए चाहते हैं. उन्हे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि राजीव राय उन्हें मुख्य भूमिका के लिए चाहते हैं. इसलिए उन्हें यह प्रस्ताव सुनकर आश्चर्य हुआ और उन्होंने फ़िल्म स्वीकार कर ली. राजीव और नसीर के बीच हमेशा अच्छी दोस्ती रही.
ओए-ओए गाना 1989 का सबसे बड़ा हिट गाना था. उन दिनों हर कोई ओए-ओए गा रहा था.
इस फ़िल्म में माधुरी दीक्षित के पास सोनम और संगीता बिजलानी से ज़्यादा फ़ुटेज नहीं था. उन दिनों तीनो नायिकाएं सभी नई थीं. माधुरी ने त्रिदेव फ़िल्म तेज़ाब की रिलीज़ से पहले साइन की थी, जब उन्हें स्टार का दर्जा नहीं मिला था.
निर्देशक राजीव राय और त्रिदेव की अभिनेत्री सोनम इस फिल्म के निर्माण के दौरान करीब आए और बाद में उन्होंने शादी कर ली.
ख़बरों के अनुसार पहले रवि माथुर की भूमिका के लिए संजय दत्त को प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने यह भूमिका अपने लिए सही ना लगने के कारण मना कर दिया.
शूटिंग के दौरान, पहले क्लाइमेक्स सीन में, सोनम को "ओए ओए" गाने के दौरान तीन नायिकाओं में से बीच में खड़ा होना था. लेकिन 1988 में "तेज़ाब" गाने की शूटिंग के दौरान माधुरी दीक्षित "एक दो तीन" गाने से रातोंरात स्टार बन गईं. फिर राजीव राय ने तीन नायिकाओं में माधुरी दीक्षित को बीच में रखा.
"तिरछी टोपीवाले" गाना रिलीज़ होते ही काफी लोकप्रिय हो गया.
फिल्म में रज़ा मुराद की बेटी का किरदार निभाने वाली सोनम असल ज़िंदगी में उनकी भतीजी हैं.
यह फिल्म नसीरुद्दीन शाह की पहली व्यावसायिक फिल्मों में से एक थी और एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि उन्होंने यह फिल्म पैसों के लिए की थी.
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