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बात आमिर खान की फिल्म 'लगान' के दिनों की है। मुझे एक फोन आता है अनजान व्यक्ति का। मुझसे पूछा जाता है- "आप शरद राय हो न ? मायापुरी में लिखते हो?" मैंने हां में जवाब दिया तो सामने वाले ने बताया कि वे भी एक लेखक हैं और मुझे पढ़ते हैं। मेरी हैरानी बढती गई।वह नाम नहीं बता रहे थे, बोले आपको मिलना है जुहू में होटल सी प्रिंसेस में आजाइए। खैर बाद मे, उसी फोन पर मुझे प्रोफेसर जय शंकर श्रीवास्तव ने बताया- जो मेरे एक करीबी मित्र थे कि बात करने वाले लखनऊ से मुम्बई आए हुए के पी सक्सेना साहब थे। के पी सक्सेना नाम से मैं वाकिफ था और उन्हें पढ़ता रहता था। वह 'मायापुरी' साप्ताहिक में व्यंग कालम लिखा करते थे।
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जब होटल सी प्रिंसेस में के पी सक्सेना से मिला, तब मुझे उनकी शख्सियत कापता चला।फिल्मों पर लिखे उनके हास्य-व्यंग्य पढ़ता था, मिलकर पता चला वे तो अनुभवों के अथाह थे। होटल सी प्रिंसेस में उन्हें आमिर खान ने बुलाकर ठहराया हुआ था।वह आमिर की फिल्म 'लगान' के लिए एडिशनल डायलॉग राइटिंग करने आए थे। बादमें के पी सक्सेना ने 'स्वदेश' और 'हलचल' फिल्मों का भी डायलॉग लेखन किया था।फिर जब वे मुंबई आते थे, मिलकर या फोन पर मेरी उनसे बातें हुईं थी। वह मायापुरी के संस्थापक एपी बजाज साहब की तारीफ किया करते थे। बताए थे कि 'बीवी नातियों वाली' लिखने में उनसे प्रेरणा लिए थे।
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"बीवी नातियों वाली" लखनऊ दूरदर्शन का बनाया नाटक था जो दूरदर्शन का भी संभवतः पहला नाटक था, उसके लेखक थे के पी सक्सेना। के पी रेलवे एम्प्लाई थे और तमाम पत्र पत्रिकाओं में हास्य व्यंग्य शैली में लेख लिखा करते थे। उनकी लिखी किताबें भी हैं लेकिन वह फिल्म के टॉपिक पर 'मायापुरी' में ही लिखते थे और उसी से इंस्पायर होकर उनको 'लगान' में अवधी भाषा का टच देने के लिए अतिरिक्त संवाद लेखक बनाया गया था।
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'बीवी नातियों वाली' पहले 4 एपिसोड का लखनऊ डीडी के लिए बनाया गया नाटक था जिसको लिखा था केपी सक्सेना ने और निर्देशित किया था रामेंद्र सरीन ने।यह पहला सोप ऑपेरा भी था। यह नाटक जिंदगी से इतना जुड़ा था कि मांग बढ़ने पर इसको 13 एपिसोड की सीरीज में बदलकर दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर 1984 में प्रसारित किया गया था। इसे बहुत लोगों और नाट्य ग्रुप ने मंचित भी किया है। बीवी नातियों वाली की मुख्य कलाकार थी मशहूर रंगकर्मी सूर्यबाला शुक्ला। यह एक लिटरेरी कृति समझा जाता है। के पी सक्सेना को 1500 रुपये प्रति एपिसोड पारिश्रमिक 'बीवी नातियों वाली' लिखने के लिए मिला था जो उस समय एक किसी लेखक को दिया जाने वाला बड़ा अमाउंट था।
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'बीवी नातियों वाली' की कथावस्तु जिंदगी के यथार्थ से जुड़ी थी। धर्मे व्यक्ति के लिए जरूरी है लेकिन उससे बड़ा है इंसानियत। हिन्दू, मुसलमान के पचड़े में पड़ने की बजाय क्या मांग है उस समय उस जरूरत को देखा जाना चाहिए। इस सोप ऑपेरा में जीवन से जुड़ी छोटी छोटी घटनाओं को उठाया गया था।
हिंदी, उर्दू और अवधी भाषा के प्रयोग से इसके चुटीले संवाद दिल को छूते थे, यही वजह है 'लगान' बनाने के समय आमिर खान को आशीष गोवारिकर ने बताया था के पी सक्सेना की लेखकीय संगठना के बारे में। आशुतोष और आमिर खान दोनो की पसंद थे के पी। केपी सक्सेना का एक परिहास लेख मायापुरी में छपा हुआ आमिर खान को याद था जो वह एक इंटरव्यू में बताए थे। नीतू सिंह अभिनित किसी फिल्म पर केपी ने लिखा था"..वो दातुवन बेंचनेवाली लड़की !"
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"बीवी नातियों वाली" आज जरूर एक लाइब्रेरी संस्करण बन चुकी है किंतु इसका महत्व वे लोग जानते हैं जो उस दौर में टीवी को सृजन देने में जुड़े थे। 'मायापुरी' फिल्म पत्रिका अपने स्तंभकार के पी सक्सेना को उनकी पुण्य तिथि (31 ऑक्टोबर 3013) पर सादर नमन करती है।
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FAQ
प्रश्न 1. के पी सक्सेना कौन थे?
के पी सक्सेना हास्य-व्यंग्य लेखक और पटकथा लेखक थे। उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में हास्य-व्यंग्य लिखा और टीवी व फिल्मों के लिए डायलॉग तैयार किए।
प्रश्न 2. के पी सक्सेना ने टीवी के लिए कौन सा पहला नाटक लिखा था?
उन्होंने लखनऊ दूरदर्शन के लिए "बीवी नातियों वाली" नाटक लिखा, जो संभवतः दूरदर्शन का पहला नाटक था।
प्रश्न 3. के पी सक्सेना फिल्मों में कैसे जुड़े?
उनका फिल्मी करियर मायापुरी में लिखे गए हास्य-व्यंग्य लेखों से प्रेरित होकर शुरू हुआ। उन्हें आमिर खान की फिल्म लगान में अतिरिक्त डायलॉग लेखक बनाया गया। इसके बाद उन्होंने स्वदेश और हलचल जैसी फिल्मों में भी डायलॉग लेखन किया।
प्रश्न 4. के पी सक्सेना की लेखन शैली कैसी थी?
वे हास्य-व्यंग्य में माहिर थे और उनके लेखों में जीवन के अनुभवों का गहरा असर दिखाई देता था।
प्रश्न 5. के पी सक्सेना किससे प्रेरित हुए थे?
बीवी नातियों वाली लिखते समय उन्होंने मायापुरी के संस्थापक ए.पी. बजाज से प्रेरणा ली थी।
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