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बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई ऐसे मशहूर सितारे हुए हैं, जिन्होंने अचानक ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया. इनके असमय निधन ने ना केवल उनके परिवारों को बल्कि लाखों फैंस को भी गहरा सदमा दिया. हैरानी की बात यह है कि ये फ़िल्मी सितारे अपनी मौत से पहले ही दुनिया से अपने जाने की भविष्यवाणी कर चुके थे. आइये जानते है कि इस लिस्ट में कौन- कौन शामिल है.
किशोर कुमार (Kishore Kumar)
हिंदी सिनेमा के बेहतरीन एक्टर एंड सिंगर किशोर कुमार, जिन्हें ‘किशोर दा’ के नाम से जाना जाता है, ने भी अपने अपनी मौत की भविष्यवाणी की थी. दरअसल किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार ने साल 2002 में 'रेडिफ' को दिए इंटरव्यू में बताया था कि एक दिन पापा (किशोर दा) ने हार्ट अटैक को लेकर हल्के-फुल्के अंदाज़ में मजाक किया था. उन्होंने कहा, “अगर मुझे हार्ट अटैक आया तो मैं यहीं ढेर हो जाऊंगा. ” हैरानी की बात यह है कि उसी दिन (13 अक्टूबर, 1987) को किशोर कुमार को सचमुच दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
किशोर कुमार की कुछ लोकप्रिय फ़िल्में हैं – नौकरी (1954), बाप रे बाप (1955), नई दिल्ली (1956), चलती का नाम गाड़ी (1958), झुमरू (1961) और पड़ोसन (1968).
लोकप्रिय गाने- दिल क्या करें (फिल्म-जूली, 1975), पल पल दिल के पास (फिल्म-ब्लैक मेल, 1973), ये रातें ये मौसम’ (फिल्म- दिल्ली का ठग, 1958),पिया पिया मोरा जिया’ (फिल्म- बाप रे बाप, 1955), हैलो हैलो जी (फिल्म- बॉम्बे का चोर 1962), ऐ हसीनों नाजनीनो (फिल्म- चाचा जिंदाबाद, 1959), जरूरत है जरूरी है (फिल्म- मनमौजी (1961), गाता रहे मेरा दिल) फिल्म- गाइड 1965) और मेरा दिल मेरी जान (फिल्म- जालसाज़, 1966).
संजीव कुमार (Sanjeev Kumar)
‘अर्जुन पंडित’, ‘शोले’, ‘त्रिशूल’, ‘खिलौना’ और ‘ यही है ज़िंदगी’ जैसी फिल्मों में अभिनय करने वाले बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर संजीव कुमार को भी अपनी मौत का पहले से ही आभास हो चुका था. एक बार वो शो 'तबस्सुम टॉकीज' (Tabassum Talkies) शो में पहुंचे थे तो तबस्सुम ने संजीव कुमार से पूछा था कि वो उम्रदराज किरदारों को लेकर इतना ऑब्सेस्ड क्यों हैं. इसपर उन्होंने कहा था, “मैंने एक ज्योतिषी को हाथ दिखाया था तो उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि मैं ज्यादा लंबे समय तक जीवित नहीं रहूंगा. इसलिए मैं उम्रदराज किरदार निभाता हूँ, ताकि वो जिंदगी जी सकूं.” बता दें कि महज 47 साल 6 नवंबर 1985) की उम्र में एक्टर का निधन हो गया था.
संजीव कुमार की कुछ लोकप्रिय फिल्में- शिकार (1968) , दस्तक(1970), खिलौना (1970), कोशिश (1972), नया दिन नई रात (1974), शोले (1975), आंधी(1975), मौसम (1975), अर्जुन पंडित (1976), जिंदगी(1976), देवता (1978), त्रिशूल(1978) पति पत्नी और वो (1978), विधाता(1982) और अंगूर(1982).
ऋषि कपूर (Rishi Kapoor)
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है रणबीर कपूर के पिता और एक्टर ऋषि कपूर का! 80 के दशक के रोमांटिक हीरो ऋषि कपूर का निधन 30 अप्रैल 2020 को हुआ था, लेकिन उनकी एक पुरानी बात ने सबको चौंका दिया. उन्होंने 2016 में एक इंटरव्यू में कहा था, “जैसा मेरा लाइफस्टाइल है, उस हिसाब से मैं ज्यादा लंबा नहीं जिऊंगा.”इतना ही नहीं, उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा था कि ‘जब मैं मरूंगा, तो मेरे अंतिम संस्कार में कोई नहीं आएगा.’ बता दें कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी अंतिम यात्रा बेहद सीमित लोगों की मौजूदगी में हुई—और उनकी कही बात सच साबित हो गई.
ऋषि कपूर की कुछ लोकप्रिय फ़िल्में हैं- बॉबी (1973), रफू चक्कर (1975), अमर अकबर एंथोनी (1977), कभी कभी (1976), कर्ज (1980) प्रेम रोग (1982) नागिन(1986), चांदनी (1989), नमस्ते लंदन (2007), लव आज कल ( 2009), दो दूनी चार (2010), अग्निपथ (2012) और कपूर एंड संस (2016 ).
ओम पुरी (Om Puri)
हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर ओम पुरी को भी अपनी मौत का एहसास पहले ही हो चुका था. साल 2016 में मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपनी मौत पर बात की थी. इस दौरान ओम पुरी ने कहा था, “एक एक्टर के रूप में मेरा योगदान मेरे इस दुनिया से चले जाने के बाद दिखाई देगा. युवा पीढ़ी, विशेषकर फिल्म स्टूडेंट्स मेरी फिल्में देखेंगे.” इस इंटरव्यू के चंद महीनों बाद ही 6 जनवरी 2017 को 66 वर्ष की आयु में उनके निवास पर दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.
ओम पुरी की कुछ लोकप्रिय फिल्में- आक्रोश (1980), आरोहन (1982), अर्ध सत्य (1983) जाने भी दो यारो (1983), मिर्च मसाला (1987), घायल (1990) माचिस (1996), माचिस (1996), चाची 420 (1997), पूरब ही पूरब है (1999), हेरा फेरी (2002), मकबूल 2003 और सौ फुट की यात्रा (2014).
स्मिता पाटिल (Smita Patil)
दिवंगत एक्ट्रेस स्मिता पाटिल को भी अपनी मौत का एहसास पहले ही हो चुका था. इसका जिक्र उन्होंने 'द मैरीगोल्ड स्टोरी: इंदिरा गांधी एंड अदर्स’ (The Marigold Story: Indira Gandhi & Others) नाम की एक किताब में किया गया है. इसमें लिखा है कि, जब स्मिता पाटिल को उनकी दोस्त ने शादीशुदा राज बब्बर के साथ घर बसाने से रोका तो उन्होंने कहा था कि मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि मैं किसी और को ढूंढ लूं. मैं बस जल्द से जल्द मां बनना चाहती हूँ. मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है. आपको बता दें कि स्मिता पाटिल का निधन उनके बेटे प्रतीक बब्बर के जन्म के कुछ ही दिनों में हो गया था.
स्मिता पाटिल की कुछ लोकप्रिय फिल्में- भूमिका (1977), आक्रोश (1980), चक्र (1981), नमक हलाल (1982), बाज़ार (1982), अर्थ (1982), अर्ध सत्य (1983), मंडी (1983), आज की आवाज़ (1984), मिर्च मसाला (1985), ग़ुलामी, (1985), आख़िर क्यों? (1985) अमृत (1986) और वारिस, 1988.
BY PRIYANKA YADAV
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