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Kesari Chapter 2 के स्क्रीन पर आने के साथ, करण एक मिसाल के रूप में नजर आ रहे हैं

ऐसी दुनिया में जहाँ सिनेमा अक्सर सपनो का सौदागर माना जाता है और परेशान लोगों के लिए हकीकत से पलायन का एक जरिए के रूप में देखा जाता है, धर्मा प्रोडक्शन निर्मित 'केसरी चैप्टर 2' जैसी फिल्म...

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By Sulena Majumdar Arora
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Kesari Chapter 2 के स्क्रीन पर आने के साथ, करण एक मिसाल के रूप में नजर आ रहे हैं
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ऐसी दुनिया में जहाँ सिनेमा अक्सर सपनो का सौदागर माना जाता है और परेशान लोगों के लिए हकीकत से पलायन का एक जरिए के रूप में देखा जाता है, धर्मा प्रोडक्शन निर्मित 'केसरी चैप्टर 2' जैसी फिल्म, पर्दे पर सच्चाई प्रस्तुत करने का एक साहसिक कदम है. करण जौहर द्वारा निर्मित यह फ़िल्म दर्शकों को भारत के इतिहास के उस चैप्टर से रूबरु कराकर एक कड़वा सच और असहज सच्चाइयों का सामना कराता है जो शायद तक छुपी हुई थी. 'केसरी 2' की पीढ़ी को सिर्फ भारत की जीत नहीं बल्कि संघर्ष में गर्व महसूस करने की चुनौती देता है. करण ने इस बार अपनी चमक दमक और बिग फैट पंजाबी शादियों से लबरेज स्वप्निल फिल्मों से परे, इस नवीनतम फ़िल्म 'केसरी 2' के जरिए, दर्शकों को इतिहास के वजन को महसूस करने और यह समझने के लिए कहा है कि न्याय की लड़ाई जारी है और हर पीढ़ी को अपनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ता है.

Kesari Chapter 2

एक फिल्म निर्माता के रूप में करण जौहर का विकास और उनके भारतीय सिनेमा की यात्रा, अब धीरे धीरे अपनी विविध रंगों के साथ दिखायी दे रहा है. गंभीर या टीनेज रोमांस से लेकर वास्तविकता का बोझ उठाने वाली कहानियों तक. असली जीवन की भावनात्मक पेंचीदगियों को अपनाने, गलतियों से भरे चरित्र और कठिन परिस्थितियों को दर्शाने की उनकी इच्छा, उनके अंतर्मन की परिपक्वता को दर्शाने लगी है जो बॉक्स ऑफिस नंबरों से परे है. करण की हर फिल्म गहरे उद्देश्य की बात करता है और वे अपनी स्टोरी टेलिंग को समझ और बदलाव के साधन के रूप में उपयोग करते रहते हैं.

केसरी चैप्टर 2 - द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ जलियांवाला बाग

केसरी चैप्टर 2  रिलीज़ हो गई है, यह स्क्रीन पर आने वाली एक और शुक्रवारी फिल्म नहीं है. यह करण जौहर के विकास, उनके कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलने के साहस और सिनेमा की शक्ति में उनके विश्वास को दर्शाता है जो हर भारतीय के दिमाग और दिल को झकझोर सकती है. यह हम सभी को रुकने और सोचने के लिए मजबूर करता है, न केवल अतीत के बारे में, बल्कि इस बारे में भी कि हम जिस जमीन पर खड़े हैं वो किन देशभक्तों के खून और बहादुरी से सिंची गई है.

Karan Johar

करण जौहर एक फ़िल्म निर्देशक, लेखक, निर्माता हैं, लेकिन बॉलीवुड में ऐसे तो बहुत से फिल्म निर्माता हैं. लेकिन करण को औरों से जो अलग करता है वो हैं उनकी अद्वितीयता. करण एक ऐसे फ़िल्म रचयता है जो सपने देखने, सवाल करने और कुछ बनाने की हिम्मत रखता है. उनकी फिल्में हमें याद दिलाता है कि हर कहानी के पीछे एक उद्देश्य छिपा हुआ है और कभी-कभी, सबसे शक्तिशाली कहानियाँ वे होती हैं जो हमें बेचैन और असहज कर देती हैं और हमें खुद को और अधिक स्पष्ट रूप से देखने के लिए मजबूर करती हैं. केसरी चैप्टर 2 एक ऐसी ही फ़िल्म है.

जरा सोचिए, फिल्म का टीज़र आकर्षक दृश्यों, संगीत या स्टार परिचय के साथ शुरू होने के बजाय, 30 सेकंड के ऑडियो-ओनली सीक्वेंस से शुरू होता है - कोई छवि नहीं, कोई लोगो नहीं, यहाँ तक कि फिल्म का शीर्षक भी नहीं. इस दृश्य में केवल ध्वनि का उपयोग किया जाता है - गोलियों की आवाज़, चीखें - दर्शकों को सीधे जलियाँवाला बाग हत्याकांड की भयावहता में खींच लेती है.

केसरी चैप्टर 2 में करण जौहर सामान्य निर्माता की भूमिका से कहीं आगे है. उन्होंने फिल्म को न तो जश्न मनाने के रूप में वर्णित किया है और न ही केवल श्रद्धांजलि के रूप में, बल्कि क्रोध की अभिव्यक्ति के रूप में भी प्रस्तुत किया. उन्होने जलियांवाला बाग हत्याकांड के अन्याय और उसके बाद की चुप्पी के खिलाफ एक उचित रोष प्रकट किया है. करण ने कहा है कि यह फिल्म सी शंकरन नायर द्वारा लड़ी गई साहसी कानूनी लड़ाई के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य से जवाबदेही की मांग करने की घोषणा है. एक ऐसी कहानी जो अब तक काफी हद तक अनकही रह गई है. उन्होंने इस बारे में खुलकर बात की है कि केसरी चैप्टर 2 का निर्माण एक गंभीर सफर था, जिसमें एक नवोदित निर्देशक के साथ चार से पांच साल का समर्पण शामिल है. जिसने इस परियोजना में दिल और आत्मा को पिरो के रख दी थी. करण नई प्रतिभाओं का समर्थन करने में गर्व महसूस करते हैं और उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला है कि यह फिल्म धर्मा प्रोडक्शंस द्वारा पेश की गई 24वीं नवोदित फिल्म निर्देशक है, जिनमें से अधिकांश पारंपरिक फिल्म उद्योग से बाहर से आते हैं. यह करण की नई आवाज़ों और नए दृष्टिकोणों में विश्वास को दर्शाता है, खासकर इस तरह की महत्वपूर्ण कहानियों के लिए. फिल्म के ट्रेलर लॉन्च और प्रेस इवेंट्स में, फिल्म के संदेश के लिए करण का जुनून स्पष्ट था. उन्होंने जनरल डायर की पोती द्वारा हाल ही में की गई असंवेदनशील टिप्पणियों की निंदा की. करण के लिए, केसरी चैप्टर 2 सिनेमा से ज्यादा है. यह उस रक्तपात और बलिदान की याद दिलाता है जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को बल दिया, और न्याय का आह्वान किया है.

सी शंकरन नायर

करण ने यह भी साझा किया कि कैसे फिल्म का कोर्टरूम ड्रामा, ब्रिटिश क्राउन के खिलाफ शंकरन नायर के नेतृत्व वाली कानूनी लड़ाई पर केंद्रित है, जो हमारे इतिहास पर एक ताज़ा और गहन दृष्टिकोण प्रदान करता है. 18 अप्रैल, 2025 को गुड फ्राइडे के साथ फ़िल्म की रिलीज़, इसके गंभीर और दार्शनिक महत्व को रेखांकित करने के लिए एक जानबूझकर किया गया विकल्प था.

बॉलीवुड सिनेमा जगत में, करण जौहर का नाम सुनते ही अक्सर भव्य सेट, शानदार पोशाकें और मधुर गाने याद आते हैं जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. लेकिन दुनिया को मालूम पड़ रहा है कि करण, चमक-दमक और ग्लैमर से परे एक ऐसा शख्स है जिसने मानवीय भावनाओं, रिश्तों और पहचान के कई रंगों को समझने और व्यक्त करने में दशकों बिताए हैं. उनका सिनेमाई सफ़र सिर्फ़ लार्जर देन लाइफ फ़िल्म बनाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह इतिहास के ताने-बाने, अनकही सच्चाइयों और हम सभी को रूप रेखा देने वाले मौन संघर्षों की ओर उंगली उठाने की भी है.

Kesari Chapter 2 karan johar

जब आप करण जौहर को देखते हैं, तो उन्हें बॉलीवुड के किंग निर्माता निर्देशक के रूप में देखना आसान होता है. करण एक ऐसा फ़िल्म निर्माता हैं जो उस तरह की कहानियाँ गढ़ना जानता है जो लाखों कॉमन दर्शकों की दुखती नब्ज को समझ कर उन्हे कुछ घंटों की रिलीफ देती रही है. फिर भी, उस चकाचौंध वाले बाहरी आवरण के नीचे एक बेचैन आत्मा है, जो लगातार सवाल करती रहती है, प्रयोग करती रहती है और विकसित होती रहती है.

करण जौहर का जन्म (25 मई 1972) एक ऐसी दुनिया में हुआ था जहाँ फ़िल्में एक पारिवारिक व्यवसाय थीं, लेकिन इससे उन्हें आसानी से आगे बढ़ने की गारंटी नहीं मिली. वास्तव में, बड़े घर में पैदा होने से बच्चों पर लदने वाली उम्मीदों का भार अक्सर सुर्खियों से भी भारी लगता था. जीवन भर सिनेमाई दिग्गजों से घिरे हुए होने के बावजूद अपनी खुद की पहचान बनाने की ज़रूरत महसूस करना यह साबित करने के लिए कि काफी है कि आप सिर्फ़ एक पारिवारिक पहचान और नाम से बढ़कर हैं.

karan johar father mother

उनके पिता, यश जौहर, एक जाने माने फ़िल्म निर्माता थे और धर्मा प्रोडक्शंस के संस्थापक थे. उनकी माँ, हीरू जौहर हमेशा उनका साथ देने के लिए मौजूद रहती थीं. बचपन से ही करण को कहानियाँ पसंद थीं. वह फ़िल्में देखते थे, फ़िल्मी संगीत सुनते थे और सिनेमा की दुनिया में अपनी पहचान बनाने का सपना देखते थे. लेकिन फ़िल्म इंडस्ट्री एक मुश्किल जगह हो सकती है, यहाँ तक कि किसी मशहूर उपनाम वाले व्यक्ति के लिए भी.

Karan Johar in ddlj

करण का पहला बड़ा कदम दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में सहायक निर्देशक के रूप में था, एक ऐसी फ़िल्म जिसने बॉलीवुड में रोमांस की दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया. लेकिन वे सिर्फ़ बैक ग्राउंड में रहकर संतुष्ट नहीं थे. 1998 में, उन्होंने 'कुछ कुछ होता है' से निर्देशन में पदार्पण किया. फ़िल्म एक बड़ी हिट बन गई, और अचानक हर कोई इस नए निर्देशक के बारे में बात करने लगा. यह युवा निर्देशक, युवा लोगों, प्यार और दोस्ती को एक ऐसे तरीके से समझता था जो ताज़ा और सच लगता था. करण अक्सर कहते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी पहली फिल्म इतनी बड़ी हिट होगी. वह बस एक ऐसी कहानी बताना चाहते थे जो उनके लिए मायने रखती हो, और वह ईमानदारी हर जगह दर्शकों से जुड़ती हो.

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उसके बाद करण ने ऐसी फ़िल्में बनाईं जो परिवार, रिश्तों और भारतीय समाज के बदलते चेहरे को छूती थीं. कभी ख़ुशी कभी ग़म ने परिवार के महत्व को दिखाया, भले ही मतभेद हों. माई नेम इज़ ख़ान ने पूर्वाग्रह से भरी दुनिया में पहचान और स्वीकृति को लेकर बात की. हर फ़िल्म के साथ करण ने कुछ नया कहने की कोशिश की, कभी लोगों को हंसाया, कभी रुलाया, लेकिन हमेशा उन्हें सोचने पर मजबूर किया. उन्होंने इंटरव्यू में कहा है कि वह चाहते हैं कि उनकी फ़िल्में असल टॉपिक पर बातचीत शुरू करें, भले ही वे असहज हों. उनका मानना है कि सिनेमा को वास्तविक जीवन को उसके सभी उतार-चढ़ावों के साथ दर्शाना चाहिए.

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करण सिर्फ़ एक निर्देशक नहीं है, एक निर्माता, एक लेखक, एक टॉक शो होस्ट और यहाँ तक कि एक कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर भी हैं. उनके नेतृत्व में, धर्मा प्रोडक्शंस भारत की सबसे बड़ी और सबसे सम्मानित फ़िल्म कंपनियों में से एक बन गई है. उन्होंने कई नए अभिनेताओं और निर्देशकों के करियर को लॉन्च करने में मदद की है. करण को इस पर गर्व है, उनका कहना है कि नए लोगों को मौका देना उनके काम का सबसे सुंदर हिस्सा है. उन्हें याद है कि जब उन्होंने खुद अपने करियर की शुरुआत की थी तो वे कितने नर्वस थे और दूसरों के लिए वे इस सफ़र को थोड़ा आसान बनाना चाहते हैं.

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इन्ही वजहों से करण की ज़िंदगी विवादों से भरी रही. उन्हें स्टार किड्स को बढ़ावा देने (नेपोटीजम) और ऐसी फ़िल्में बनाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है जिन्हें कुछ लोग "बहुत ज्यादा चकाचौंध" कहते हैं. उन्होंने कई बार अकेलेपन और गलत समझे जाने के बारे में खुलकर बात की है. वह मानते हैं कि सुर्खियों में रहना मुश्किल हो सकता है, लेकिन वह अपने काम और अपने परिवार पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते हैं. करण ने एक बार कहा था, "मैंने प्यार और नफ़रत दोनों को स्वीकार करना सीख लिया है. जो मायने रखता है वह यह है कि मैं अपनी दृष्टि के प्रति सच्चा रहूँ." यह ईमानदारी और आत्म-जागरूकता उन्हें एक ऐसे इंडस्ट्री में अलग खड़ा करती है जहाँ छवि ही सब कुछ है.

Kesari Chapter 2

करण जौहर एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उनकी नवीनतम फिल्म केसरी चैप्टर 2 रिलीज़ हो गई है. यह फिल्म उनके पिछले काम से अलग है. यह एक गंभीर, भावनात्मक कहानी है जो उस समय की है जब भारत अपनी गरिमा के लिए लड़ रहा था. यह फिल्म जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद वास्तविक जीवन की अदालती लड़ाई से प्रेरित है. एक ऐसा क्षण जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. करण ने कहा है कि इस फिल्म का निर्माण करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी. वह उस समय के दर्द और साहस को दिखाना चाहते थे बिना इसे एक और इतिहास के पाठ की तरह महसूस कराए. उनका मानना है कि ऐसी कहानियाँ महत्वपूर्ण हैं, खासकर युवा लोगों के लिए जो अतीत के संघर्षों के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं.

उन्होंने कहा, "हम एक गौरवशाली देश हैं, और हमारी कहानियों को गर्व और ईमानदारी के साथ बताया जाना चाहिए." उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अक्षय कुमार और माधवन जैसे अभिनेताओं के साथ काम करने से प्रोजेक्ट में एक नई ऊर्जा आई है. करण महसूस करते है कि इस फ़िल्म की कानूनी ड्रामा, सिर्फ़ अंग्रेजों से लड़ने की नहीं है, बल्कि सच्चाई और न्याय के लिए लड़ने को इंगित करती है, जो भी मायने रखते हैं.

फिल्म के हर फ्रेम में करण के इनपुट देखे जा सकते हैं. वह स्क्रिप्ट, कास्टिंग और यहां तक कि संगीत में भी गहराई से शामिल थे. वह चाहते थे कि भावनाएँ वास्तविक लगें, न कि जबरदस्ती. वह कहते हैं, "जब आप इस तरह की फिल्म बनाते हैं, तो आप अपने कंधों पर इतिहास का भार उठाते हैं. लेकिन बावजूद इसके, आपको उम्मीद की भावना भी महसूस होती है. अगर एक व्यक्ति भी यह फिल्म देखता है और प्रेरित महसूस करता है, तो सारी मेहनत सार्थक है." फिल्म की एडवांस बुकिंग पहले से ही मजबूत है, और आलोचकों और दर्शकों के बीच समान रूप से चर्चा है.

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करण जौहर के करियर को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि वे जोखिम लेने से नहीं डरते. उन्होंने हल्के-फुल्के रोमांस, चकाचौंध सिनेरिओ, गंभीर ड्रामा और अब, एक ऐसी फिल्म बनाई है जो भारत के दर्दनाक इतिहास को गहराई से दर्शाती है. उनके सभी कामों में, एक चीज जो सबसे अलग है, वह है लोगों से जुड़ने की उनकी अद्भुत क्षमता.

करण जौहर का व्यक्तिव शोहरत और सफलता से कहीं बढ़कर है. वे अपनी आवाज़ तलाशने, अपने डर का सामना करने और अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करके ऐसी कहानियाँ बताने की है जो मायने रखती हैं. केसरी चैप्टर 2 के स्क्रीन पर आने के साथ, करण एक मिसाल के रूप में खड़े हैं कि सिनेमा एक दर्पण और इतिहास की एक खिड़की दोनों हो सकता है, जो हमें दर्शाता है कि हम कहाँ खड़े है, हम कौन है और हम क्या क्या कर सकते हैं.

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