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ताजा खबर: महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के नंदनी गांव में सांस्कृतिक आघात की जंग छिड़ गई है. कारण है वहां की मंदिर की पूजनीय हाथी ‘महादेवी’ (मधुरी) को अम्बानी समूह की वन्तारा (रिलायंस फैमिली) द्वारा गुजरात के जानगर में स्थित वन्यजीव पुनर्वास केंद्र में ले जाने का फैसला. इस फैसले के कारण स्थानीय समुदाय में भारी आक्रोश है और वे रिलायंस‑Jio सेवाओं का बहिष्कार शुरू कर चुके हैं.
विवाद की शुरुआत (Ambani Boycott Maharashtra)
महादेवी लगभग 36 वर्षों से कोल्हापुर की नंदनी मठ में धार्मिक व पारंपरिक कार्यक्रमों में शामिल रहती थीं. स्थानीय लोग उन्हें परिवार का हिस्सा मानते थेPETA इंडिया की शिकायत के आधार पर आरोप लगाया गया कि हाथी की देखभाल ठीक से नहीं हो रही थी. उसके बाद High Powered Committee (HPC) और बॉम्बे उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय ने वंतारा वन्यजीव केंद्र, जामनगर में भेजने का आदेश दिया
धार्मिक और सांस्कृतिक चोट (Boycott Jio Trend)
स्थानीय Jain समुदाय ने इस कदम को धार्मिक विश्वासों का उल्लंघन बताया. महादेवी को पूजा-पाठ और सांस्कृतिक समारोहों में शामिल किया जाता था, जो अब छिन गयामठ के वरिष्ठों ने कहा कि मठ के पास हाथी का मालिकाना हक था और उस पर स्थानीय धार्मिक अधिकार था
BoycottJio: जन आंदोलन की चिंगारी
स्थानीय लोगों ने रिलायंस‑Jio का विरोध करते हुए सामूहिक रूप से अपनी Jio SIM पोर्ट कर दी. तीन दिनों में ही 2500 से अधिक नंबर Airtel और Vi में पोर्ट किए गएयह विरोध केवल मोबाइल तक सीमित नहीं रहा – लोग रिलायंस के पेट्रोल पंप, उत्पाद आदि का भी बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं
कोर्ट और वनतारा का पक्ष (Vantara)
PETA का कहना है कि हाथी को दर्दनाक गठिया (arthritis) और चोटों से जूझना पड़ रहा था. वन्तारा में उसे बेहतर देखभाल और सामाजिक माहौल मिल सकता थाVantara ने स्पष्ट किया कि यह कदम बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) और सुप्रीम कोर्ट की बाध्यकारी अदालती आदेश का पालन था
जैन समुदाय के धार्मिक नेताओं ने राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है. उन्होंने हब्बल्ली, बेलगावी से समर्थन जुटाने की योजना बनाई है. सांसद व नेताओं ने इस मुद्दे को संसद तक ले जाने की धमकी दी हैकई लोग इस घटना को कॉर्पोरेट पावर का धर्म व संस्कृति पर कब्ज़ा मान रहे है.महादेवी का स्थानांतरण केवल एक हाथी को एक केंद्र में भेजने का मामला नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र की धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक पहचान से जुड़ा एक ज्वलंत मुद्दा बन गया है. जहां एक ओर न्यायालय ने पशु कल्याण को प्राथमिकता दी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय समुदाय को अपनी संस्कृति को खोता हुआ महसूस हुआ. इसके परिणामस्वरूप अब एक सशक्त Boycott Jio आंदोलन समाज और सरकार के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है. दोनों पक्षों की बातों को संतुलित दृष्टिकोण से समझना आज की आवश्यकता है.
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