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Dev Anand की 102वीं जयंती: सिनेमा, स्टाइल और संघर्ष की अमर कहानी

बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता,और मोती की तरह चमकने वाली प्रतिभा वाले देव आनंद जी की आज 102 वीं जयंती है. वे एक ऐसे सुपरस्टार है जिन्होंने न सिर्फ अपने अभिनय बल्कि अपने फैशन के माध्यम से भी लोगों के दिलों में जगह बनाई...

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Dev Anand 102nd birth anniversary ​​An immortal tale of cinema, style and struggle
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Dev Anand's 102nd birth anniversary: बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता, फिल्मी पर्दे का सबसे युवा चेहरा, गजब की ताजगी भरी शख्सियत और मोती की तरह चमकने वाली प्रतिभा वाले देव आनंद जी (Happy Birthday Dev Anand) की आज, 26 सितंबर को 102 वीं जयंती है. वे एक ऐसे सुपरस्टार है जिन्होंने न सिर्फ अपने अभिनय बल्कि अपने फैशन के माध्यम से भी लोगों के दिलों में जगह बनाई. उस जमाने में उनका स्टाइल इतना ट्रेंडी था कि उन्हें बॉलीवुड का फैशन आइकॉन भी कहा जाता है. उन्होंने अपने स्कार्फ़, मफलर, और जैकेट के साथ फैशन स्टेटमेंट बनाया था. उनका काले कोट और सफ़ेद शर्ट का लुक बहुत मशहूर था.

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Dev Anand

26 सितंबर 1923 को पंजाब के गुरुदासपुर में जन्मे देव आनंद का मूल नाम धरम देव पिशोरीमल आनंद था. उनके पिता पिशोरी लाल आनंद एक बड़े वकील थे. देव आनंद एक अभिनेता होने के साथ-साथ लेखक, फिल्म निर्माता और निर्देशक भी थे. उन्होंने अपने असाधारण अभिनय कौशल, चुंबकीय ऑन-स्क्रीन आकर्षण और छह दशकों से अधिक के करियर के साथ भारतीय सिनेमा पर एक चिरस्थायी प्रभाव छोड़ा. आज वह एक ऐसी शख्सियत है जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में सदैव अमर रहेंगे और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे (Dev Anand birthday special). 

dev anand childhood

देव आनंद का जीवन संघर्ष (Dev Anand's life struggle)

डलहौजी में अपनी स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने लाहौर के कॉलेज से आगे की पढ़ाई पूरी की. देव आनंद के भाई, चेतन आनंद और विजय आनंद भी भारतीय सिनेमा में सफल निर्देशक थे. उनकी बहन शील कांता कपूर प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक शेखर कपूर की मां है. देव आनंद ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वे काम की तलाश में मुंबई आए थे, तो उनके पास सिर्फ 3 रुपये थे. इसके बाद उन्होंने सैन्य सेंसर कार्यालय में 65 रुपये मासिक वेतन पर आजीविका के लिए काम शुरू किया. बाद में उन्होंने 85 रुपये के वेतन पर एक लेखा फर्म में क्लर्क के रूप में भी काम किया. 

dev anand father mother

देव आनंद ने बचपन की कीमती चीज बेची (Dev Anand sold his childhood treasure) 

देव आनंद की ज़िंदगी एक वक़्त ऐसा भी आया जब उन्हें शर्मिंदगी का एहसास हुआ. दरअसल जब वे मुम्बई आए थे तब उनके रहने का कोई ठिकाना नहीं था, इसलिए वे अपने भाई के दोस्त के घर रुक गये. लेकिन काफी वक्त बाद भी उनके रहने का कोई ठिकाना नहीं हुआ. एक दिन उन्होंने अपनी यह परेशानी अब्बास साहब से शेयर की. उन्होंने कहा कि आप मेरे घर आकर रह सकते हैं. देव जी ने ऐसा ही किया लेकिन एक वक़्त बाद उन्हें एहसास हुआ कि ज्यादा दिन ऐसे किसी के घर रुकना सही नहीं है, इसलिए वे वहां से अपना बैग और स्टैम्प बॉक्स, जिसमें वह बचपन से डाक टिकटे रखा करते थे, लेकर घर से निकल गए. यह कहते हुए कि उनके रहने की व्यवस्था कहीं और हो गई है. लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं था. क्योंकि वे सुबह से भूखे थे इसलिए उन्होंने अपने स्टैम्प को बेचने की सोची और कुछ मोलभाव करके उसे 30 रुपए में बेच दिया. और इस तरह उन्होंने अपने बचपन की सबसे कीमती चीज को बेचकर भरपेट खाना खाया. 

Dev Anand brothers

देव आनंद का फिल्मी सफर (Dev Anand's film career)

देव आनंद को फिल्म इंडस्ट्री में ब्रेक 1946 में मिला जब उन्हें प्रभात टॉकीज की फिल्म 'हम एक हैं' (Hum Ek Hain) में कास्ट किया गया. हालाँकि फिल्म ने उन्हें स्टारडम तक नहीं पहुँचाया, लेकिन इसने उनके लिए अवसरों के द्वार खोल दिए. ज़िद्दी (Ziddi 1948) में कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) के साथ उनकी भूमिका ने एक होनहार अभिनेता के रूप में उनके आगमन को चिह्नित किया. 'जिद्दी' में एक युवा और विद्रोही व्यक्ति के उनके किरदार ने दर्शकों का दिल जीत लिया और उन्हें नोटिस किया जाने लगा.

dev anand first movie Hum Ek Hain

dev anand movie Ziddi 1948

देव आनंद की लोकप्रिय फ़िल्में (Popular films of Dev Anand)

अभिनेता के तौर पर देव आनंद के करियर की शुरूआत वर्ष 1946 में 'हम एक हैं' फिल्म से हुई थी. वर्ष 1947 में 'जिद्दी' प्रदर्शित हुई. 'जिद्दी' के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने अपने कर‍ियर में कई हिट फिल्में दी. इनमें विद्या, जीत, अफसर, नीली, दो सितारे, सनम, 'हरे रामा हरे कृष्णा' (1971), ज्वेल थीफ, बाजी, आंधियां, टैक्सी ड्राइवर, हाउस नंबर 44, नौ दो ग्यारह, पॉकेट मार, असली-नकली, मेरा नाम, तेरे-मेरे, सीआईडी, पेइंग गेस्ट, फंटूश, काला पानी, काला बाजार, प्रेम पुजारी, नौ दो ग्यारह, पेइंग गेस्ट और गाइड समेत 112 फ़िल्में कीं. 

movies dev anad

Dev Anand movies

आपको बता दें कि 'हरे रामा हरे कृष्णा' में देव आनंद के साथ जीनत अमान थी. यह उनकी डेब्यू फिल्म थी. देव आनंद ने उन्हें एक दिग्गज हस्ती की पार्टी में देखा था. वह उस वक़्त मिस एशिया बनी थी. 

hare rama hare krishna movie dev anand

देव आनंद के सदाबहार गाने (Dev Anand's evergreen songs)

ये रात ये चांदनी (जाल, 1952), हम बेखुदी में (काला पानी, 1958), मैं जिंदगी का साथ (हम दोनों, 1961), तेरे मेरे सपने (गाइड, 1965), है अपना दिल तो आवारा (सोलवा साल, 1958), दम मारो दम, दिल का भंवर करे पुकार, पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले, बेवफा तेरे प्यार में, देव आनंद का फिल्मी सफर 65 साल का रहा. पूरी उम्र वह फिल्मों में रचे-बसे रहे. 3 दिसंबर 2011 को उनका निधन हो गया. भारत सरकार ने देव आनंद को भारतीय को सिनेमा में योगदान के लिए 2001 में पद्म भूषण और 2002 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कारों (Dadasaheb Phalke Award) से सम्मानित किया था.

देव आनंद का नवकेतन बैनर और सुनहरा दौर (Dev Anand's Navketan banner and golden era)

1950 में देव आनंद ने भाई चेतन के साथ नवकेतन बैनर शुरू किया. पहली फिल्म 'अफसर' फ्लॉप रही, लेकिन 'बाजी' (1951) ने गुरु दत्त को डायरेक्टर बनाया और फिल्म सुपरहिट हुई. 'टैक्सी ड्राइवर' (1954) में कल्पना कार्तिक (जिनसे उन्होंने शादी की) के साथ काम किया. यह फिल्म लोकेशन पर शूट की गई, जो उस समय नया था. 'गाइड' (1965) उनकी माइलस्टोन फिल्म थी. आर.के.नारायण के उपन्यास पर बनी यह फिल्म हिंदी और अंग्रेजी दोनों में बनी. विजय आनंद ने हिंदी वर्जन डायरेक्ट किया, जिसमें वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) थीं. गाने जैसे 'कांटों से खींच के ये आंचल' आज भी क्लासिक हैं. फिल्म ने देव आनंद को बेस्ट एक्टर अवॉर्ड दिलाया.

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गुरु दत्त-देव आनंद की दोस्ती (Guru Dutt-Dev Anand's friendship)

फ़िल्मी गलियारे में गुरु दत्त (Guru Dutt)और देव आनंद की दोस्ती खासी लोकप्रिय है. उनकी दोस्ती पुणे के प्रभात स्टूडियो में एक लॉन्ड्री की गलती से शुरू हुई थी, जहाँ उनकी शर्ट आपस में बदल गई थीं. यह घटना उनकी पहली मुलाकात का सबब बनी और संघर्ष के दिनों में उन दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया कि देव निर्माता बनेंगे तो गुरु निर्देशक होंगे, और गुरु निर्माता बनेंगे तो देव उनके हीरो होंगे. देव आनंद ने अपने बैनर 'नवकेतन फ़िल्म्स' के तहत 'बाजी' फ़िल्म से गुरु दत्त को निर्देशक के तौर पर पहला बड़ा ब्रेक दिया, जो गुरु दत्त के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई. गुरु दत्त ने भी अपना वादा निभाया और जब उन्होंने अपनी फिल्म बनाने की योजना बनाई तो उन्होंने देव आनंद को अपनी फिल्म 'सीआईडी' में मुख्य हीरो के तौर पर लिया. हालांकि, 'सीआईडी' फिल्म का निर्देशन गुरु दत्त के बजाय उनके असिस्टेंट राज खोसला ने किया था. जबकि गुरु दत्त इसके निर्माण कार्य से जुड़े रहें. 

Guru Dutt-Dev Anand's friendship

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देव आनंद और सुरैय्या की प्रेम कहानी (The love story of Dev Anand and Suraiya)

देव आनंद और सुरैय्या के बीच का किस्सा जगजाहिर हैं. उनके साथ उन्होंने 6 फिल्मों में काम किया. एक बार देव आनंद ने शूटिंग के दौरान सुरैया को पानी में डूबने से बचाया तब से वो उन्हें प्यार करने लगीं, लेकिन सुरैया की दादी धार्मिक कारणों से इनके रिश्ते के खिलाफ थीं. सुरैय्या आजीवन कुंवारी ही रहीं. देव आनंद ने भी स्वीकार किया था कि वो उनसे प्यार करते थे. 

dev anand and suraiya movies

The love story of Dev Anand and Suraiya

देव आनंद ने चुपके से की शादी (Dev Anand married secretly)

फिल्म 'टैक्सी' की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाकात एक्ट्रेस मोना यानी कल्पना कार्तिक (Kalpana Kartik) से हुई. दोनों के बीच में पहले दोस्ती हुई और फिर ये दोस्ती परवान चढ़ने लगी. एक दिन रोज की तरह सभी शूटिंग के लिए पहुंचे थे. फिल्म की शूटिंग के दौरान कैमरा-लाइट-एक्शन होता रहा. लेकिन, लंच ब्रेक के दौरान लीड एक्टर्स (देव आनंद और कल्पना कार्तिक) गायब हो गए. सभी परेशान थे कि आखिर दोनों कहां गए क्योंकि शूट के लिए देरी हो रही थी. दोनों कुछ समय के बाद वापस पहुंचे और सेट पर शूटिंग शुरू हुई. दोनों ने किसी को कुछ नहीं बताया और काम शुरू किया. 

Dev Anand married secretly

लेकिन उनकी इस चोरी को एक कैमरामैन ने पकड़ लिया था. कैमरामैन की पारखी नजरों ने देव आनंद और कल्पना कार्तिक की चोरी पकड़ ली. उन्होंने सबके सामने कहा कि ये अंगूठी अभी तक तो नहीं पहनी थी, जो ध्यान भटका रही हैं. देव आनंद समझ गए और वो कैमरा मैन को साइड में ले गए. उन्होंने कहा इसे कुछ समय के लिए राज ही रखें. बाद में पता चला कि दोनों पहले कही कोर्ट मैरिज के लिए इंतजाम कर चुके थे. शूट ब्रेक के दौरान दोनों चुपके से निकल गए थे और शादी की फॉमेलिटी पूरी कर ली थी. 

Dev Anand married

देव आनंद ने शादी क्यों निजी रखी. इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि शादी एक निजी फैसला होता है. मैं शादी की ढिंढोरा लोगों के सामने नहीं पीटना चाहता था. कल्पना एक ईसाई-पंजाबी परिवार से आती थीं. आपको बता दें कि जब देव आनंद के भाई चेतन आनंद (Chetan Anand) ने उन्हें फिल्म 'बाजी' में साइन किया तो उनका नाम मोना सिंघा से कल्पना कार्तिक कर दिया था. एक प्रतियोगिता देखने के बाद चेतन ने उन्हें फिल्म का प्रस्ताव दिया. रिश्ते में कल्पना, चेतन आनंद की पत्नी की चचेरी बहन लगती थीं. इसके बाद कल्पना का फिल्मी करियर शुरू हो गया. दोनों ने साथ में 'आंधियां', 'हमसफर', 'टैक्सी ड्राइवर', 'हाउस नंबर 44' और 'नौ दो ग्यारह' जैसी फिल्में भी कीं. शादी के बाद कल्पना ने अभिनय छोड़ दिया. दोनों के दो बच्चे हुए सुनील आनंद और देबीना.

फैशन आइकन थे देव आनंद (Dev Anand was a fashion icon)

देव आनंद महज़ एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि फैशन की दुनिया के प्रतीक भी थे. उनका स्टाइलिश पफ हेयरस्टाइल, मोहक मुस्कान और आधुनिक परिधान उन्हें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय बनाते थे. पर्दे पर उनकी आकर्षक मौजूदगी ने उन्हें अपने दौर का सबसे सफल रोमांटिक नायक बना दिया. उनके खास अंदाज़—चाहे सिगरेट जलाने का तरीका हो या फिर उनकी अलग चाल—पूरे देश में युवाओं के लिए ट्रेंड बन गए और हर कोई उनकी नकल करने लगा. 

Dev Anand was a fashion icon (1)

Dev Anand was a fashion icon (1)

Dev Anand was a fashion icon (2)

देव आनंद ने राजनीति में आजमाया हाथ (Dev Anand tried his hand in politics)

देव आनंद ने देश के राजनीतिक हालात को देखते हुए राजनीतिक दल का गठन भी किया था. उन्होंने 'नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया' नाम से एक राजनीतिक दल का गठन भी किया था. इस पार्टी का गठन उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध में किया था. वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के खिलाफ थे. साल 1977 में जब देश से इमरजेंसी खत्म हुई तब चुनाव होने थे. तब देव आनंद ने अपनी पार्टी का गठन किया. मुंबई में चार सितंबर 1979 को होटल ताज में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के इसकी जानकारी दी गयी. देव आनंद की इस पार्टी में उनके भाई विजय आनंद, प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक व्ही. शांताराम, जीपी सिप्पी, श्रीराम वोहरा, आइएएस जौहर, आत्माराम, रामानंद सागर, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी जैसी हस्तियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ते चले गए. इन सभी ने एक स्वर में देवानंद को पार्टी का अध्यक्ष चुना. फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' की शूटिंग करने के लिए जब देव आनंद बिहार आए थे, उस दौरान लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) पूरे भारत में अपनी क्रांतिकारी भूमिका और सोच को लेकर के प्रसिद्ध हो चुके थे. कहा जाता है कि देव आनंद जेपी की सोच से बहुत प्रभावित थे.

Dev Anand in politics (2)

Dev Anand in politics (1)

Dev Anand in politics (1)

Dev Anand in politics (1)

Dev Anand in politics (2)

देव आनंद की 102वीं जयंती पर विशेष प्रस्तुति (Special performance on Dev Anand's 102nd birth anniversary)

दिग्गज अभिनेता देव आनंद की 102वीं जयंती के अवसर पर कात्यायनी और थ्री आर्ट्स क्लब एक खास कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. इसमें उनके जीवन से जुड़ी यादें, किस्से-कहानियाँ और लोकप्रिय गीतों के जरिए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी जाएगी. यह शानदार आयोजन शिमला में भव्य अंदाज़ में प्रस्तुत किया जाएगा. 

देव आनंद केवल अभिनेता नहीं थे, बल्कि जुनून, स्टाइल और साहस का दूसरा नाम थे. उनका संघर्ष, आत्मविश्वास और प्रयोगशीलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है. चाहे वह स्टैम्प बेचने वाला भूखा नौजवान हो या करोड़ों का दिल जीतने वाला सुपरस्टार – देव साहब हर रूप में बेमिसाल रहे.

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'मायापुरी' परिवार की ओर से देव आनंद जी को उनकी 102वीं जयंती पर हार्दिक श्रद्धांजलि. उनकी जिंदादिली, स्टाइल और साहस हमेशा हमें प्रेरित करते रहेंगे. देव साहब, आप हमारे दिलों में हमेशा अमर रहेंगे.

Dev Anand Songs

Dev Anand movies

Dev Anand movies (1)

Dev Anand movies (2)

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Dev Anand – FAQs

देव आनंद कौन थे? (Who was Dev Anand?)

देव आनंद हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता, निर्देशक और प्रोड्यूसर थे, जिन्हें उनके स्टाइल और रोमांटिक भूमिकाओं के लिए जाना जाता है.

देव आनंद की सबसे प्रसिद्ध फिल्में कौन-सी हैं? (What are Dev Anand's most famous films?)

गाइड, जॉनी मेरा नाम, तेरे घर के सामने और सीआईडी देव आनंद की लोकप्रिय फिल्मों में शामिल हैं.

देव आनंद को कौन-कौन से बड़े अवॉर्ड्स मिले? (What major awards did Dev Anand receive?)

देव आनंद को पद्म भूषण, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड और कई फिल्मफेयर अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया.

देव आनंद की पहली फिल्म कौन-सी थी? (What was Dev Anand's first film?)

देव आनंद की पहली फिल्म हम एक हैं (1946) थी, जिसने उन्हें इंडस्ट्री में पहचान दिलाई.

देव आनंद को 'एवरग्रीन स्टार' क्यों कहा जाता है? (Why is Dev Anand called an 'evergreen star'?)

उनकी यंग लुक्स, एनर्जी और रोमांटिक इमेज के कारण उन्हें बॉलीवुड का 'एवरग्रीन स्टार' कहा जाता है.

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