Gulzar: मशहूर शायर गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1934 को झेलम जिले के दीना गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में मौजूद है. गुलजार साहब का असली नाम 'सम्पूर्ण सिंह कालरा' है. 18 अगस्त 2024 को गुलजार साहब ने अपना 90वां जन्मदिन मनाया. ऐसे में चलिए जानते है गुलजार साहब से जुड़ी कुछ बातें.
अपनी लेखन प्रक्रिया को लेकर बोले गुलजार साहब
गुलजार साहब ने अपने हालिया इंटरव्यू में बताया, "अब मैं 90 साल का हो गया हूं. पिछले 60 साल से इंटरव्यू दे रहा हूं. सवाल बस वही है कि आप कैसे लिखते हैं? आप कैसे ख्याल करते हैं? घूम-फिरकर फिल्मों पर सवाल.अगर तुम यह पूछना चाहते हो कि मेरा राइटिंग पीसेस क्या है? तो बता दूं कि मैं कुर्सी पर बैठकर लिखता हूं और पेन से लिखता हूं. सामने कागज होता है. यही प्रोसेस है बस. अब ख्याल कहां से आते है, क्यों आते हैं. क्या कोई शायर बता सकता है? सब झूठ कहते हैं कि बागों में घूमता हूं और इंस्पिरेशन आती है".
गुलजार साहब की एक किताब है 'रात पश्मीने की'.उसकी नज्म है 'अगर ऐसा भी हो सकता, जिसमें आप के शहर दीना (अब पाकिस्तान) की याद में खो जाते हैं. इसको लेकर उन्होंने अपने विचार शेयर किए.
गुलजार साहब ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, मुझे जो लिखना था, वह तो मैं लिख चुका. वह अब तुम्हारी नज्म है. तुम्हारी इंस्पिरेशन है, तुम्हारी फीलिंग है. इस पर तुम्हें लिखना चाहिए.
गुलजार साहब ने अपनी जवानी और फिट रहने के राज को बताया
गुलजार साहब ने बताया कि वह आजकल दंड- बैठक करते हैं. उन्होंने कहा, "इन दिनों सारी दुनिया की हर बात घिसी-पिटी होती है, बस उससे परेशान हूं".
अपने नाम दीनवी और जन्मदिन की तारीख पर बोले गुलजार साहब
दीनवी सही नहीं. इंटरनेट पर तो मेरे जन्म की तारीख भी गलत डली हुई है. बहुत जगह साल 1936 लिखा है. एक जगह तो मैंने 1938 पढ़ा था. मैं तो सन् 1934 में पैदा हुआ था. मेरी बेटी मेघना गुलजार ने एक बार कहा कि अच्छा है, आपको दो साल और मिल जाते हैं.
गुलजार साहब ने किया कई फिल्मों का निर्देशन
गुलज़ार साहब ने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में कोशिश, परिचय, अचानक, खुशबू, आंधी, मौसम, किनारा, मेरे अपने, मीरा, किताब, नमकीन, इजाजत, लिबास, अंगूर, लेकिन, माचिस और हू तू तू जैसी कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है.
कई अवॉर्ड्स से सम्मानित कई जा चुके हैं गुलजार साहब
गुलजार साहब को 20 बार फिल्मफेयर और 5 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.उन्हें फ़िल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के गाने 'जय हो' के लिए साल 2010 में ग्रैमी पुरस्कार भी मिला था.भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें साल 2004 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.वहीं, साल 2013 में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
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