गीतकार-लेखक जावेद अख्तर गुरुवार, 29 अगस्त को मुंबई में आयोजित एक्सप्रेसो में अपनी फिल्म निर्माता बेटी जोया अख्तर के साथ शामिल हुए. अपनी बातचीत के दौरान पिता-पुत्री की जोड़ी ने समकालीन हिंदी सिनेमा पर चर्चा की. वहीं इवेंट के दौरान जावेद अख्तर ने बॉलीवुड एक्ट्रस आलिया भट्ट की भी तारीफ की.
आलिया को लेकर बोले जावेद अख्तर
आपको बता दें गीतकार-लेखक जावेद अख्तर ने बातचीत के दौरान संजय लीला भंसाली की 2022 की फिल्म गंगूबाई कथावाड़ी में आलिया भट्ट के अभिनय के बारे में बात की.वहीं उन्होंने आलिया भट्ट की तारीफ करते हुए कहा, "गंगूबाई के साथ आलिया आज शायद कुछ बेहतरीन एक्ट्रेस में से एक हैं. हकीकत में मुझे लगता है कि वह बेहतरीन हैं, लेकिन मैं कूटनीतिक हो रहा हूं ताकि अन्य एक्ट्रेस परेशान न हों".
इस वजह से जोया अख्तर ने फिल्म जी ले जरा का निर्माण करने से किया मना
बता दें जोया अख्तर आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा और कैटरीना कैफ के साथ फिल्म जी ले जरा का निर्माण करने वाली थीं. इस बीच जोया अख्तर ने इस प्रोजेक्ट पर अपडेट दिया और इसके विलंब के पीछे के कारणों का खुलासा किया. उन्होंने कहा कि फिल्म पाइपलाइन में है और देरी इसलिए हो रही है क्योंकिवे तीनों स्टार्स की तारीखों को एक साथ नहीं कर पा रहे हैं. जोया ने कहा, "मुझे लगता है कि उन तीनों की तारीखों को एक साथ करना चाहिए और फरहान की अपनी तारीखों को एक साथ लाना चाहिए."
जोया अख्तर और जावेद अख़्तर ने कई फिल्मों में साथ किया काम
जोया अख्तर और जावेद अख़्तर ने कई फ़िल्मों में साथ काम किया है, जिनमें लक बाय चांस (2009), उसके बाद ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा (2011), दिल धड़कने दो (2015) शामिल हैं. ज़ोया ने हाल ही में अपने पिता और उनके पटकथा लेखक साथी सलीम खान के जीवन और कार्यों पर आधारित डॉक्यूमेंट्री सीरीज एंग्री यंग मेन का सह-निर्माण किया है. दोनों ने 1970 के दशक के दौरान सिर्फ 11 सालों में 24 फिल्में लिखीं, जिनमें से 20 ब्लॉकबस्टर रहीं. सलीम के बेटे - सलमान खान, अरबाज़ खान और सोहेल खान - भी डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा थे.
धार्मिक शिक्षा को लेकर बोले जावेद अख्तर
लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने हाल ही में एक बातचीत में कहा कि उनके नास्तिक होने का कारण यह है कि उनमें सोचने की क्षमता है. जावेद गुरुवार से पूछा गया कि वे "धार्मिक शिक्षा से कैसे बच पाए". इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सोचने वाले व्यक्तियों के रूप में, "हम तर्कसंगत, तार्किक होते हैं लेकिन बचपन में हमारे मस्तिष्क का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है जब हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं होता." इसके बाद उन्होंने उस समय के बारे में बात की जब सामाजिक मानदंडों के खिलाफ जाने वाले लोगों को उनकी वैज्ञानिक सोच के लिए दंडित किया जाता था, और जल्दी से कहा कि "20वीं और 21वीं सदी सिज़ोफ्रेनिया का समय है, लोगों का व्यक्तित्व अलग-अलग होता है."
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