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Akshay Kumar News: बात शुरू करते है एवर ग्रीन सुपर स्टार अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की आने वाली फिल्मों की फहरिश्त से, जिनमें से उल्लेखनीय है केसरी चैप्टर 2, जॉली एल एल बी 3, कन्नाप्पा, हाउसफुल 5, वेलकम टू द जंगल, भूतबंगला 2 (, अभी रिलीज़ डेट फाइनल नहीं) साइको (फाइनल डेट नहीं), हेराफेरी 3 (फ़ाइनल डेट नहीं) राउडी राठौर (डेट फाइनल नहीं).
अक्षय कुमार का पलड़ा आज भी हर मामले में भारी क्यों है?
अब जरा सोचिए, बॉलीवुड में जहां युवा सुपर स्टार्स की झोली में कोई खास बड़ी फिल्में देखने को नहीं मिल रही है वहां पिछले तीस पैंतीस सालों से बॉलीवुड में हीरो और सुपर हीरो की भूमिका निभाते जा रहे अक्षय कुमार का पलड़ा आज भी हर मामले में भारी क्यों है? आज इसी प्रश्न का उत्तर खोजने की कोशिश करते हैं कि अक्षय में ऐसा क्या जादू है जो बॉलीवुड प्रेमियों के सर चढ़कर बोल रहा है? अगर गौर किया जाए तो अक्षय कुमार की जीवन गाथा अपने आप में एक फिल्म की तरह है. जिसके प्रत्येक दृश्य में हाड़ तोड़ कड़ी मेहनत, आसमान छूते सपनों का संघर्ष और आखिरकार बॉलीवुड के हर बादशाह, शहंशाह, सिकंदर से अलग एक माहिर खिलाड़ी की कहानी है. 9 सितंबर 1967 को अमृतसर, पंजाब में एक बच्चे का जन्म हुआ. नाम रखा गया राजीव हरिओम भाटिया जो आगे चलकर बना अक्षय कुमार . होश संभालने के पहले ही पूरा परिवार दिल्ली के चांदनी चौक में शिफ्ट हो गए . उनके पिता हरिओम भाटिया एक आर्मी ऑफिसर थे और उनकी माँ अरुणा भाटिया एक गृहिणी. परिवार अमीर नहीं था, लेकिन वे एक-दूसरे से बहुत क्लोज़ली जुड़े हुए और बेहद खुश थे. अक्षय एक ठेठ मध्यमवर्गीय घर में पले-बढ़े थे , जहाँ मूल्य और अनुशासन पैसों से ज्यादा महत्वपूर्ण थे. दिल्ली के चांदनी चौक में अक्षय कुमार के बचपन ने उनके करियर विकल्पों और जीवन के दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मामूली परिस्थितियों के बावजूद, उनका परिवार हमेशा खुश रहता था, हंसता रहता था और छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढता था. इस माहौल ने उनमें कड़ी मेहनत और कृतज्ञता जैसे मूल्य पैदा किए. लाल किले के पास क्रिकेट खेलने और स्ट्रीट फूड का आनंद लेने की उनकी बचपन की यादें उन्हें दिल्ली की जीवंत संस्कृति से जोड़े रखती रही. इन अनुभवों ने उनके जमीनी व्यक्तित्व को आकार दिया और बाद में उन्हें फिल्मों में जमीन से जुड़े किरदार निभाने के लिए प्रेरित किया.
हालाँकि अभिनय उनके शुरुआती सपनों का हिस्सा नहीं था, वे एक बार भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे, लेकिन उनकी परवरिश ने उन्हें किसी भी अवसर को अपनाना और स्वीकार करना सिखाया. सातवीं कक्षा में अच्छा रिजल्ट ना ला पाने और अपने पिता द्वारा उनके भविष्य के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न ने उन्हे महत्वाकांक्षी रूप से, उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में सोचने पर प्रेरित किया. जब उन्होंने उस सोच के दौरान आवेगपूर्ण तरीके से कहा कि वे पढ़ना नहीं चाहते लेकिन कुछ बनना चाहते हैं" तो वो क्षण, एक ऐसी यात्रा की शुरुआत थी जो अंततः उन्हें बॉलीवुड तक ले गई. हालाँकि उस समय वह विशेष रूप से अभिनेता नहीं बनना चाहता था. उनके पिता को कुश्ती और खेल पसंद था. फिटनेस और खेल के लिए पिता का यह प्यार अक्षय को बहुत कम उम्र से ही मिला.
जब अक्षय अभी बच्चे ही थे, तब उनके पिता ने सेना छोड़ दी और यूनिसेफ में एकाउंटेंट की नौकरी कर ली. इस जॉब के चलते पूरा परिवार मुंबई आ गया. कहते हैं मुंबई में एक बार नौकरी मिल सकती है लेकिन घर मिलना बहुत मुश्किल है. किसी तरह सेंट्रल मुंबई के पंजाबी-बहुल इलाके, कोलीवाड़ा में बड़ी मुश्किल से रहने का छोटा सा ठिकाना मिला. वैसे तो जीवन सरल ही था, लेकिन अक्षय हमेशा कुछ न कुछ करने को मचलते रहते थे. वे सदा सक्रिय, ऊर्जा से भरे हुए और खेलों, खासकर मार्शल आर्ट में रुचि रखते थे. उन्होंने माटुंगा में डॉन बॉस्को हाई स्कूल में पढ़ाई की और बाद में गुरु नानक खालसा कॉलेज में दाखिला ले लिया. लेकिन उन्हें पढ़ाई में कभी दिलचस्पी नहीं थी. उनका दिमाग हमेशा एक्शन, थ्रिल, आउटडोर एक्टिविटीज़ और रोमांच पर रहता था, किताबों पर नहीं. अक्षय का असली जुनून मार्शल आर्ट था. उन्होंने आठवीं कक्षा में कराटे सीखना शुरू किया और जल्द ही इसमें बहुत माहिर हो गए. उन्होंने भारत में रहते हुए ही ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट भी हासिल कर ली. लेकिन वह आगे और भी सीखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने पिता को अपने सपने के बारे में बताया.
मार्शल आर्ट के प्रति उनका जुनून देखकर उनके पिता ने उनकी महत्वाकांक्षा का समर्थन किया, लेकिन एक शर्त रखी: अक्षय को विदेश में प्रशिक्षण का अवसर पाने के लिए अपनी बोर्ड परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करना होगा. 63% अंक हासिल करने के बाद, वे बैंकॉक, थाईलैंड चले गए, जहाँ उन्होंने थाई बॉक्सिंग और अन्य मार्शल आर्ट रूपों में महारत हासिल करने में पाँच साल बिताए. उनके पिता, हालांकि अमीर नहीं थे, अपने बेटे के जुनून को समझते थे. किसी तरह से उन्होने बेटे को मार्शल आर्ट सीखने के लिए बैंकॉक, थाईलैंड भेजने का संकल्प करते हुए पर्याप्त पैसे बचाए. अक्षय जब बैंकॉक के लिए रवाना हुए तब वे सिर्फ़ एक किशोर थे . वहाँ जीवन कठिन था. वह एक छोटे से कमरे में रहते थे. अक्षय नहीं चाहते थे कि अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए वो पिता पर बोझ बने. वे वहां अपनी आजीविका चलाने और मार्शल आर्ट सीखने की फीस के लिए एक रेस्तरां में वेटर और शेफ के रूप में काम करने लगे और साथ ही, उन्होंने प्रसिद्ध थाई बॉक्सिंग, मय थाई भी सीखी. उन्होंने थाईलैंड में पाँच साल बिताए. इस बीच उन्होने खुद का ढाबा खोलने का प्लान बनाया. और अपने आइडिया के तहत पंजाबी परांठे बना कर खिलाने लगे. वहां बसे भारतीय लोग टूट पड़े अक्षय के बनाए परांठों पर. उस वक्त उन लोगों क्या पता था कि वे एक भावी विश्व प्रसिद्ध सुपर स्टार के हाथों बनाए गए परांठा खा रहे हैं.
अक्षय दिन में काम किया करते थे और रात में प्रशिक्षण. इस अवधि ने उन्हें कड़ी मेहनत, जीवित रहने के लिए संघर्ष और अनुशासन का मूल्य सिखाया. उन्होंने हर काम का सम्मान करना सीखा, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, और वे उन मुश्किल दिनों को कभी नहीं भूले.थाईलैंड से लौटने के बाद, अक्षय ने कोलकाता में एक ट्रैवल एजेंसी के रूप में काम किया. उन्होने दिल्ली में कुंदन के गहने भी बेचे.
अक्षय ने अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हर तरह के छोटे-मोटे काम किए. लेकिन उनका दिल हमेशा कुछ बड़ा करने पर लगा रहता था. जब वे मुंबई में वापस अपने घर आए, तो उन्होंने छात्रों को मार्शल आर्ट सिखाना शुरू कर दिया. बेहद कम उम्र थी उनकी उस समय लेकिन वे एक अच्छे ट्रेनर थे. उनके छात्र उनका सम्मान करते थे. एक दिन, उनके एक छात्र के पिता, जो एक मॉडल कोऑर्डिनेटर थे, ने अक्षय की हाइट बॉडी और क्षमता देखी तो सुझाव दिया कि वे मॉडलिंग में अपनी किस्मत आजमाएँ. अक्षय को यकीन नहीं था, लेकिन उन्होंने इसे आजमाने का फैसला किया और उनकी बात मान ली. उन्हें एक फर्नीचर शोरूम के लिए अपना पहला मॉडलिंग असाइनमेंट मिला, और उन्हें इस बात पर बेहद आश्चर्य हुआ कि उन्होंने दो दिनों में ही इतना पैसा कमा लिया जितना वे पूरे महीने में नहीं कमा पाते थे. अब अक्षय ने मॉडलिंग को करियर के रूप में गंभीरता से लेना शुरू किया.
लेकिन यह सफ़र इतना आसान नहीं था. बताया जाता है कि अक्षय ने सिर्फ़ अपना पोर्टफोलियो बनवाने के लिए 18 महीने तक फोटोग्राफर जयेश शेठ के असिस्टेंट के तौर पर काम किया, बिना किसी पैसे के. उन्होंने अपना खर्च चलाने के लिए फिल्मों में बैकग्राउंड डांसर के तौर पर भी काम किया. वह अक्सर मुंबई में बड़े बड़े बंगलों और इमारतों के बाहर खड़े होकर अपना फोटो खींचाना पसंद करते थे. एक बार उन्होने फोटोग्राफर जयेश से उनका पोर्टफ़ोलियो बनाने की गुजारिश की. दोनों जुहू के एक पुराने टूटे फूटे बंगले के बाहर खड़े हो गए. अक्षय को फोटोशूट के लिए ये जगह बहुत पसंद आई. वहीं अक्षय पोज़ देने लगा लेकिन तभी बंगले का वाचमैन बाहर आकर चिल्लाने लगा कि यहां फोटो वोटो नहीं खींचना. यह कहकर उसने अक्षय को वहां से भगा दिया. उस समय वाचमैन को भी कहाँ पता था कि जिसे उसने उस बंगले के सामने खड़ा तक होने नहीं दिया, एक दिन वही इस जगह का मालिक होगा. उस वक्त अक्षय को बहुत हर्ट हुआ और उसी क्षण अक्षय ने यह पक्का कर लिया था कि एक दिन वो इस जगह को खरीद कर अपना घर बनाएगा. उन्होंने कभी उम्मीद नहीं खोई. मॉडलिंग ने अक्षय कुमार के लिए मनोरंजन उद्योग में दरवाजे खोले. इस दौरान, उन्होंने अपना नाम राजीव हरिओम भाटिया से बदलकर अक्षय कुमार रखने का फैसला किया - यह नाम उनकी एक फ़िल्म के पसंदीदा किरदार से प्रेरित था.
अक्षय को फिल्मों में उनका पहला ब्रेक संयोग से मिला. एक सुबह, वह एक विज्ञापन शूट के लिए बैंगलोर जाने वाली फ्लाइट पकड़ने से चूक गए. निराशा में वह अपना पोर्टफोलियो लेकर एक फिल्म स्टूडियो में घुस गए. वो नटराज स्टूडियो था जिनके पांच मालिकों में से एक मालिक थे प्रसिद्घ निर्माता निर्देशक प्रमोद चक्रवर्ती. उसी शाम, उन्हें निर्माता प्रमोद चक्रवर्ती ने अपनी फिल्म में मुख्य भूमिका के लिए साइन कर लिया. यहीं से बॉलीवुड में उनके सफ़र की शुरुआत हुई. उन्होंने अपनी पहली स्क्रीन मौजूदगी, फिल्म “आज” में कराटे प्रशिक्षक के रूप में एक छोटी भूमिका की, लेकिन मुख्य अभिनेता के रूप में उनकी शुरुआत 1991 में फिल्म “सौगंध” में हुई. इस फिल्म ने उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, हालांकि अक्षय नोटिस में आए. अक्षय ने हार नहीं माना. उनकी असली सफलता 1992 में फिल्म “खिलाड़ी” के साथ आई . यह फिल्म सुपर हिट रही और यहीं से अक्षय बॉलीवुड के “खिलाड़ी” के रूप में जाने जाने लगे . इस फिल्म से “खिलाड़ी” फिल्मों की एक श्रृंखला शुरू हो गई , जैसे “मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी”, “सबसे बड़ा खिलाड़ी,” और “खिलाड़ियों का खिलाड़ी.”
अक्षय अपनी एक्शन भूमिकाओं के लिए देखते देखते प्रसिद्ध हो गए. अक्षय अपने अधिकांश स्टंट खुद करते थे और आज भी करते हैं. बॉलीवुड के तीनों खान में से अमीर खान को परफेक्शनिस्ट खान, शाहरुख खान को बादशाह खान, सलमान खान को सुल्तान/सिकंदर और अमिताभ बच्चन को शहंशाह पुकारा जाता है. इसी तर्ज पर देखते देखते ही अक्षय कुमार को “खिलाड़ी कुमार” उपनाम दिया गया . लेकिन अक्षय सिर्फ एक एक्शन हीरो नहीं थे. उन्होंने एक रोमांटिककॉम हीरो के रूप में अपनी पारी फ़िल्म, यह दिल्लगी, धड़कन, अजनबी जैसी फिल्मों के साथ खेली. इस पारी के बाद अक्षय उस टाइप के कॉमेडी फिल्मों में अपने जलवे बिखेरने लगे जो उस जमाने में बतौर हीरो कम ही बॉलीवुड एक्टर करने की हिम्मत करते थे. उन्होंने फ़िल्म '“हेरा फेरी” और “फिर हेरा फेरी” जैसी फिल्मों के साथ कॉमेडी में अपनी प्रतिभा साबित की, जो कल्ट क्लासिक्स बन गईं. उन्होंने सभी तरह की फिल्मों में अभिनय करके अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाई- एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा, रोमांस और यहां तक कि थ्रिलर भी.
पिछले तीस पैंतीस वर्षों से ज्यादा सालों में अक्षय कुमार ने 150 से अधिक फिल्मों में काम किया है और वे भारत के सबसे सफल और सबसे ज़्यादा पैसे पाने वाले अभिनेताओं में से एक बन गए हैं. अब हम अपने शुरुआती प्रश्न पर लौटते हैं. अक्षय कुमार पिछले पैंतीस वर्षों से टॉप के हीरो कैसे बने रहें. जवाब है, अनुशासन, फिटनेस और अभिनय, नृत्य, एक्शन के प्रति उनका गहरा समर्पण जो आज तक इंडस्ट्री में मशहूर है. वे सुबह जल्दी यानी भोर साढ़े चार बजे उठते हैं, दैनिक चर्या से फारिग हो कर, कसकर एक्सरसाइज करते हैं. बहुत कम उम्र से ही वे एक सख्त डेली रूटीन का पालन करते हैं और कड़ी मेहनत और ईमानदारी पर विश्वास करते हैं. रात को साढ़े नौ बजे सोना उनके लिए अनिवार्य है चाहे कुछ भी जरूरी काम हो. अक्षय उन गिनती के स्टार्स में से हैं जो हर साल कई हिट फ़िल्में देने के लिए रेकॉर्ड बना चुके हैं. जो बहुत कम अभिनेता कर पाते हैं.
अक्षय की कुछ बेहतरीन और सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली फ़िल्मों में 'मोहरा' , 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी' , 'सबसे बड़ा खिलाड़ी' , 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी' , 'दिल तो पागल है' , 'हेरा फेरी' , 'मुझसे शादी करोगी' , 'गरम मसाला' , 'भूल भुलैया' , 'सिंह इज़ किंग' , 'स्पेशल 26' , 'बेबी' , 'एयरलिफ्ट' , 'रुस्तम' ,' ओ एम जी' "टॉयलेट: एक प्रेम कथा',' पैडमैन' और' केसरी' शामिल हैं. इन पैंतीस सालों की उनकी फ़िल्मोंग्राफी में न केवल मनोरंजक और थ्रिलिंग फिल्में हैं, बल्कि उनकी बहुत सारी फिल्में विचारोत्तेजक और सामाजिक रूप से प्रासंगिक भी हैं. उदाहरण के लिए,' टॉयलेट: एक प्रेम कथा', ग्रामीण भारत में स्वच्छता और खुले में शौच के मुद्दे से निपटती है, जबकि "पैडमैन" स्त्रियों के मासिक धर्म स्वच्छता और वर्जनाओं को तोड़ने की कहानी कहती हैं . उनकी एक बहुचर्चित फ़िल्म 'एयरलिफ्ट', खाड़ी युद्ध के दौरान कुवैत से भारतीयों को निकालने की सत्य कहानी कहती है, उनकी फ़िल्म ' मंगल मिशन' भी विचारोत्तेजक कहानी पर आधारित है और "केसरी" सारागढ़ी की लड़ाई में सिख सैनिकों की बहादुरी को रेखांकित करती है. इन फिल्मों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है और कई महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को भी सुर्खियों में ले आई है.
देखा जाय तो अक्षय कुमार का निजी जीवन, उनके प्रोफेशनल करियर सफर जितना ही रोचक है. जाहिर तौर पर बॉलीवुड में कई खूबसूरत नायिकाओं के साथ काम करते हुए उनका नाम उस ज़माने के कई टॉप नायिकाओं के साथ जुड़ा जरूर लेकिन 2001 में, उन्होंने दिग्गज अभिनेता राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया की बेटी ट्विंकल खन्ना से शादी करके उन सारी रोमैंटिक अफवाहों और गप्पों को खारिज कर दिया. ट्विंकल न केवल खुद एक जानी मानी अभिनेत्री हैं, बल्कि उससे भी ज्यादा वे एक सफल लेखिका, व्यंग्यकार (फनी बोंस) और इंटीरियर डिजाइनर भी हैं. बॉलीवुड में जहां दो कलाकारों के बीच होने वाली शादियां अक्सर चार दिन की चांदनी मानी जाती है वहीं इन दो प्रसिद्ध हस्तियों की शादी अपनी स्थिरता और आपसी सम्मान के लिए मेड फॉर ईच अदर जोड़ी माना जाता है. अक्षय अक्सर कहते हैं कि ट्विंकल उनकी सबसे अच्छी दोस्त और सबसे बड़ी मॉरल सपोर्ट और पिलर ऑफ स्ट्रेंथ हैं. वह उनकी लेखन और संपादन में मदद करते हैं, और सबसे बड़ी बात है कि वह हर मुश्किल समय में उनके साथ खड़ी रहती हैं. उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा जिसका नाम आरव है और एक बेटी जिसका नाम नितारा है. लोग पूछते हैं कि बेटा आरव का सर नेम भाटिया है जबकि उसकी छोटी बहन नितारा को नितारा राजेश खन्ना क्यों पुकारा जाता है? दरअसल ट्विंकल अपने पिता और अक्षय अपने ससुर राजेश खन्ना को बहुत प्यार करते थे. राजेश खन्ना के अकाल मृत्यु हो जाने पर दोनों ने उनके सम्मान में अपनी बेटी का नाम नितारा राजेश खन्ना रखा. शादी के बाद अक्षय की फिर कभी किसी एक्ट्रेस के साथ कोई अफ़ेयर की अफवाह नहीं उड़ी. वे एक समर्पित पारिवारिक व्यक्ति बने रहे. अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद, वह हमेशा अपने परिवार के लिए समय निकालते हैं. उनका मानना है कि अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज है.
कोलीवाड़ा के एक छोटे से घर से लेकर मुंबई में आलीशान बंगलों और फ्लैटों के मालिक बनने तक का अक्षय का सफर एकदम जैसे सपनों के सच होने की कहानी है. वह कभी इन्हीं इमारतों के बाहर खड़े होकर बेहतर जीवन का सपना देखते थे, किसी आलीशान बंगले के सामने बने पत्थरों पर बैठते थे और आज वे उसी बंगले और फ्लैट के मालिक हैं. चांदनी चौक से लेकर फोर्ब्स के वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक बनने तक का उनका सफ़र कड़ी मेहनत, दृढ़ता और विनम्र स्वभाव की एक प्रेरक कहानी है.लेकिन वह अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते और अक्सर अपने संघर्षों और कैसे उन्होंने अपने को मजबूत बनाया, के बारे में बात करते हैं.
अक्षय कुमार ने अक्सर दिल्ली के चांदनी चौक में अपने बचपन की यादें साझा की हैं, जहाँ वे 24 परिवार के सदस्यों के साथ एक छोटे से घर में रहते थे. मिडिल क्लास स्थिति में रहने के बावजूद, वे इसे आनंद और एक साथ मिलजुल रहने के खुशहाल और जीवंत समय के रूप में याद करते हैं. जब परिवार का कोई सदस्य व्यायाम या किसी अन्य काम के लिए सुबह सुबह उठता था, तो अक्सर कमरे से बाहर निकलने के लिए एक-दूसरे के ऊपर से कूदता था. उनका भोजन सादा था, दाल चावल, जीरा आलू, भिंडी, गोभी, राजमा - लेकिन वे संतुष्ट और आनंदित थे. वे सब अपनी अपनी जरूरतों की चीज़ों में से थोड़ा कटौती करके पैसा बचाते थे और साप्ताहिक मूवी आउटिंग के लिए जाते थे जो मामूली परिस्थितियों में भी सिनेमा के प्रति उनके प्यार को दर्शाता है. अक्षय दिल्ली के सिनेमाघरों में 'अमर अकबर एंथनी' जैसी फिल्में देखने के बारे में भी याद करते हैं, कभी-कभी यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह कोई फिल्म मिस न कर दें, टिकट ब्लैक में खरीदते हैं. वह चांदनी चौक के भोजन की संस्कृति को बड़े चाव से याद करते हैं, विशेष रूप से कचौड़ी, परांठे और आम आइसक्रीम, जिसका आनंद वह अभी भी अपने बचपन के घर जाने पर लेते हैं. वह इस बात पर अचंभित हैं कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में कितने कम बदलाव हुए हैं, जिसने अपना आकर्षण और सादगी बरकरार रखी है. ये यादें उनकी जड़ों से उनके गहरे लगाव और उन प्रारंभिक वर्षों के दौरान दिए गए मूल्यों को दर्शाती हैं. अपनी मेहनत, लगन और धीरज के साथ उन्होने जो हासिल किया अब वह समाज को वही सब वापस देने में विश्वास करते हैं.वे कई धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल हैं. अक्षय कुमार स्त्रियों और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सैनिकों तथा उनके परिवारों के कल्याण को बढ़ चढ़ कर सपोर्ट करते हैं और उसपर समय निकालकर काम करते हैं. बिना किसी शोर शराबा और बिना किसी तमगे के अक्षय एक सच्चे देशभक्त का काम करते जा रहे हैं. समाज कल्याण तथा उपकार करने वाली कला में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री भी मिला है.
अक्षय कुमार सिर्फ एक खिलाड़ी सुपरस्टार नहीं हैं बल्कि लाखों लोगों के लिए वे प्रेरणा भी हैं. अक्षय का जीवन हमें सिखाती है कि कड़ी मेहनत, अनुशासन और ईमानदारी से कोई भी सपना सच हो सकता है. बैंकॉक में एक शेफ से लेकर बॉलीवुड के “खिलाड़ी” तक के अपने सफर पर उन्हें गर्व है और वह हर दिन लोगों का मनोरंजन और प्रेरणा देते रहते हैं. उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि आप चाहे कहीं से भी शुरू करें, यह आपका समर्पण और दृष्टिकोण ही तय करता है कि आप कहां पहुंचेंगे. अक्षय ने इंटरव्यू के दौरान कहा था, "सफलता सिर्फ शोहरत और पैसे से नहीं बल्कि अपने मूल्यों के प्रति सच्चे रहने, अपने परिवार से प्यार करने और अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ने से मिलती है."
हाल के वर्षों में अपने करियर में उतार-चढ़ाव का सामना करने के बावजूद, मनोरंजक और सार्थक सिनेमा देने के लिए उनका समर्पण अटूट है. पिछले कुछ वर्षों में, अक्षय इंडस्ट्री के सबसे व्यस्त अभिनेताओं में से एक रहे हैं, जो लगातार सालाना कई फ़िल्में रिलीज़ करते हैं. जबकि इनमें से कुछ फ़िल्मों ने बॉक्स ऑफ़िस पर संघर्ष किया है, बाकी फिल्मों ने उन्हे एक ऐसे स्टार के रूप में उनकी स्थिति को रेखांकित किया जो एवरग्रीन है और सदा भरोसेमंद है. आगे की ओर देखते हुए, अक्षय कुमार के पास 2025 के लिए कई रोमांचक फ़िल्में हैं जो अलग अलग शैलियों को अपनाने की उनकी क्षमता को दर्शाती हैं. उनकी आने वाली फिल्मों में बहुप्रतीक्षित सीक्वल 'केसरी 2' है, जो सी. शंकरन नायर के जीवन पर आधारित है, जो एक वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह ऐतिहासिक ड्रामा अप्रैल 2025 में रिलीज़ होने वाला है और इसमें आर. माधवन और अनन्या पांडे जैसे स्टार-स्टडेड कलाकार हैं.
अक्षय 'हाउसफुल 5' के साथ अपनी कॉमेडी जड़ों की ओर भी लौटेंगे, जो अपने हास्य और धमाल भरी धमाकचौड़ी के लिए जानी जाने वाली लोकप्रिय फ्रैंचाइज़ी की नवीनतम किस्त है. जून 2025 में रिलीज़ के लिए निर्धारित, यह फिल्म रितेश देशमुख, अभिषेक बच्चन, संजय दत्त और जैकलीन फर्नांडीज जैसे कलाकारों के साथ हंसी का दंगा कराने का वादा करती है. उनके फैंस, 'जॉली एलएलबी 3' के लिए भी बहुत उत्साहित हैं, जिसमें अक्षय सामाजिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों से निपटने वाले एक मजाकिया वकील की अपनी भूमिका को दोहराते हैं. यह कोर्टरूम ड्रामा सितंबर 2025 में सिनेमाघरों में आने की उम्मीद है. कॉमेडी प्रेमियों के लिए दिसंबर 2025 में रिलीज़ होने वाली 'वेलकम 3' का भी बेसब्री से इंतज़ार कर सकते हैं. दिशा पटानी और संजय दत्त जैसे सितारों के साथ अक्षय की केमिस्ट्री वाले मज़ेदार ट्विस्ट और शानदार मनोरंजन की एक और खुराक सुनिश्चित करता है. अन्य उल्लेखनीय परियोजनाओं में 'वेदत मराठे वीर दौडले सात' शामिल हैं, जहाँ अक्षय ने मराठी महाकाव्य में छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमिका निभाई है, और 'कन्नप्पा' , एक तेलुगु फ़िल्म जिसमें उन्होंने भगवान शिव की भूमिका निभाई है. अक्षय की हालिया फ़िल्में व्यावसायिक सफलता को सामाजिक रूप से प्रभावशाली कहानी कहने के साथ संतुलित करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं. एक और फिल्म 'OMG 2' (सेक्स एजुकेशन पर केंद्रित) और 'मिशन रानीगंज' (एक रेस्क्यू ड्रामा) जैसी फ़िल्में दर्शकों को आकर्षित करते हुए महत्वपूर्ण विषयों को संबोधित करने की उनकी क्षमता को उजागर करती हैं.
उनकी बहुमुखी प्रतिभा इस बात से झलकती है कि वे एक्शन से भरपूर ड्रामा, हल्की-फुल्की कॉमेडी और विचारोत्तेजक कहानियों के बीच सहजता से बदलाव करते हैं. अभिनय के अलावा, अक्षय कुमार अपने समझदारी भरे निवेश के लिए भी जाने जाते हैं. हाल ही में, उन्होंने मुंबई के ओबेरॉय स्काई सिटी में दो अपार्टमेंट को अति प्रभावशाली रिटर्न पर बेचकर सुर्खियाँ बटोरीं, जिससे उनकी व्यावसायिक सूझबूझ का पता चलता है. अक्षय की आने वाली फ़िल्में बॉलीवुड के सबसे स्थायी सितारों में से एक के रूप में उनकी जगह को मज़बूत करने के लिए तैयार हैं. चाहे वह एक्शन हो, कॉमेडी हो या सामाजिक रूप से प्रासंगिक ड्रामा, वे अपने समर्पण और करिश्मे से दर्शकों को आकर्षित करना जारी रखते हैं. प्रशंसक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं कि यह “खिलाड़ी” अगली बार बड़े पर्दे पर क्या लेकर आएगा.
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