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प्रधानमंत्री मोदी “रफी साहब की आवाज़ दिलों को छूने वाली है”

ताजा खबर: ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रफी साहब की आवाज को अद्वितीय बताया. इस दौरान उन्होंने कहा, “मोहम्‍मद रफी साहब की आवाज़ में एक ऐसा जादू था.

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Prime Minister Modi Rafi sahab
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बीसवीं सदी के विश्वप्रसिद्ध महान कवि ‘फेदेरिको गार्सिया लोर्का’  की एक कविता की कुछ पंक्तियां हैं –

आवाज़, चाहे कुछ बाकी ना रहे आवाज़ के सिवा

यह पंक्तियां भारतीय उपमहाद्वीप में सुरों के सम्राट और सदी के सबसे महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफ़ी पर एकदम सटीक बैठती है. रफ़ी साहब के प्रशंसक देश ही नहीं विदेश में भी फैले हुए है. इन्हीं प्रशंसकों में से एक हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी है. हाल ही में उन्होंने अपने रेडियो शो ‘मन की बात’ में रफी साहब का जिक्र किया. 

पीएम ने रफी साहब की आवाज को अद्वितीय बताया

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‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रफी साहब की आवाज को अद्वितीय बताया. इस दौरान उन्होंने कहा, “मोहम्‍मद रफी साहब की आवाज़ में एक ऐसा जादू था जो हर दिल को छू जाता था. उनकी आवाज़ अद्वितीय थी. चाहे भक्ति गीत हों या रोमांटिक गीत, या फिर दर्द भरे गीत, रफी साहब ने हर भावना को अपनी आवाज़ से जीवंत कर दिया. एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा पीढ़ी उनकी आवाज़ को उतनी ही शिद्दत से सुनती है. यही तो है कालातीत कला की पहचान.” 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बिल्कुल सही कहा है कि मोहम्‍मद रफी साहब की आवाज में वह सब गुण है, जो एक गायक को महान गायक की श्रेणी में लाता है. चाहे वह रोमांस, विरह, हास्य, देशभक्ति, धार्मिक, मदहोशी, स्वयं-साक्षात्कार या फिर दिल का टूटना हो, रफी साहब की आवाज हर रूप में छायी है. 

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रोमांस- मोहम्‍मद रफी की आवाज में एक अलग ही मोहब्बत थी. उनके इन गानों में इसकी झलक देखने को मिलती है. ‘आप के हसीन रुख पे आज नया नूर है,  फिल्म- बहारें फिर भी आयेंगी, 1966), मुझे देखकर आप का मुस्कुराना, एक मुसाफिर एक हसीना, 1962) और यह चाँद सा रोशन चेहरा, (कश्मीर की कली, 1964).

विरह- रफी साहब विरह का दुःख भी भली- भाति पेश करते हैं. उनके इन गानों में यह दिखता है. ओ दूर के मुसाफिर, हम को भी साथ ले ले (उड़न खटोला, 1955) , चल उड़ जा रे पंछी,  भाभी, 1957) और बाबुल की दुआएं लेती जा, (नीलकमल, 1968). 

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हृदय-विफलता- टूटे दिल का दर्द क्या होता है यह रफी साहब के गानों से ही जाना जा सकता है. इनके इन्हीं गानों को देख लीजिए. टूटे हुए ख्वाबों ने हम को यह सिखाया है, (मधुमति, 1958), मैं यह सोचकर उसके दर से उठा था (हक़ीक़त, 1964) और दिन ढल जाये हाय, रात ना जाये (गाइड, 1965).

 हास्य- लोगों को संगीत के माध्यम से कैसे हंसाया जाता है, यह रफी साहब अच्छी तरह से जानते थे. उनके इन गानों में इसकी झलक दिखती है.  यह है बॉम्बे, मेरी जान (C.I.D, 1956), सर जो तेरा चकराए, प्यासा, 1957) और ईंट की दुक्की, पान का इक्का (हावड़ा ब्रिज 1958).

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मदहोशी- बॉलीवुड फिल्मों में हीरो को मदिरा पीकर गाते हुए बहुत दिखाया गया है. इन गानों में यही देखने को मिलता है. मुझे दुनिया, शराबी ना समझो, (लीडर, 1964), महफ़िल से उठ जाने वालों, तुम लोगों पर क्या इल्ज़ाम, (दूज का चाँद, 1964) और कोई सागर दिल को बहलाता नहीं, दिल दिया दर्द लिया, 1966).

स्वयं-साक्षात्कार- जाग दिल-ए-दिवाना, (ऊँचे लोग, 1965), आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ ना दे, (दिल दिया दर्द लिया, 1966) और याहू! चाहे कोई मुझे जंगली कहे, (जंगली, 1961). ये गाने व्यक्ति के स्वयं-साक्षात्कार को अभिव्यक्त करते हैं. 

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धार्मिक- ऐसा नहीं है कि रफी जी सिर्फ रोमांटिक और दुःख भरे गाने गाते थे, उन्होंने कई धार्मिक गाने भी गाये हैं जैसे- मन तरपत हरि दर्शन को आज, (बैजू बावर, 1952), परवरदिगार-ए-आलम, तेरा ही है सहारा, (हातिम ताई, 1956) और मन रे, तू कहे ना धीर धरे, चित्रलेखा, 1964). 

देशभक्ति- रफी साहब सर्वगुण संपन्न थे. उन्होंने कई देशभक्ति गीत भी गाए जैसे- यह देश है वीर जवानों का ( नया दौर, 1957) , अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं, लीडर, 1964) और आवाज़ दो हम एक हैं, (भारत- चीन युद्ध के समय गया गया गीत, 1962).

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एक व्यक्ति में इतनी सारी अलग-अलग भावनाओं को आत्मसात करने की क्षमता होना अदभूद है. उनकी क्षमता इतनी विविध मानवीय भावनाओं को एक साथ जोड़ने की थी कि वह अपने युग के अन्य गायकों से नहीं, बल्कि सभी समयों के गायकों से कहीं ऊँचे खड़े थे. यहाँ ये कहना जरा भी गलत नहीं होगा कि मोहम्‍मद रफी उस एक दीपक के समान है, जिसके बुझने के बाद भी संगीत का जहान रोशन है.

 
मोहम्‍मद रफी साहब ने अपने समय के सभी महान संगीतकारों के साथ काम किया है. उन्होंने दिलीप कुमार, शम्मी कपूर,  देव आनंद, बलराज साहनी, धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन,  राजेश खन्ना और जॉनी वॉकर समेत कई दिग्गज कलाकारों को अपनी आवाज दी है. कुल मिलाकर  मोहम्‍मद रफी ने 13 भारतीय और 7 विदेशी भाषाओं में लगभग 7,000 गाने गाए है. आज रफी साहब हमारे बीच नहीं है, लेकिन हमारे बीच है उनकी सदा अमर रहने वाली आवाज. 

By- Priyanka Yadav

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