रेटिंग - तीन स्टार
निर्माताः कैविन फैगी
लेखक: रयान रेनॉल्ड्स, रहेट रीस, पॉल वरनिक, जेब वेल्स और शॉन लेवी
निर्देषक: शॉन लेवी
कलाकार: रयान रेनॉल्ड्स, ह्यू जैकमैन, एम्मा कोरिन, मैथ्यू मैकफेयदेन, जॉन फैवेरियू, मोनिका बकारिन, रॉब डेलाने, लेसली उग्गम्स, एऱन स्टैनफोर्ज और करन सोनी
अवधि: दो घंटे सात मिनट
श्रेणी: 'ए' वयस्क
जब "डेडपुल" की मूल फिल्म 2016 में आयी थी,तो वह आत्म हीन हास्य, अच्छी तरह से कोरियोग्राफ किए गए एक्शन दृश्यों और दिल की आश्चर्यजनक मात्रा का संयोजन से युक्त हवा का ताजा झोंका थी। 2018 में प्रदर्शित डेडपूल 2" में भी यह सब था,जिसने लोगों को अपना दीवाना बना लिया था। लेकिन अब पूरे छह साल बाद जब डेडपूल का तीसरा भाग "डेडपुल एंड वुल्वरिन' आयी है,तो इसमें वह जादू गायब है। यॅूं तो मार्वल भी इन दिनों संघर्ष ही कर रहा है। तभी तो इसमें डेडपूल (रयान रेनॉल्ड्स) के साथ 'एमसीओ' के लोगन उर्फ वूल्वरिन( ह्यू जैकमैन ) को भी जोडा गया है। पर वह बात नही बनी,जो पिछली दो फिल्मों में थी.कहानी कं स्तर पर भी यह कमजोर फिल्म है। हां! अगर आप अष्लील,भूहड़,अभद्र जोक्स या गाली गलौज सुनने,अति हिंसा,खून खराबा,नग्नता देखने के षौकीन है,तो आपको आनंद आएगा।
कहानी:
डेडपूल 2 के बाद हीरो यानी कि डेडपूल (रेयान रेनॉल्ड्स) ने एवेंजर्स में शामिल होने की कोशिश की, पर अस्वीकार कर दिया गया,तो वह अपने जीवन के प्यार से निराश हो गया और अपने दोस्त पीटर (रॉब डेलाने) के साथ पुरानी कारों को बेचना षुरू कर दिया। पर तभी अलग अलग कालखंडों में और अलग अलग धरतियों पर हो रही घटनाओं पर नजर रखने वाली टाइम वैरिएंस अथॉरिटी (टीवीए) और मल्टीवर्स एजेंसी इस बार डेडपूल को उठा ले जाती है। और डेडपूल (रयान रेनॉल्ड्स ) को उसके रेट्रोफ्यूचरिस्टिक कार्यालयों में ले जाती है, तो उसे अचानक जीने का एक नया कारण दिया जाता है कि उसे उसके ब्रह्मांड और उसमें रहने वाले लोगों को बचाना है। डेडपूल, वूल्वरिन (ह्यू जैकमैन )को अपने साथ जोड़कर एक मल्टीवर्स- होपिंग साहसिक कार्य पर निकलता है। यह जोड़ी अंततः 'शून्य' (मल्टीवर्स के अस्वीकृतों के लिए एक लैंडफिल) में पहुंचती है, जहां कैसेंड्रा नोवा (एम्मा कोरिन) सुपरविलेन अस्वीकृतों के मैड मैक्स-एस्क क्रू पर शासन करती है, जबकि भूले हुए सुपरहीरो की रैगटैग टीम प्रतिरोध का नेतृत्व करती है। यह सब एक नहीं बल्कि दो बड़े टकरावों की ओर ले जाता है। कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं। फिर डेडपूल और वूल्वरिन पूरे मार्वल मल्टीवर्स को बचाने के लिए दौड़ लगाते हैं।
रिव्यू:
मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स और इसके निर्देशक शॉन लेवी के दृश्य और कथात्मक बोझ दोनों के कारण रुकी हुई महसूस होती है,पर स्पष्ट रूप से हास्य को बढ़ाती है। लेकिन कभी भी एक महान लड़ाई के दृश्य के आसपास अपना रास्ता नहीं खोज पाता है। फिल्म टुकड़ो टुकड़ो में ही अच्छी लगती है। पूरी फिल्म के तौर पर मजा नहीं आता। फिल्म के षुरू के तीस मिनट कमाल के हैं। यूं लगता है कि डेडपुल ने कत्लों का रिकॉर्ड तोड़ने का प्रण कर लिया है। इतना खून खराबा परदे पर मचता है लेकिन दर्शक उसमें भी मजे लेते दिखते हैं। वीभत्स, रौद्र, वीर और भयानक सारे रस एक दूसरे में गुत्थमगुत्था होते जाते हैं और बीच बीच में हास्य का छौंका माहौल को महकाए रखने की पूरी कोशिश करता है। फिर 25 - तीस मिनट का क्लायमेक्स भी जबरदस्त है, मगर कहानी के अभाव के चलते बीच में जबरन हास्य, अष्लील जोक्स व एक्षन से हुए लगते है। फिल्म 'डेडपूल एंड वूल्वरिन' में डेडपूल की हरकतें 'एलजीबीटीक्यू' के ही किस्सों की याद दिलाती है। संवादों के नाम पर जमकर गालियां परोसी गयी हैं। जी हा! मार्वल फिल्मों की पहचान मजाकिया फिल्मों की रही है, जहां आप पूरे समय हंसी-मजाक करते हैं, लेकिन थिएटर छोड़ने के पांच मिनट बाद सभी चुटकुले भूल जाते हैं। मगर 'डेडपूल' ने अलग पहचान बनायी, मतलब इसमें फूहड़, अष्लील, अभद्र गालीगलोज वाले जोक्स ही हैं। डेडपूल और वूल्वरिन कोई अपवाद नहीं हैं। रयान रेनॉल्ड्स ने पिछले कुछ वर्षों में इस शैली को स्पष्ट रूप से निखारा है (इस फिल्म में वह जो कुछ करते नजर आए हैं, वह कहीं न कहीं डेडपूल-लाइट की ही याद दिलाते हैं। फिर इस बार भी उन्हें अपने चहेते निर्देषक शॉन लेवी का साथ मिला, जिनके साथ वह पहले 'फ्री गॉय' और 'द एडम प्रोजेक्ट' जैसी फिल्में कर चुके हैं। यह अलग बात है बतौर निर्देशक शॉन लेवी ने रयान रेनोल्ड्स के साथ अपनी इस तीसरी फिल्म में 'रीयल स्टील' माफिक ह्यू जैकमैन को भी जोड़ा है। डेडपूल और वूल्वरिन की केमिस्ट्री कमाल है। दोनों की जोड़ी जय-वीरू जैसी नजर आती है। दोनों 'खून' बहाने मे ही ज्यादा यकीन करते हैं।
'डेडपूल' और 'डेडपूल 2' में कहानी के केंद्र में वैनेसा (मोरेना बैकारिन) के साथ डेडपूल के रिश्ते थे, क्योंकि उसे प्यार हो गया था, उसने उस प्यार के योग्य महसूस करने के लिए संघर्ष किया और फिर उसे जीवन में वापस लाने के लिए स्थान और समय के नियमों को तोड़ दिया। मगर तीसरी किष्त 'डेडपूल और वूल्वरिन' ने उस रिश्ते को लगभग पूरी तरह से किनारे कर दिया गया। फिल्म की कहानी कुछ मामलों में बिखरी हुई और अप्रासंगिक है।
एक्षन द्रश्य बहुत अच्छे नही कहे जा सकते। जबकि कहानी की बजाय फिल्म की लंबाई महज कुछ बड़े एक्शन दृश्यों के इर्द-गिर्द रखकर ही बढ़ाई गयी है। वूल्वरिन बनाम डेडपूल की लड़ाई के द्रश्य अच्छे हैं। जब एक बार डेडपूल और वुलवरिन एक टीम बनकर खलनायक के गढ़ पर हमला शुरू करते हैं, तो ऐसा लगता है कि हमें एक क्लासिक एवेंजर्स लड़ाई का दृश्य देखने को मिलेगी? पर अफसोस ऐसा नही होता। सीजीआई व वीएफएक्स पर निर्देषक की निर्भरता के चलते यह लाइव-एक्शन फिल्म की तुलना में एक वीडियो गेम जैसी दिखती है। कुल मिलाकार निर्देशक शॉन लेवी की कॉमेडी निर्देशन पर मजबूत पकड़ है, लेकिन एक्शन के मामले में वह कमजोर साबित हुए है। निर्देषक की अपनी कमियों के चलते यह फिल्म एक मजाक बनकर रह गयी है। काष फिल्मकार ने कहानी पर ध्यान दिया होता।
सुपरहीरों के प्रषंसकों को यह फिल्म देखनी चाहिए, मगर परिवार के साथ नहीं..
एक्टिंग:
डेडपूल के किरदार में रयान रेनॉल्ड्स और वूल्वरिन के किरदार में जैकमैन का अभिनय षानदार है। रयान रेनाॅल्ड्स की हरकतें चरित्र पर पूरी तरह से फिट बैठती हैं। वह बहुत ही प्रफुल्लित करने वाला है और उसकी चेतना की धारा वाली कॉमेडी बहुत प्रभावी है।
ह्यू जैकमैन को उस भूमिका में वापस देखना, जिसने उन्हें लोकप्रियता दी,अच्छा लगता है। जैकमैन भले ही लोगन से बाहर हो गए हों, लेकिन डेडपूल और वूल्वरिन में उनके बड़े होने पर भी भूमिका निभाते रहने का मामला बनाते हैं। मिस्टर पैराडॉक्स के किरदार मैथ्यू मैकफैडेन का अभिनय साधारण हैं। वैसे लेखक ने इस किरदार के साथ न्याय नही किया। चाल्र्स की बहन कैसेंड्रा नोवा के किरदार में एम्मा कोरिन अच्छी हैं, पर उनके किरदार को भी ठीक से गढा नहीं गया।
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