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फिल्म: Chhaava
डायरेक्टर: लक्ष्मण उतेकर
कास्ट: विक्की कौशल, रश्मिका मंदाना, अक्षय खन्ना, आशुतोष राणा, दिव्या दत्ता, विनीत कुमार सिंह, डायना पेंटी
अवधि: 161 मिनट
रेटिंग: 4
Chhaava Movie Review: 'Chhaava' की पहली झलक से ही साफ हो जाता है कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज के शौर्य की गूंज है. विक्की कौशल की दमदार स्क्रीन प्रेजेंस और लक्ष्मण उतेकर का भव्य निर्देशन इसे एक ऐतिहासिक सिनेमाई अनुभव बना देता है. यह फिल्म बलिदान, विश्वासघात और साहस की एक महाकाव्यात्मक कहानी कहती है, जिसमें हर सीन आपको रोमांचित कर देगा. भव्य युद्ध दृश्य, दिल दहला देने वाली घटनाएं और शानदार एक्शन इसे बड़े पर्दे पर देखने लायक बनाते हैं.
इस फिल्म में विक्की कौशल सिर्फ एक किरदार नहीं निभाते, बल्कि एक योद्धा की आत्मा को जीते हैं. हर सीन में उनकी मौजूदगी इतनी सुंदर है कि वह पर्दे पर पूरी तरह छा जाते हैं. उनका अभिनय आपको जोश और गर्व से भर देता है. खासकर जब कहानी अपने भावनात्मक मोड़ पर पहुंचती है, तो विक्की की अदाकारी आपके दिल की धड़कनें तेज कर देती है.
‘Chhaava’ में रश्मिका मंदाना ने महारानी येसूबाई का किरदार सिर्फ निभाया नहीं, बल्कि उसे जिया है. उनकी खूबसूरती के साथ-साथ उनकी दृढ़ता, प्रेम और बुद्धिमत्ता हर सीन में झलकती है. येसूबाई सिर्फ एक रानी नहीं थीं, बल्कि संभाजी महाराज की सबसे मजबूत आधार थीं, और रश्मिका ने इस किरदार को उसी शिद्दत से पर्दे पर उतारा है. यह किरदार सिर्फ संभाजी के जीवन की एक छवि नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र योद्धा का प्रतीक है, जो हर मुश्किल में अपने राजा का साथ निभाती हैं.
अक्षय खन्ना का औरंगज़ेब किसी भी आम खलनायक की तरह चीखता-चिल्लाता नहीं, बल्कि एक ठहराव के साथ डर को परिभाषित करता है. उनकी आँखें, उनका सधा हुआ अंदाज और उनकी चुप्पी – यही सबसे बड़ा हथियार है. वह पर्दे पर आते ही एक अजीब सा तनाव भर देते हैं, जैसे कुछ भयानक होने वाला है. उनके किरदार में क्रूरता और राजनीति का ऐसा घातक मिश्रण है कि दर्शक खुद को उनकी ओर से नजरें हटाने में असमर्थ पाते हैं. संवाद कम हैं, मगर हर एक्सप्रेशन में इतनी गहराई है कि उनकी खामोशी भी धमाके से कम नहीं लगती.
‘Chhaava’ सिर्फ अपनी कहानी और भव्यता के लिए ही नहीं, बल्कि अपने बेहतरीन कलाकारों के लिए भी खास है. आशुतोष राणा ने सरलष्कर हंबीरराव मोहिते के रूप में मराठा सेना के साहस और रणनीतिक कौशल को प्रभावी तरीके से जीवंत किया है. उनकी अदाकारी दृढ़ता और संकल्प की मिसाल पेश करती है. दूसरी ओर, दिव्या दत्ता ने राजमाता के रूप में इतनी सूक्ष्मता और गहराई से किरदार निभाया है कि दर्शक उनके इरादों को समझने के लिए हर सीन पर गौर करने लगते हैं. विनीत कुमार सिंह ने कवी कलश के रूप में फिल्म में एक भावनात्मक स्पर्श जोड़ा है, जिससे कहानी में संवेदनशीलता बनी रहती है. वहीं, डायना पेंटी, औरंगज़ेब की बेटी जीनत-उन-निस्सा बेगम के किरदार में रहस्यमयी आकर्षण लेकर आती हैं, जिससे फिल्म की कहानी और ज्यादा दिलचस्प हो जाती है. इन सभी कलाकारों की दमदार परफॉर्मेंस ‘Chhaava’ को एक ऐतिहासिक महाकाव्य बना देती है.
इस फिल्म के एक्शन सीक्वेंस इसकी आत्मा हैं, और हर युद्ध दृश्य एक नई कहानी कहता है. ध्यान से रची गई कोरियोग्राफी और शानदार सिनेमैटोग्राफी ने इन सीन्स को सिर्फ भव्य नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक महाकाव्य में बदल दिया है. जबरदस्त रणनीतियों, गोरिल्ला युद्ध तकनीकों और युद्ध कौशल से भरे ये सीक्वेंस रोमांच को चरम पर पहुंचा देते हैं. फिल्म में चार बड़े वॉर सीन्स को इतनी खूबसूरती से फिल्माया गया है कि हर अगला दृश्य, पहले से अधिक शक्तिशाली और प्रभावी लगता है.
फिल्म का असली जादू इसकी रणनीतिक लड़ाइयों और बारीकियों से भरी रणनीतियों में छिपा है. संख्या में कम होने के बावजूद मराठा योद्धा अपनी चतुराई और तेज़ सोच से दुश्मन को मात देने में माहिर साबित होते हैं. फिल्म में एक सीन में जब जीनत (डायना पेंटी) कहती हैं, "हमारे यहां सैनिकों से ज्यादा बावर्ची हैं," तो यह मुगलों की विशाल लेकिन असंगठित सेना और मराठाओं की सीमित लेकिन अनुशासित टुकड़ी का फर्क साफ कर देता है. युद्ध सिर्फ तलवारों से नहीं, बल्कि तेज दिमाग से भी जीते जाते हैं—और फिल्म इसे बेहतरीन अंदाज में दिखाती है.
फिल्म का संगीत महज ध्वनि नहीं, बल्कि हर सीन की आत्मा है. गहरे भावनात्मक पलों में यह संगीत मन को छू लेने वाली धुनों से कहानी को और प्रभावशाली बनाता है, तो वहीं युद्ध के दृश्यों में इसकी गूंज रगों में जोश भर देती है. हर नोट, हर बीट फिल्म की गहराई और भव्यता को और ऊंचा उठा देती है.
फिल्म की सबसे झकझोर देने वाली घड़ी वह है, जब औरंगज़ेब संभाजी महाराज पर अमानवीय अत्याचार करता है. यह केवल एक युद्ध का अंत नहीं, बल्कि एक ऐसे योद्धा की परीक्षा है, जो दर्द सहते हुए भी अपने सम्मान को नहीं छोड़ता. यह दृश्य इतना भावनात्मक रूप से तीव्र है कि देखने वाले की आंखें नम हो जाती हैं और दिल भारी हो जाता है.
‘Chhaava’ सिर्फ तलवारों की टकराहट और युद्ध की कहानियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस भावना को जीवंत करता है, जिसने मराठाओं को अजेय बनाया. फिल्म की भव्यता, रोमांचक एक्शन और गहरी भावनाएं इसे एक यादगार सिनेमाई अनुभव बनाती हैं. अगर आप वीरता और बलिदान की कहानियों से प्रेरित होते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए ही बनी है.
दिनेश विजन द्वारा निर्मित ‘Chhaava’ सिर्फ एक ऐतिहासिक फिल्म नहीं, बल्कि एक सिनेमैटिक मास्टरपीस है. मैडॉक फिल्म्स ने इस फिल्म में ऐतिहासिक गहराई और आधुनिक कहानी कहने के अंदाज को बड़ी खूबसूरती से मिलाया है, जिससे यह हर तरह के दर्शकों को जोड़ने में सक्षम है. इसके शानदार विजुअल्स और दमदार कहानी इसे एक यादगार अनुभव बनाते हैं, जो न सिर्फ मनोरंजन देगा, बल्कि इतिहास को भी महसूस करने का मौका देगा.
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