/mayapuri/media/media_files/2025/04/11/nAABP1DinN11arY2SOCs.jpg)
बैसाखी, वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक उमंग भरा त्यौहार है, जब नई फसल आती है. खास तौर पर सिख समुदाय इसे अपने नए साल की शुरुआत के रूप में मनाता है. उत्तर भारत में इसका गहरा धार्मिक महत्व है. नानकशाही कैलेंडर के अनुसार यह हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है, और पूरे देश में, खासकर उत्तर भारत में, इसकी रौनक देखते ही बनती है. यह दिन न सिर्फ फसल की बंपर पैदावार का जश्न है, बल्कि एकता, श्रद्धा और समुदाय के साथ जुड़ाव का प्रतीक भी है. इस खास मौके पर ज़ी टीवी के कलाकार - 'भाग्य लक्ष्मी' के अमन गांधी, 'जमाई नं. 1' की सिमरन कौर, 'जाने अनजाने हम मिले' की आयुषी खुराना, 'कैसे मुझे तुम मिल गए' की आकांक्षा चमोला, 'वसुधा' की प्रिया ठाकुर और 'जागृति - एक नई सुबह' के आर्य बब्बर अपने बचपन की मीठी यादें साझा कर रहे हैं, जिनमें पारिवारिक परंपराएं, गुरुद्वारा दर्शन और घर में बना स्वादिष्ट कड़ा प्रसाद शामिल है. आइए देखें, कैसे ये कलाकार इस पावन पर्व को अपने-अपने अंदाज़ में मना रहे हैं.
ज़ी टीवी के 'जागृति - एक नई सुबह' में कालीकांत ठाकुर के रोल में नजर आ रहे आर्य बब्बर ने कहा,
"बैसाखी सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि हर पंजाबी के दिल में बसने वाला एक एहसास है. मेरे लिए यह रंगों, खुशियों और गहरी परंपराओं से भरी बचपन की यादें लेकर आता है. मुझे याद है बैसाखी की सुबह घर में एक अलग ही उत्साह होता था. मां-पापा हमें पारंपरिक कपड़े पहनाते थे और हम सभी गुरुद्वारे जाते थे. शब्द कीर्तन की मधुर धुनें, कड़ा प्रसाद की सुगंध और अरदास के दौरान मिलने वाली शांति... सबकुछ जादुई लगता था. अरदास के बाद हम लंगर में बैठते थे, जहां एक साथ बैठकर भोजन करना हमें प्रेम और समानता का एहसास कराता था. इस साल मैं चाहता हूं कि हम उस एहसास को फिर से जिएं, जिसमें खुशियां भी हों और एक खास उद्देश्य भी. हमारे अन्नदाताओं का साथ दें, एक-दूसरे को ऊपर उठाएं और अपनी जड़ों से जुड़े रहें. फिर चाहे आप भांगड़ा पर झूम रहे हों, खास पकवान बना रहे हों या अपनों के साथ वक्त बिता रहे हों, हर पल का शुक्रिया मानें. सत् श्री अकाल! मेरी और मेरे परिवार की तरफ से ढेर सारा प्यार."
ज़ी टीवी के 'जमाई नं. 1' में रिद्धि का किरदार निभा रहीं सिमरन कौर ने कहा,
"बैसाखी सिखों के लिए एक नया साल है और हमारे लिए इसका खास धार्मिक महत्व है. मैं खुद एक सिख परिवार से हूं, इसलिए पारंपरिक कपड़ांे में सजकर यह त्यौहार मनाने में मुझे बड़ा मजा आता है. पूरा दिन एक अलग ही जोश और भक्ति से भरा होता है, खासकर नगर कीर्तन की तैयारियों में. भजन-कीर्तन, प्रार्थनाएं और बाबा जी के प्रति श्रद्धा - ये सबकुछ इस दिन को बेहद खास बनाते हैं. जो बात इस दिन को मेरे लिए सबसे प्यारी बनाती है, वो है मेरी मां के हाथों से बना कड़ा प्रसाद, जिसके स्वाद की कोई तुलना नहीं. बैसाखी दियां लख-लख वधाइयां!"
ज़ी टीवी के 'जाने अनजाने हम मिले' में रीत का किरदार निभा रहीं आयुषी खुराना ने कहा,
"चूंकि यह दिन सिख नववर्ष की शुरुआत है, इसलिए शादी के बाद मेरी पहली बैसाखी इस त्यौहार को और भी खास और यादगार बना रही है. मैं दिल से दुआ करती हूं कि यह नई शुरुआत हमारी ज़िंदगी में ढेर सारी पॉज़िटिविटी और खुशियां लेकर आए. इस शुभ दिन पर मैं गुरुद्वारा जाकर प्रार्थना करती हूं और ज़िंदगी में मिली हर नेमत के लिए शुक्रिया अदा करती हूं. गुरुद्वारा का शांत वातावरण और गुरबाणी की मधुर धुन मन को गहराई से सुकून देती है. इस बार यह अनुभव और भी खास है क्योंकि अब मैं यह पल अपने जीवनसाथी और नए परिवार के साथ साझा कर रही हूं. मैंने बचपन से इस पर्व का महत्व समझा है और अब इसे पूरी श्रद्धा के साथ मनाना इस दिन को और भी खूबसूरत बना देता है. यह परंपरा, श्रद्धा और एक नई ज़िंदगी की शुरुआत का सुंदर संगम है."
ज़ी टीवी के 'भाग्य लक्ष्मी' में आयुष का किरदार निभा रहे अमन गांधी ने कहा,
"जब से मैं मुंबई शिफ्ट हुआ हूं, बैसाखी को उस शान से नहीं मना पाता जैसे दिल्ली में मनाते थे. मुझे आज भी याद है जब हमारा पूरा परिवार गुरुद्वारा जाता था, अरदास करता था और फिर लंगर में सेवा करके प्रसाद ग्रहण करता था. लेकिन जो बात सबसे ज्यादा याद आती है, वो है घर लौटकर मम्मी के हाथ का खाना, जिसमें शामिल होती थी मक्के दी रोटी, सरसों दा साग और उनकी खास खीर. इनकी खुशबू से ही त्यौहार का एहसास हो जाता था. दिल्ली में हमारी सोसाइटी के पास का इलाका नगर कीर्तन की गूंज और झूमते हुए लोगों से जगमगा उठता था. मैं वाकई उन पारिवारिक पलों को बहुत मिस करता हूं. सभी को मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं. इस बैसाखी को अपनों के साथ पूरे प्यार और उमंग से मनाइए!"
ज़ी टीवी के 'वसुधा' में वसुधा का किरदार निभा रहीं प्रिया ठाकुर ने कहा,
"बैसाखी की बात आते ही बचपन की यादें ताज़ा हो जाती हैं, खासकर क्योंकि चंडीगढ़ में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. शाम को हम सब दोस्त गुरुद्वारा जाते थे, जहां भक्ति गीत गाकर हम अपने सुखों के लिए ईश्वर का धन्यवाद करते थे. इसके बाद नगर कीर्तन में हिस्सा लेते थे, जहां श्रद्धालु सड़कों पर कीर्तन करते हुए चलते हैं. इस बार मुंबई में होने की वजह से मैं यहां के नज़दीकी गुरुद्वारा जाऊंगी, प्रार्थनाएं करूंगी और वो गीत सुनूंगी जो मुझे बचपन में लौटा देते हैं. इस बार बैसाखी की इस रंगीन रौनक को मुंबई में अनुभव करने का बेसब्री से इंतज़ार है."
ज़ी टीवी के 'कैसे मुझे तुम मिल गए' में मानवी का किरदार निभा रही आकांक्षा चमोला ने कहा,
"बैसाखी फसल कटाई के मौसम का प्रतीक है और मैंने इसे शादी के बाद अपने पति गौरव के साथ मनाना शुरू किया. ये मेरे लिए नया था लेकिन इस परंपरा का हिस्सा बनना वाकई शानदार अनुभव रहा. हम सुबह-सुबह गुरुद्वारे जाते हैं, लंगर सेवा करते हैं और इस उत्सवी माहौल में डूब जाते हैं. इसके बाद घर पर अपने ससुरालवालों के साथ पारिवारिक कीर्तन होता है और फिर एक लज़ीज़ भोजन, जिसमें पंजाबी कढ़ी पकौड़ा, चावल, दाल मखनी जैसे व्यंजन होते हैं. यह त्यौहार नई शुरुआत का प्रतीक है, एक खुशहाल शुरुआत का. मेरी तरफ से सभी को बैसाखी की ढेर सारी शुभकामनाएं!"
Read More
India's Got Talent विवाद के बाद मेडिटेशन को लेकर बोले Ranveer Allahbadia, कहा- 'जब आप जिंदगी में...'
Emraan Hashmi News: 'सीरियल किसर' टैग से परेशान हैं इमरान हाशमी, बोले- 'मैं चिल्लाता था'
Tags : Baisakhi | Baisakhi Celebration | Baisakhi Utsav | Baisakhi night | Baisakhiya in bollywood | Baisakhiya | Happy Baisakhi | Happy Baisakhi wishes | Vaisakhi not present