Do Aur Do Pyaar की डायरेक्टर Shrisha ने फिल्म के बारे में बताया श्रीषा ठाकुरता जिन्होंने अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू विद्या बालन और प्रतीक गाँधी की फिल्म 'दो और दो प्यार' से किया है. बता दें श्रीषा ने राम गोपाल वर्मा के साथ एक असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया है... By Shilpa Patil 25 Apr 2024 in इंटरव्यूज New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर श्रीषा ठाकुरता जिन्होंने अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू विद्या बालन और प्रतीक गाँधी की फिल्म 'दो और दो प्यार' से किया है. बता दें श्रीषा ने राम गोपाल वर्मा के साथ एक असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया है. इसके साथ साथ श्रीषा ने 15 सालों तक ऐड फिल्म्स के डायरेक्टर के रूप में भी काम किया है. बता दें फिल्म 'दो और दो प्यार' में विद्या बालन और प्रतीक गाँधी के अलावा इलियाना डी 'क्रूज़, और सेंधिल राममूर्ति मुख्य किरदार में हैं. ‘दो और दो प्यार’ से आप एक डायरेक्टर के तौर पर बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं. पहला प्रोजेक्ट हर किसी का खास होता है, आपकी क्या फीलिंग है? ये मेरी पहली फिल्म है और ये मेरे लिए बहुत स्पेशल है. और इसमें कई बड़े स्टार्स भी हैं तो ये मेरी जिम्मेदारी भी बन जाती है कि मै कुछ अच्छा बनाऊं क्योंकि उन्होंने मुझपर भरोसा किया है. मै खुश हूँ क्योंकि सभी को फिल्म पसंद आई और लोगों फिल्म के बारे में अच्छी –अच्छी बातें भी बोली हैं. सभी को चारो किरदार पसंद आयें और हम यही चाहते थे कि सभी को ये चारो किरदार पसंद आयें. कुछ लोगों ने अपने रिव्युज में भी ये बात मेंशन की है कि उनको चारो किरदार पसंद आयें और इस बात से मै बहुत खुश हूँ. आपने इससे पहले भी एक असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है? ऐसा नहीं है. मैंने राम गोपाल वर्मा के असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया है और सिर्फ उनके हीं असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया है. उनके साथ मैंने कुछ तीन से चार फिल्मों में काम किया है. और उसके बाद मैंने ऐड फिल्म्स डायरेक्ट किया था. पिछले पंद्रह सालों से मै ऐड फिल्म्स हीं डायरेक्ट कर रही थी. एक डायरेक्टर के तौर पर एक कहानी को परदे पर लाना बड़ी बात होती है. आपने किस तरह इस जर्नी को तय किया है? ये टीम वर्क होता है. एक फिल्म बनाना टीम वर्क होता है. ऐसा नहीं है कि किसी एक इन्सान का हीं आईडिया ऑनस्क्रीन जाता है. बहुत सारे लोगों के विचार और आईडिया भी इसमें जुड़े होते हैं और उनको आपके आईडिया पर भरोसा होता है और वो आपको सपोर्ट करते हैं. प्रोड्यूसर्स आपके सबसे बड़े समर्थक होते हैं, और अगर वो नहीं हैं तो आपकी फिल्म फिर वहीँ खत्म हो जाती है. अगर प्रोड्यूसर आपके आईडिया से सहमत नहीं है तो फिर आपकी फिल्म आगे नहीं बढ़ सकती है. एक बार उनको आपके आईडिया पर विश्वास हो गया तो फिर वो एक्टर्स को मनाते हैं आपके आईडिया में विश्वास करने के लिए. एक बार जब एक्टर्स मान गए तब उसके बाद आपको आपकी फिल्म के लिए क्रू, तकनीशियन और भी लोग चाहिए. एक फिल्म को बनाने में बहुत सारे लोग लगते हैं, कोई एक इन्सान फिल्म नहीं बना सकता है. एक फिल्म बनाने में सबसे जरुरी बात का ध्यान रखना होता है कि आप ऐसे लोगों की टीम बनाइए जो एक साथ अच्छे से काम कर सकें, क्योंकि फिल्म बनाना एक टीमवर्क है. विद्या बालन और प्रतीक गाँधी के साथ काम करने के अनुभव के बारे में कुछ बताइए? मै बहुत खुश हूँ कि मेरी पहली फिल्म के लिए हीं मुझे इतने अच्छे एक्टर्स मिलें. वो सिर्फ अच्छे एक्टर्स हीं नहीं है बल्कि वो बेहद अच्छे इन्सान भी हैं. मैंने बहुत सारे सेट्स पर काम किया है तो मुझे वहां के माहौल के बारे में बहुत अच्छे से पता है. इस फिल्म के सेट पर सभी लोग बहुत अच्छे थे और मुझे ऐसे किसी भी माहौल का सामना नहीं करना पड़ा. विद्या बालन के साथ आपने इतने दिनों तक शूट किया. उनके बारे में कोई खास बात बताना चाहेंगी? वो बहुत हीं अच्छी एक्टर हैं और वो हमेशा ऐसी चीजें करती हैं जिससे दूसरों की मदद हो. वो सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचती है बल्कि वो पुरे क्रू के बारे में सोचती हैं. मै इस फिल्म से पहले उनसे कभी नहीं मिली थी लेकिन फिर भी उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि मै उनके साथ कम्फ़र्टेबल हूँ. ये छोटी छोटी बातें हीं उनको रियल स्टार बनाती हैं. प्रतीक गाँधी के बारे में क्या कहना चाहेंगी? वो बिल्कुल एक बच्चे की तरह है. वो एक फ्री सोल की तरह है. प्रतीक बहुत हीं स्वीट हैं और उनके पास एक चीज को लेकर अलग अ;एजी आइडियाज होते हैं. वो सेट पर बहुत एक्साइटेड और खुश होते थे. आप और किस तरह की फ़िल्में ऑडियंस के लिए लाने वाली हैं? मुझे पर्सनली ह्यूमन रिलेशनशिप का स्पेस बहुत पसंद है. मै यही सोचती हूँ कि इंसानी दिमाग किस तरह से चलता है. ये थॉट प्रोसेस मुझे बहुत एक्साइटिंग लगता है और मै इसे सिनेमा में जरुर एक्स्प्लोर करना चाहूंगी. मुझे इस तरह की चीजें बहुत अच्छी लगती हैं. मुझे कॉमेडी फ़िल्में भी पसंद हैं. मगर मुझे स्लैपस्टिक कॉमेडी पसंद नहीं है, मुझे सिचुएशनल कॉमेडी ज्यादा पसंद है. मै कुछ चीजों को अभी देख रही हूँ लेकिन ऐसा नहीं है कि मै वो अभी करुँगी. मै कोई भी चीज हड़बड़ी में नहीं करना चाहती हूँ. क्या फिल्म इंडस्ट्री से ऐसे कोई एक्टर हैं जिनके साथ आप काम करना चाहती हैं? नहीं, ऐसा नहीं है. ये सब कहानी पर डिपेंड करता है. ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनकी मै फैन हूँ लेकिन मेरे लिए कहानी सबसे पहले आती है. एक फिल्म बनाना सिर्फ किसी स्टार के साथ काम करना नहीं होता है बल्कि कहानी के किरदारों के साथ काम करना होता है. मै उम्मीद करती हूँ कि मै आगे भी इसी तरह से काम करती रहूँ. इस फिल्म की जर्नी के दौरान आपको किस तरह के चैलेंज का सामना करना पड़ा. फिल्म बनाना बहुत मुश्किल काम है. आपके पास एक कहानी होनी चाहिए जो आपको और आपके राइटर दोनों को पसंद आनी चाहिए. उसके बाद प्रोड्यूसर को पसंद आनी चाहिए फिर एक्टर्स को. सबकुछ फाइनल हो गया तब फिर आपको एक स्टूडियो ढूँढना है स्टूडियो को आपकी कहानी पसंद आनी चाहिये और उसके बाद फिर आप फिल्म की शूटिंग शुरू करते हैं. शूटिंग के बाद फिल्म को एडिट करो उसमें म्यूजिक ऐड करो और तब जाकर फिल्म तैयार होती है. फिल्म बनाने में बहुत सारे चैलेंज आते हैं. किसी भी फिल्म को बनाना आसान नहीं है. और अगर आप पहली बार फिल्म बना रहे हैं तब थोड़ी और मुश्किलें आती हैं. लेकिन ये मेरे जीवन की बहुत बड़ी सीख है. मुझे इस फिल्म में काम करने में बहुत मज़ा आया. आपके हिसाब से इस फिल्म की क्या खास बात है? ये मेरी पहली फीचर फिल्म है यही स्पेशल बात है. एक ऐड फिल्म डायरेक्टर चाहे तो अपने काम के बारे में बताते हैं और चाहे तो नहीं बताते हैं. लेकिन जब आप एक फीचर फिल्म बनाते हैं तब आप नहीं चुप सकते हैं. आप उसको बनाते हैं और दुनिया के सामने लोगों को देखने के लिए रखते हैं. हर किसी का अपना अपना ओपिनियन होता है तो ये थोड़ा डरावना भी हो सकता है क्योंकि आप अपने आप को और अपने काम को जज होने के लिए रख रहे हैं. ये सब मेरे लिए नया है. फिल्म को लेकर किस तरह के कॉम्प्लीमेंट आ रहे हैं, इसके बारे में कुछ बताना चाहेंगी? काफी सारे लोगों ने बहुत अच्छा बोला है. एक फिल्ममेकर के तौर पर अपनी फिल्म के बारे में अच्छा लिखा हुआ पढ़ना अच्छा लगता है. जब किसी आर्टिकल में आपके फिल्म के किरदारों का करैक्टर स्केच लिखा हुआ होता है वो करैक्टर स्केच जिसकी मदद से हम किरदार बनाते हैं तब उसको पढ़कर अच्छा लगता है कि किसी ने हमारी फिल्म देखी है और उसको सराहा है. अपने फैंस को क्या कहना चाहेंगी? मेरे कोई फैंस नहीं हैं. मै बस यही उम्मीद करती हूँ कि लोग इस फिल्म को देखें उस चीज के लिए जिसके लिए ये फिल्म बनाई गयी है. बस यही उम्मीद है कि लोग थिएटर में जाकर फिल्म देखें और उनको फिल्म पसंद आये. Shrisha Thakurta On Working With Vidya Balan, Pratik Gandhi, Debut Film Tags : Shrisha Thakurta interview | Do Aur Do Pyaar FILM Read More: सलमान फायरिंग केस: अनमोल बिश्नोई के खिलाफ जारी होगा लुकआउट नोटिस? Lara Dutta को कहा गया 'बुड्ढी' और 'मोटी', एक्ट्रेस ने किया रिएक्ट कुत्ते से की गई थी आयुष शर्मा की तुलना,बोले एक्टर-उस दिन ने मुझे बनाया पद्म भूषण अवार्ड लेने के बाद मिथुन चक्रवर्ती ने PM Mdi से की मुलाकात #Do Aur Do Pyaar FILM #Shrisha Thakurta #Shrisha Thakurta interview हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article