इस बार लेखक प्रोड्यूसर निर्देशक रीमादास की फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार्स’ जैसी छोटी सी फिल्म बड़ी बड़ी फिल्मों को धराशाही करती हुई ऑस्कर के लिये सलेक्ट हुई है। असम के एक छोटे से गांव की गरीब विधवा मां और उसकी बेटी की कहानी जो गरीबी और उसकी दुविधा प्रभावशाली तरीके
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Shyam Sharma
विशाल भारद्वाज हमेशा जमीन से जुड़ी कहानीयों पर फिल्में बनाने के लिये जाने जाते हैं। इस बार भी उन्होंने राइटर चरण सिंह पथिक की शॉर्ट स्टोरी दो बहनो से प्रेरित हो फिल्म‘ पटाखा’ का निर्माण व निर्देशन किया। लेकिन इस बार वे देशीपन दिखाने के चक्कर में कुछ ज्यादा
हिन्दुस्तान में महाराष्ट्र राज्य की अपनी एक आन बान और शान है देश की आर्थिक राजधानी भी मुंबई भी यही है और फिल्मी दुनिया की शान बॉलीवुड भी इस मायानगरी की शान बढ़ा रही है. महाराष्ट्र राज्य में एक प्रांत हैं जिसका नाम है विदर्भ जो अति प्राचीन महाभारत काल की
दुनिया के जाने-माने बॉक्सर माइक टायसन जल्द मुम्बई में भारत के पहले ग्लोबल मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स - कुमाइट 1 लीग (KL1) को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. ये फाइट 29 सितम्बर को मुम्बई के वर्ली स्थित एनएसआई डोम में होगी. इसे ऒल इंडिया मिक्स्ड मार्शल
फिल्मों के इतिहास को देखा जाए ग़ालिब को नजर अंदाज करते तो किसी राइटर पर फिल्म बनाने से फिल्ममेकर हमेशा बचते रहे हैं। यह हिम्मत अभिनेत्री डायरेक्टर नंदिता दास ने अपने दौर के विवादास्पद लेकिन साफगोहीं लेखक सहाअदत हसन मंटों पर फिल्म ‘मंटों’ जैसी बेहतरीन फिल
खासकर नॉर्थ इंडिया में बिजली कंपनियों की लूट मार जगजाहिर है। निर्देशक श्री नारायण सिंह इससे पहले ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ जैसी शौचालयों को लेकर पब्लिक को जागृत कर चुके हैं। इसी तरह पर उन्होंने उत्तराखंड की कुछ बिजली कंपनियों की लूट पाट को फिल्म ‘बत्ती गुल मी
जब किसी का अपना उसके सामने किसी के द्धारा मार दिया जाता हैं तो उसके सामने इंतकाम उसका मुख्य मकसद बन जाता है। यहां तक बदले के सामने उसका फर्ज तक गौण होकर रह जाता है। लेखक निर्देशक करण कश्यप की फिल्म ‘कठोर’ ऐसी ही किसी सच्ची घटना से प्रेरित है। निलकंठ चतु
प्यार और रिलेशनशिप अक्सर कठिन होते हैं। इस तरह की चीजें अक्सर फिल्मों में देखी जाती रही हैं। लेकिन आंनद एल राय निर्मित व अनुराग कश्यप निर्देशित फिल्म ‘मनमर्जियां’ में इस तरह की रिलेशनशिप को बहुत मैच्यौरिटी के साथ दिखाया गया है। बेशक फिल्म एक बड़ी फिल्म से
कई पेरेन्ट्स का अपने बच्चों की क्षमता पर विश्वास न कर उन्हें अपने मुताबिक जीने से रोकते हुये उन्हें हतोउत्साहित कर उन पर अपनी मनमानी थोपना कितना हानिकारक हो सकता है। नितिन कक्कड की फिल्म ‘मित्रों’ बहुत असरदार ढंग से बताती है। जय यानि जैकी भगनानी एक ऐसा य
डार्क फिल्मों को लेकर कितनी ही बेहतरीन फिल्में आ चुकी हैं। अब उन्हीं में शामिल होने जा रही हैं निर्देशक तबरेज नूरानी की फिल्म ‘ लव सोनिया’। जो देह व्यापार की घिघौनी दुनियां में ले जाती हैं। जंहा दो बहनों के सदके ह्यूमन ट्रेफिकिंग की बदसूरत दुनियां के क्रू
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