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Siddharth Arora 'Sahar'

ए आर रहमान पिछले 25 सालों से अपने अनोखे संगीत और संगीत के साथ नए नए प्रयोगों को लेकर प्रख्यात हैं। नब्बे के दशक से शुरु हुआ रहमान का जादू आज बरसों बाद भी वैसा ही बना हुआ है। ए आर रहमान सिर्फ फ्यूज़न युक्त धुनों के लिए ही मशहूर नहीं हैं, बल्कि वह अपने म्यूज

कहते हैं कि बड़े से बड़ा ज़ख्म हो उसे समय और संगीत का साथ भर ही देता है। संगीत में वो ताकत होती है जो पत्थर को भी पिघला सकती है। ए आर रहमान की मानें तो संगीत ही दुनिया का इकलौता जादू बचा है। आज मैं ये बातें आपको इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि आज वर्ल्ड म्यूज

मायापुरी की अपील के अनुसार जहाँ वोट वहाँ वैक्सीन कैम्पेन की तर्ज पर पोल-बूथ पर Vaccine लगेगी कौन कहता है कि असमान में सुराख हो नहीं सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों – दुष्यंत कुमार जी की ये कविता भले ही अतिश्योक्ति लगती हो पर इसकी हर एक लाइन ब

कहते हैं ऊपर वाला जब भी देता है छप्पड़ फाड़ के देता है, पर क्या हम जो मिले उसका एक अंश भी ख़ुश होकर, निःस्वार्थ कहीं किसी को दे पाते हैं? हम सब कोई न कोई काम ऐसा कर ही रहे हैं जिससे हम पैसा कमा सकें, उसी कमाए पैसे से हम कभी किसी भिखारी की ओर सिक्का भी उछाल द

कोर्ट में पेश होते ही केआरके का वकील हुआ बैकफुट पर, कहा अब केआरके सलमान के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोलेंगे कमाल रशीद खान यानी केआरके सेल्फ क्लेम्ड फिल्म समीक्षक हैं जो एक विलन नामक फिल्म में छोटा सा रोल भी कर चुके हैं. केआरके के नाम से मशहूर इस समीक्षक ने जब सल

ऋचा चड्ढा अपने नए इंस्टाग्राम पेज 'द काइंडरी' के ज़रिये एक नए मिशन पर रोज़ाना गुमनाम नायकों को सेलिब्रेट करेंगी पिछले एक साल में, मौत, तबाही, चिकित्सा सहायता की कमी, गरीबी और बेरोजगारी की कहानियां समाचार चक्र पर हावी रही हैं। ठीक ऐसे समय में, हमें एक देश

हम उस दौर से गुज़र रहे हैं जहाँ इंसान कौन है और हैवान कौन, ये पहचानना मुश्किल हो रहा है। आज भारत में मात्र दो जगह ही लोग ही देखे जा रहे हैं। एक वो जो अस्पताल के अन्दर हैं, कोरोना से जूझ रहे हैं, ज़िन्दगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और दूसरे हॉस्पिटल के बाहर, अ

ये इतना मुश्किल दौर है कि बहुत सी जान कोविड की वजह से नहीं बल्कि घबराहट की वजह से, हिम्मत हार जाने की वजह से जा रही हैं. covid से ठीक हुए पेशेंट को हार्ट अटैक लील रहा है. किसी को इस बात की घबराहट है कि कहीं ऐसा न हो वो कल को मर जाए, इसलिए उसने आज जीना छोड़

हम उस दौर से गुज़र रहे हैं जहाँ इंसान कौन है और हैवान कौन, ये पहचानना मुश्किल हो रहा है। आज भारत में मात्र दो जगह ही लोग ही देखे जा रहे हैं। एक वो जो अस्पताल के अन्दर हैं, कोरोना से जूझ रहे हैं, ज़िन्दगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और दूसरे हॉस्पिटल के बाहर, अ

हम उस दौर से गुज़र रहे हैं जहाँ इंसान कौन है और हैवान कौन, ये पहचानना मुश्किल हो रहा है। आज भारत में मात्र दो जगह ही लोग ही देखे जा रहे हैं। एक वो जो अस्पताल के अन्दर हैं, कोरोना से जूझ रहे हैं, ज़िन्दगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और दूसरे हॉस्पिटल के बाहर, अ

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